हिंद स्वराज से आप क्या समझते हैं? 

हिंद स्वराज या इंडियन होम रूल 1909 में मोहनदास के. गांधी द्वारा लिखी गई एक पुस्तक है । इसमें उन्होंने स्वराज , आधुनिक सभ्यता , मशीनीकरण सहित अन्य मामलों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। पुस्तक में, गांधी साम्राज्य के उच्च आदर्शों ("नैतिक साम्राज्य") के प्रति निष्ठा व्यक्त करते हुए यूरोपीय सभ्यता को अस्वीकार करते हैं।

स्वराज की अवधारणा क्या है?

स्वराज का अर्थ केवल राजनीतिक स्तर पर विदेशी शासन से स्वाधीनता प्राप्त करना नहीं है, बल्कि इसमें सांस्कृतिक व नैतिक स्वाधीनता का विचार भी निहित है। यह राष्ट्र निर्माण में परस्पर सहयोग व मेल-मिलाप पर बल देता है। शासन के स्तर पर यह 'सच्चे लोकतंत्र का पर्याय' है।

हिंदवी स्वराज का अर्थ क्या है?

हिंदवी स्वराज्य (भारतीय लोगों का स्व-शासन, जिसका अर्थ है विदेशी शासन से मुक्ति ) भारतीय उपमहाद्वीप से अंतरराष्ट्रीय सैन्य और राजनीतिक शक्ति को खत्म करने के उद्देश्य से सामाजिक-राजनीतिक आंदोलनों के लिए एक शब्द है। इस वाक्यांश का प्रयोग पहली बार मराठा साम्राज्य के संस्थापक शिवाजी द्वारा 1645 ई. में पत्र में किया गया था।

हिंद स्वराज हमें क्या सिखाती है?

गांधीजी ने हिंद स्वराज को एक ऐसी पुस्तक के रूप में सोचा था जिसे "एक बच्चे के हाथों में दिया जा सकता है।" यह नफरत की जगह प्यार की शिक्षा देता है। यह हिंसा को आत्म-बलिदान से बदल देता है। यह आत्मिक बल को पाशविक बल के विरुद्ध खड़ा करता है"

पहली बार स्वराज की मांग किसने की थी?

दादाभाई नौरोजी ने 1906 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में पहली बार स्वराज को राष्ट्रीय मांग के रूप में मांगा। वह 1886, 1893 और 1906 में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बने। वह महात्मा गांधी, बाल गंगाधर तिलक और गोपाल कृष्ण गोखले के पहले भारतीय राजनीतिक कार्यकर्ताओं और गुरुओं में से एक थे।