असली IAS Student और नकली IAS Student


क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर यूपीएससी बाकी परीक्षाओं से अलग क्यों है? क्या सिर्फ इसलिए कि इस परीक्षा को पास कर लेने के बाद आप भारत की सबसे प्रतिष्ठित सेवा का लिए योग्य हो जाते हैं? या इसलिए क्योंकि इसमे हर साल लाखों लोग अपियर करते हैं और फ़ाइनल Selection हज़ार का भी नहीं होता? ये सब कारण हो सकते हैं लेकिन जो सबसे बड़ा कारण है वो ये कि यूपीएससी को आपके पास्ट से कोई मतलब नहीं होता। कहने का मतलब ये है कि यूपीएससी को इस बात से कोई मतलब नहीं है कि आपने स्नातक किस विषय से किया है या आपके स्नातक में कितने नंबर आए थे या आपने स्नातक करने में कितना समय लिया। उसे मतलब होता है तो सिर्फ इस बात से कि आप यूपीएससी की परीक्षा में कितना स्कोर करते हैं और क्या आपमे वो कुछ खास गुण हैं जो एक आईएएस अधिकारी में होने चाहिए?

दोस्तों, यूपीएससी Qualify करने वाले स्टूडेंट्स के अंदर कुछ ऐसी Qualities होती हैं जो उन्हें परीक्षा में और ऐसे भी बाकी उम्मीदवारों से अलग करती है। इसमे से सबसे बड़ी Quality है Problem Solving Attitude। देखा जाए तो हम सब का जीवन समस्याओं का एक गुच्छा है जिसे सुलझाने की कोशिश हम सब करते रहते हैं लेकिन जब आपके ऊपर ज़िम्मेदारी समाज की भी हो तब यह जरूरी हो जाता है कि आप Problem Solver बन कर उभरें।

आपने यह गौर किया होगा कि इंटरव्यू के दौरान प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल से संबंधित प्रश्‍न जरूर पूछे जाते हैं। दरअसल जो पैनल होता है वह इन प्रश्‍नों के माध्‍यम से कंपनी यह जानना चाहता है कि यदि आपके सामने कुछ समस्या आती है तो आप उसे सुलझा सकते हो या नहीं और आप सिलैक्ट होंगे या नहीं ये पूरी तरह से आपके जवाब पर निर्भर करता है।

प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल क्या है?

यह एक ऐसी स्किल है जो अपनी व दूसरों की परेशानियों का हल ढूढ़ने में मदद करता है। इसका अर्थ यह हुआ की व्यक्ति परेशानियों का हल बड़ी जल्दी और आसानी से कर सकता है और ऐसे उपायों को अपनाता है जिससे उसे आ रही दिक्कतों का सामना करने में एक शक्ति मिले। सामान्य तौर पर देखा जाए तो हमें अपने जीवन में कई बार ऐसी परिस्‍थि‍ति और दिक्कतों से गुजरना पड़ता है। जब हम अकेले होते है और हमारे सुझाव देने वाले व्यक्ति हमसे हमारी बचकानी हरकतो की कोई उम्‍मीद नहीं करते, इस जगह हमें अपने स्वयं का निर्णय खुद लेना पड़ता हैं।

किसी भी समस्‍या को हल करने के लिए सबसे पहले समस्या का मूल कारण पहचानें। जैसे अगर अन्य विभागों की तुलना में आपके विभाग की परफॉरमेंस खराब है, तो उसके कारण पता लगाएं। हो सकता है कि पहली नजर में आपको इसके लिए देर से काम पूरा करने वाले लोग नज़र आएं। लेकिन ट्रेनिंग का अभाव या ज़रूरत से ज्यादा वर्क लोड भी इसकी वजहें हो सकती हैं। इसलिए हमेशा समस्या की मूल वजह जानने की कोशिश करें। वजह जानने के बाद समस्या का विश्लेषण करें। जैसे क्या स्टाफ कम होने की वजह से कर्मचारियों पर वर्कलोड है या फिर कुछ कर्मचारी को अपग्रेड करने की ज़रूरत है। आपका विश्लेषणात्मक स्किल समस्या को समझने और असरदार तरीके से हल निकालने में मदद करेगा।

प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल के लिए जरूरी स्किल्स –

कम्‍यूनिकेशन स्किल - प्रायः देखा गया है की कुछ परिस्थिति ऐसी भी होतीं है जहां बातचीत के माध्यम से भी समस्या का हल निकला जाता है, बड़ी कंपनियां ऐसे कर्मचारी वर्ग की तलाश मे रहती है जिनका कम्‍यूनिकेशन मजबूत हो, ताकि आने वाले क्लाइंट या कस्टमर से समस्याओं को बहस के माध्यम से भी सुलझाया जा सके।

डिसीजन मेकिंग स्किल - इस स्किल को सबसे अधिक लोगो ने सही माना है क्योंकि व्यक्ति जब स्वयं निर्णय लेता है और उस निर्णय पर काम करता है तो उसे अंदर से साहस और आत्मविश्वास जैसे भावना का निर्माण होता हैं।

रिसर्च स्किल - कुछ व्यक्तियों की प्रवृति चीजों को ढूंढ कर तथा उसमे छुपे रहस्यों को जानकर संतुष्टि मिलती हैं। यही परिस्थिति उसे जब अपनी किसी समस्या का समाधान करने के लिए बोला जाए तो रिसर्च जैसी विधि को अपनाएगा और ऐसे तथ्य को सामने लाने की कोशिश करेगा जो सही हो।

एनालि‍सिस स्किल - कई बार समस्या को देखने मात्र से ही उसका हल नहीं निकला जा सकता, समस्या इतनी गहरी होती है कि हमें उसमे छुपे राज को ढूंढना और समाधान निकालना शामिल होता हैं। इसमें एनालिसिस स्किल काम आती है।

टीमवर्क स्किल - प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल में टीमवर्क को शामिल किया गया है कभी कभी कुछ ऐसी प्रॉब्लम होती है जिन्हे अकेले सुलझा पाना मुश्किल होता है या इसमें ज्यादा समय निकल जाता है लेकिन ऐसे में अगर सब मिलकर उस प्रॉब्लम पर काम करे तो उसको जल्दी ठीक किया जा सकता है।

इनडिपेंडेंट थिंकिंग स्किल - यह स्किल सबसे बढ़िया मानी गयी हैं, कई बार परिस्थिति ऐसी आ जाती है जब हम उसे समय पर छोड़ देते है ताकि समय के साथ कुछ चीजें बदल जाए, तो समस्‍या का समाधान अपने आप निकल जाता है। उदाहरण के रूप में देखें तो फैक्ट्री के मजदूरों को कुछ समय के लिए अगर छोड़ दिया जाता, तो वो जॉब के खुद ही अरजेसमेंट करने में सक्षम हो जाते हैं।

सिविल सेवक का व्यक्तित्व समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणा का विषय है इसीलिए एक सिविल सेवक के रूप में हमेशा ही हमें अपने दायित्वों का निर्वाहन सत्यनिष्ठा, ईमानदारी तथा पारदर्शिता के साथ करना चाहिए l