क्या आप जानते हैं कि आप जिस काम को करना चाहते हैं, उसकी शुरुआत से पहले आप अगर सारी परिस्थितियों के एकदम अनुकूल हो जाने का इंतजार करते हैं तो बरसों तक आप उसकी शुरुआत नहीं कर पाएँगे; क्योंकि परिस्थितियाँ कभी पूरी तरह अनुकूल नहीं होतीं। अगर आप किसी काम को हर हाल में करना चाहते हैं तो उससे जुड़ी सारी जानकारी जुटाएँ, सारे उपलब्ध साधनों को जुटा लें और उस समय की जैसी भी परिस्थिति है, उसी में उसकी शुरुआत कर दें। सारी नकारात्मकताओं, जैसे भय, ईर्ष्या, घृणा, द्वेष तथा लोभ से मुक्त सकारात्मक मन विश्वास को बढ़ाने के लिए अनिवार्य होता है। ऐसा नहीं हो सकता कि आप अपने मन में ईर्ष्या, लोभ, भय, द्वेष या किसी भी प्रकार की अन्य नकारात्मकता को स्थान दें और उसके साथ ही साथ व्यावहारिक विश्वास के सिद्धांत का उपयोग करें। प्रकृति ने नदियों के लिए ऐसी योजना बनाई है कि वे सबसे कम विरोध के रास्ते को अपनाती हैं। टेढ़ी-मेढ़ी नदियाँ उर्वर डेल्टा बनाती हैं। यदि नदी सीधे समंदर तक जाती तो उनका बनना संभव नहीं था। सारी नदियाँ कम-से-कम विरोध के रास्ते को अपनाती हैं और अच्छा ही है कि वे ऐसा करती हैं, लेकिन प्रकृति नहीं चाहती थी कि मनुष्य ऐसे किसी रास्ते पर चले। —इसी पुस्तक से विश्वप्रसिद्ध मोटिवेशन लेखक नेपोलियन हिल की ऐसी पुस्तक, जो आपको अपनी आदतों को सुधार कर जीवन में सफल होने का व्यावहारिक ज्ञान देगी।.
प्रकृति ने नदियों के लिए ऐसी योजना बनाई है कि वे सबसे कम विरोध के रास्ते को अपनाती हैं। टेढ़ी-मेढ़ी नदियाँ उर्वर डेल्टा बनाती हैं।
1) क्या आप जानते हैं कि आप जिस काम को करना चाहते हैं, उसकी शुरुआत से पहले आप अगर सारी परिस्थितियों के एकदम अनुकूल हो जाने का इंतजार करते हैं तो बरसों तक आप उसकी शुरुआत नहीं कर पाएँगे; क्योंकि परिस्थितियाँ कभी पूरी तरह अनुकूल नहीं होतीं।
2) अगर आप किसी काम को हर हाल में करना चाहते हैं तो उससे जुड़ी सारी जानकारी जुटाएँ, सारे उपलब्ध साधनों को जुटा लें और उस समय की जैसी भी परिस्थिति है, उसी में उसकी शुरुआत कर दें।
3) सारी नकारात्मकताओं, जैसे भय, ईर्ष्या, घृणा, द्वेष तथा लोभ से मुक्त सकारात्मक मन विश्वास को बढ़ाने के लिए अनिवार्य होता है। ऐसा नहीं हो सकता कि आप अपने मन में ईर्ष्या, लोभ, भय, द्वेष या किसी भी प्रकार की अन्य नकारात्मकता को स्थान दें और उसके साथ ही साथ व्यावहारिक विश्वास के सिद्धांत का उपयोग करें।
4) प्रकृति ने नदियों के लिए ऐसी योजना बनाई है कि वे सबसे कम विरोध के रास्ते को अपनाती हैं। टेढ़ी-मेढ़ी नदियाँ उर्वर डेल्टा बनाती हैं। यदि नदी सीधे समंदर तक जाती तो उनका बनना संभव नहीं था। सारी नदियाँ कम-से-कम विरोध के रास्ते को अपनाती हैं और अच्छा ही है कि वे ऐसा करती हैं, लेकिन प्रकृति नहीं चाहती थी कि मनुष्य ऐसे किसी रास्ते पर चले।
नेपोलियन हिल
1) नेपोलियन हिल जन्मनाम ओलिवर नेपोलियन हिल अक्टूबर 26, 1883 – नवम्बर 8, 1970 एक अमेरिकी लेखक थे।
2) सन् 1883 में वर्जीनिया में पैदा हुए। बड़े व्यवसायियों के सलाहकार, लेक्चरर और लेखक के रूप में सफल तथा लंबा कॅरियर बिताने के बाद सन् 1970 में उन्होंने दुनिया से विदा ली।
3) ‘सोचो और धनी बनो’ उनके लेखक-जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण पड़ाव रहा, जो-पुस्तक-सार्वकालिक-बेस्टसेलर-साबित हुई। दुनिया भर में इस पुस्तक की डेढ़ करोड़ प्रतियाँ बिक चुकी हैं। ऑर्थर आर. पेल ने ‘थिंक ऐंड ग्रो रिच’ (सोचो और धनी बनो) का संशोधन किया।
4) उन्होंने प्रबंधन, मानवीय संबंध और कॅरियर योजना पर कई पुस्तकें और लेख लिखे हैं। उनकी पुस्तकों में प्रसिद्ध हैं ‘दि कंप्लीट इडियट्स गाइड टू मैनेजिंग पीपल’ और ‘दि कंप्लीट इडियट्स गाइड टू टीम बिल्डिंग’।
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लेखक के बारे में
नेपोलियन हिल सन् 1883 में वर्जीनिया में पैदा हुए। बड़े व्यवसायियों के सलाहकार, लेक्चरर और लेखक के रूप में सफल तथा लंबा कॅरियर बिताने के बाद सन् 1970 में उन्होंने दुनिया से विदा ली। ‘अपनी सोच से अमीर बनिए’ उनके लेखक-जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण पड़ाव रहा, जो पुस्तक सार्वकालिक बेस्टसेलर साबित हुई। दुनिया भर में इस पुस्तक की डेढ़ करोड़ प्रतियाँ बिक चुकी हैं। ऑर्थर आर. पेल ने ‘थिंक ऐंड ग्रो रिच’ (सोचो और धनी बनो) का संशोधन किया। उन्होंने प्रबंधन, मानवीय संबंध और कॅरियर योजना पर कई पुस्तकें और लेख लिखे हैं। उनकी पुस्तकों में प्रसिद्ध हैं ‘दि कंप्लीट इडियट्स गाइड टू मैनेजिंग पीपल’ और ‘दि कंप्लीट इडियट्स गाइड टू टीम बिल्डिंग’।.