सहृदय आलोचक मिथलेश शरण चौबे की यह आलोचना की दूसरी कृति 'अकथ का आकाश' अनेक दृष्टियों से हमारा ध्यान आकृष्ट करती है। पुस्तक में चार खंड हैं- विलोक विवक्षा विवेच्य और विवृत ।
इस पुस्तक की विशेषता है कि गाँधी पर विचार हो या कविता, कहानी, उपन्यास या आलोचना पर, सबमें लेखक की निजी छाप दिखती है । तत्त्व निरीक्षण, विषय का भावन तथा कृतियों के अंतस्तल में उतरकर उनका समीचीन परीक्षण, जिसमें कोई दुराग्रह नहीं, एक सहृदय पाठक का अंतर्विवेक है, जो इस किताब की विश्वसनीयता को बढ़ाता है ।
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About the Author
मिथलेश शरण चौबे
1976 में गढ़ाकोटा (जिला सागर, म. प्र.) में जन्म।
कविता संग्रह 'लौटने के लिए जाना' तथा आलोचना पुस्तक ‘कुँवर नारायण का रचना- संसार' प्रकाशित |
'फणीश्वर नाथ रेणु के उद्धरण' तथा अनिल वाजपेयी की रचनाओं के चयन 'फैयाज़ ख़ाँ जिनके मौसिया थे' का संपादन ।
कविता-संग्रह की पांडुलिपि पर वर्ष 2015 का साहित्य भंडार तथा मीरा फ़ाउंडेशन, इलाहाबाद का मीरा स्मृति पुरस्कार, रमेशदत्त दुबे युवा रचनाकार सम्मान, 2015 प्राप्त। 'समास' के कुछ अंकों में संपादन सहयोग । महाविद्यालय में अध्यापन, सागर में निवास।