डॉ. प्रकाश धवान का जन्म 20 अक्तूबर, 1986 को मेहँदीपुर बालाजी की पावन धरती (टोडाभीम) में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा देश की राजधानी दिल्ली में हुई—दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक, भूगोल विषय में एम.ए., एम.फिल. (गोल्ड मेडलिस्ट) जे.आर.एफ. करने के बाद भूगोल विषय में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। इसके अतिरिक्त डॉ. धवान मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स के पूर्व अधिकारी हैं। वर्तमान में राजस्थान सरकार में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। अध्ययन-अध्यापन के साथ अनुसंधान में गहरी रुचि रखनेवाले डॉ. धवान के नाम ग्रामीण विकास के साथ आधुनिक शहरी अधिवासों पर अनेक शोध-पत्र हैं। आपदा प्रबंधन जैसे प्रासंगिक विषय में विशेषज्ञता के साथ युवाओं को कॅरियर काउंसलिंग एवं उन्नयन में उनकी गहरी रुचि है। डॉ. धवान की ख्याति न केवल अकादमिक क्षेत्र में है, अपितु उनकी राजनीतिक समझ और विश्लेषण क्षमता उल्लेखनीय है। मीडिया मैनेजमेंट और ब्रांड बिल्डिंग में विशेषज्ञता रखने वाले डॉ. धवान लगातार नवोन्मेषी एवं सुपर-30 जैसे रचनात्मक कार्यों के माध्यम से शैक्षणिक क्षेत्र में सक्रिय हैं।
आनंद कुमार का सपना विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने का था, लेकिन धन के अभाव में चयन होने के बाद भी वे कैंब्रिज में पढ़ने का अपना सपना पूरा नहीं कर सके। चलो, अच्छा ही हुआ। जब उन्होंने भारत के अतीत काल की उच्च शिक्षा प्रणाली पर अनुसंधान किया तो अंतरात्मा से प्रेरणा मिली कि वे अपना सपना तो पूरा न कर सके, लेकिन यदि भारत में रहकर गरीब व साधनहीन छात्रों के उच्च तथा तकनीकी शिक्षा के सपनों को साकार करने में योगदान दें तो इससे उन छात्रों का सपना तो पूरा होगा ही, साथ ही उनके सपने के माध्यम से वे अपना सपना पूर्ण होते देख सकेंगे और इसी का परिणाम है सुपर 30।
प्रस्तुत पुस्तक में संकलित सभी कहानियाँ पूर्णतः वास्तविक हैं और उन छात्रों की संघर्ष-गाथाएँ हैं, जिन्होंने गरीबी और तंगहाली की स्थिति में भी कड़ी मेहनत, ईमानदारी एवं संघर्ष का रास्ता अपनाया और नए-नए मुकाम हासिल करके न केवल अपने परिवार का नाम रोशन किया, वरन् देश को भी गौरवान्वित किया। परिश्रम, पुरुषार्थ, लगन, जिजीविषा और स्वहृश्वन साकार करने की शुभ संकल्प शक्ति का यशोगान हैं ये प्रेरक ‘सुपर 30 कहानियाँ’।