what is jainism religion


  • यह पुस्तक जैन धर्म की प्राचीन कथाओं को समर्थन करती है और उनकी महत्त्वपूर्णता को उजागर करती है।
  • यह कथाएँ धार्मिक और सांस्कृतिक संदेशों को एक सरल और समझने योग्य रूप में प्रस्तुत करती हैं।
  • इस पुस्तक में उपलब्ध कथाएँ जीवन के मूल्यों, नैतिकता, और साहस को प्रोत्साहित करती हैं।
  • जैन कथाएँ भारतीय साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और इस पुस्तक के माध्यम से आप उन्हें और अधिक समझ सकते हैं।
  • इस पुस्तक के माध्यम से आप जैन धर्म के मूल सिद्धांतों, तत्त्वों, और इतिहास को विस्तार से जान सकते हैं।
  • यह पुस्तक आपको धार्मिकता और धर्म के महत्व को समझने में मदद करेगी और आपके जीवन में नई प्रेरणा प्रदान करेगी।
  • जैन कथाएँ जीवन की सच्चाई और धर्म के महत्व को सरलता से समझाने में सहायक होती हैं।
  • इस पुस्तक का पठन आपको ध्यान में शान्ति, चित्त की स्थिरता, और आत्मा के प्रकाश की ओर ले जाएगा।
  • इस पुस्तक में उपलब्ध कथाएँ आपको जीवन में संतोष और सहयोग की खोज में मदद करेंगी।
  • यह पुस्तक धर्म, संस्कृति, और मानवता के महत्वपूर्ण विषयों पर गहरा विचार करने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है।


प्रस्तुत पुस्तक की जैन कहानियों में कथोपकथन के माध्यम से केवल मनोविनोद ही नहीं होता, बल्कि उनमें जीवन की सरस अनुभूतियों के साथ संस्कृति,।.


1) जैन धर्म की कहानियाँ—ध्रुव कुमार जैन संस्कृति बड़ी प्राचीन है। यह स्वयं में इतनी व्यापक, मौलिक तथा चिंतनपरक है कि इसे किसी विशिष्ट संस्कृति की परिधि में आबद्ध नहीं किया जा सकता। जैन धर्म और संस्कृति ने विश्व की अनेक संस्कृतियों को किसी-न-किसी रूप में प्रभावित किया है। कहानी साहित्य की एक प्रमुख विधा है, जिसे सबसे अधिक लोकप्रियता प्राप्त हुई है। हमारे प्राचीनतम साहित्य में कथा के तत्त्व जीवित हैं।

2) जैन कथा साहित्य न केवल भारतीय कथा साहित्य का जनक रहा है, अपितु संपूर्ण विश्व कथा साहित्य को उसने प्रेरणा दी है। भारत की सीमाओं को लाँघकर जैन कथाएँ अरब, चीन, लंका, यूरोप आदि देश-देशांतरों में पहुँची हैं और अपने मूल स्थान की भाँति वहाँ भी लोकप्रिय हुई हैं। जैन कथा साहित्य के कथानक बड़े मर्मस्पर्शी हैं और व्यापक भी। जीवन के शाश्वत तत्त्वों का इनमें निरूपण हुआ है तथा पात्रों का चरित्र स्वाभाविक रूप में होने के कारण सर्वग्राह्य बन पड़ा है।

3) इन कहानियों में तीर्थंकरों, श्रमणों एवं श्लाकापुरुषों की जीवनगाथाएँ मुख्य हैं, जिनमें धर्म के सिद्धांतों का स्पष्टीकरण होता चलता है। प्रस्तुत पुस्तक की जैन कहानियों में कथोपकथन के माध्यम से केवल मनोविनोद ही नहीं होता, बल्कि उनमें जीवन की सरस अनुभूतियों के साथ संस्कृति, सभ्यता, दर्शन तथा धर्म की व्याख्या भी मिलती है।.


प्रोडक्ट विवरण : 

लेखक के बारे में

ध्रुव कुमार जन्म: 20 दिसंबर, 1965। शिक्षा: एम.ए., एम.एड., एम.ए.जे.-एम.सी., एम.फिल्. एवं पी-एच.डी.। प्रकाशन: ‘किताबों की दुनिया: पटना पुस्तक मेला’, ‘जैन धर्म और बिहार’, ‘बिहार-झारखंड के जैन तीर्थस्थान’, ‘जैन धर्म के चौबीस तीर्थंकर’ के साथ-साथ समाचारपत्रों में समसामयिक आलेख, समीक्षा, साक्षात्कार, समाचार-विश्‍लेषण सहित साहित्यिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक रिपोर्ट आदि प्रकाशित एवं प्रसारित। इनके अलावा नाटकों का लेखन, निर्देशन एवं अभिनय। कई विषयों पर शोध-लेखन। दूरदर्शन एवं रेडियो के लिए कार्य। कई दैनिक पत्रों के लिए रिपोर्टिंग की, कुछ के उपसंपादक एवं ब्यूरो चीफ रहे। सम्मान-पुरस्कार: ‘कलाश्री सम्मान’, ‘नवरंग सम्मान’, ‘रोटरी क्लब पटना सम्मान’, ‘कलाकक्ष सम्मान’, ‘भगवान् महावीर शिखर सम्मान’। संप्रति: कॉर्डिनेटर, एडवांटेज मीडिया एकेडमी, पटना।.