क्या सच में UPSC की तैयारी समय की बर्बादी है?


UPSC हमारे देश में एक क्रेज नहीं बल्कि एक दीवानगी है। बहुत से युवा सब कुछ छोड़कर इस परीक्षा की तैयारी में 8 से 10 साल बिताते हैं। लेकिन आज अचानक से इसको लेकर एक अलग बहस छिड़ी हुई है। और इस बहस का कारण है  देश के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद  के सदस्य संजीव सान्याल का एक बयान। वास्तव में, संजीव सानियाल ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में पांच से आठ वर्ष लगाने को 'युवा ऊर्जा की बर्बादी' बताया है। और अब इस मुद्दे पर एक बहस शुरू हो गयी है। इस विचार के पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ से लोगों ने अपने तर्क खुल कर सामने रखें हैं और आज के वीडियो में हम इसी विचार का आकलन करेंगे।

अभी कुछ दिनों पहले संजीव सान्याल ने X प्लैटफ़ार्म पर यूपीएससी को लेकर अपनी राय राखी जिसमे उन्होने कुछ महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं। उनका कहना था कि यूपीएससी की तैयारी करना एक बात है और यदि कोई इसकी तैयारी करना चाहता है तो उसे ऐसा जरूर करना चाहिए, लेकिन ऐसा सिर्फ उन लोगों को करना चाहिए जो वाकई में प्रशासकीय सेवा में आना चाहते हैं। उन्होने यह भी कहा कि इसकी तैयारी में अपने आठ से दस साल लगा देना बहुत चिंतनीय है। उन्होने आंकड़ों के माध्यम से भी यह समझाने की कोशिश की कि जिस उम्र में आप यूपीएससी की तैयारी करने बैठते हैं वो आपके जीवन के बेशकीमती साल होते हैं। इस दौरान आप ऊर्जा, क्षमता और ताकत से पूरी तरह भरे हुए होते हैं और आपके अंदर कुछ भी हासिल करने का जज्बा भरा हुआ होता है। लेकिन यदि आप अपने यही साल किसी ऐसी परीक्षा में लगा देते हैं जिसमे सफलता की संभावना 0.1 प्रतिशत से भी कम हो तो आप ना सिर्फ अपना नुकसान केआर रहे हैं बल्कि इससे देश की भी क्षति होती है।

हालांकि सान्याल के इस बयान की बहुत तरफ से निंदा भी हुई है और ये निंदा खास तौर पर उन लोगों की तरफ से आयी है जो खुद प्रशासनिक सेवा से सम्बद्ध हैं। उन्होने सान्याल से कहा है कि यह परीक्षा कई लोगों का सपना होता है और अपने सपनों को चेज़ करना कहीं से भी गलत नहीं हो सकता। उनकी बात भी सही है। हर इंसान सपने देखता है और अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष भी करता है और यदि वह सपने के पूरा होने तक वह संघर्ष करते रहना चाहता है तो इसमे गलत क्या है? आप खुद ही सोचिए कि क्या आप ऐसे लोगों के बारे में नहीं सुनते रहते हैं जिन्होने अपने लास्ट अटैम्प्ट या सेकंड लास्ट अटैम्प्ट में इस परीक्षा में सफलता हासिल की है और सोचिए कि यदि वे भी पहले ही हार मान कर पीछे हट गए होते तो उनका ये सपना जीवन भर एक सपना ही रह जाता।

लेकिन इसका एक दूसरा पक्ष भी है। अभी कुछ ही दिन पहले, मैं एक स्टैंड अप कॉमेडी देख रही थी जिसमे एक स्टैंड अप आर्टिस्ट अपनी यूपीएससी Preparation की कहानी बता रहा था। उसने बहुत हंसी मज़ाक में अपना Experience Share किया। लेकिन उसकी एक बात मुझे बहुत हिट की। उसने कहा कि जब आप दिल्ली आते हो न यूपीएससी की तैयारी करने के लिए तो सबसे पहले आप जाते हैं मुखर्जी नगर और ओल्ड राजेंद्र नगर जैसे इलाकों में। अब इन इलाकों की खास बात ये है कि यहाँ आने के लिए तो बहुत से रास्ते हैं लेकिन यहाँ से बाहर निकलने का रास्ता आपको नहीं मिलेगा। हालांकि उस वक़्त तो लोगों को ये लाइन मज़ाक लगी लेकिन मुझे पता है कि उसकी ये बात कितनी सच है। वो स्टैंड अप आर्टिस्ट तो बहुत जल्द ही ये समझ गया कि वो यूपीएससी के लिए नहीं बना है और उसने उस जगह की आदत लाग्ने से पहले ही खुद को वहाँ से निकाल लिया। मैं उसका नाम तो नहीं बताऊँगी लेकिन इतना जरूर कह सकती हूँ कि आज वो एक बेहद सफल स्टैंड अप आर्टिस्ट है जिसके Shows भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी Houseful होते हैं। उस शो से घर लौटते वक़्त मैंने ये भी सोचा कि यदि ये बंदा यूपीएससी की लत पाल लेता तो आज वो भी उस भीड़ में खो कर रह जाता और देश को इतना बढ़िया आर्टिस्ट नहीं मिल पाता।

तो दोस्तों, मेरे कहने का मतलब यही है कि यूपीएससी की तैयारी करना एक बात है लेकिन यदि आपको इसकी लत लग जाए तो ये आपकी जिंदगी भी बर्बाद कर सकता है क्योंकि साल दर साल आप इस परीक्षा की तैयारी करते रहते हैं और अपने असली टैलंट की कहीं न कहीं धीमे धीमे हत्या करते रहते हैं। यदि आपको लगता है कि आप प्रशासकीय सेवा के लिए बने हैं तो बेशक आपको इसकी तैयारी करनी चाहिए लेकिन यदि आप अपनी चाहत को अपनी जिद बना लेंगे तो शायद आप भी मुखर्जी नगर और ओल्ड राजेंद्र नगर की भीड़ का एक हिस्सा भर बन कर रह जाएंगे। याद रखिए कि देश की सेवा सिर्फ फौज या Administration में रह कर ही नहीं की जा सकती बल्कि आप एक सफल Artist बन कर, एक Businessman बन कर, अपना स्टार्ट अप शुरू करके भी आप देश की भरपूर सेवा कर सकते हैं। अब ये आपको तय करना है कि आप वाकई देश की सेवा करना चाहते हैं या फिर आप बस जिद में यूपीएससी की तैयारी करना चाहते हैं।