kurukshetra war


जीवन एक कुरुक्षेत्र है जहाँ निरंतर कौरवों और पांडवों के बीच महाभारत का युद्ध चलता रहता है। पांडवों की अवश्यंभावी जीत सदा ही दुर्धर्ष संघर्षों के पश्चात् ही प्राप्त होती है । यह संघर्ष तामसी और सात्त्विक प्रवृत्तियों के बीच अच्छे और बुरे के बीच शोषक और शोषित के बीच गाँव और शहर के बीच सहित विभिन्न रूपों में निरंतर जारी है। महत्त्वपूर्ण यह है कि हर व्यक्ति अपने जीवन के महाभारत में अकेला होता है यह युद्ध उसे स्वयं ही लड़ना होता है। अयोध्यानाथ मिश्र के इस कहानी- संकलन अपने कुरुक्षेत्र में अकेला की कहानियों में जीवन और समाज की विषमताओं और उनके विरुद्ध संघर्ष की व्यंजना को जनपदीय सरोकारों और रचनात्मक विवेक के साथ बहुत ही प्रतिबद्धता से दर्ज किया गया है ।


अयोध्यानाथ मिश्र अपनी कहानियों में लोक में प्रचलित उक्तियों एवं मुहावरों का बहुत ही सुंदरता से प्रयोग करते हैं। उनकी कहानियाँ भोजपुरी अंचल में व्याप्त देशज व्यवहार एवं मनोजगत् का भूगोल रचती हैं। इनकी कहानियों में जो जीवन का प्रवाह, सौंदर्य, दुविधाएँ, नैतिक संघर्ष एवं सुख-दुःख का भाव - संसार सृजित होता है, वह अत्यंत प्रामाणिक एवं जीवनानुभव से ओतप्रोत प्रतीत होता है। इस संग्रह की कहानियाँ पाठकों का प्यार पाएँगी ऐसी मुझे आशा है।


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About the Author

अयोध्यानाथ मिश्र

आत्मज - स्व. गंगा देवी एवं स्व. कैलाशपति मिश्र ।

जन्म : 1 जुलाई, 1946