Bharat Ki Rajvyavastha "भारत की राजव्यवस्था" for Union and State Public Service Commissions UPSC Examination Book in Hindi
प्रस्तुत पुस्तक 'भारत की राजव्यवस्था' संघ एवं राज्य लोक सेवा आयोगों द्वारा आयोजित परीक्षाओं ( की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी है। पुस्तक भारतीय शासन प्रणाली के संघात्मक तथा एकात्मक दोनों रूपों का विवरण प्रस्तुत करने के साथ ही संविधान को लागू करने तथा संविधान में दिए गए जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र आदि से संबंधित मुद्दों, उनसे संबंधित नियमों तथा अधिनियमों को भी वर्णित करती है। इसमें भारत के संवैधानिक विकास, संविधान की विशेषताएँ, प्रस्तावना, संघ और उसके राज्य क्षेत्र, नागरिकता, मूल अधिकार राज्य के नीति-निदेशक तत्त्व, मूल कर्त्तव्य, संघीय मंत्रिपरिषद और उसके विविध पक्ष, संसदीय समितियां, केंद्र-राज्य संबंध, राज्य मंत्रिपरिषद् और मुख्यमंत्री, केंद्र-शासित प्रदेशों का प्रबंधन, राज्यों से संबंधित विशेष प्रावधान, संविधान संशोधन की प्रक्रिया, अब तक हुए संविधान संशोधन, स्थानीय स्वशासन, न्यायिक समीक्षा, न्यायिक सक्रियता और जनहित याचिका, निर्वाचन आयोग, संघ लोक सेवा आयोग, राजनीतिक, संवैधानिक एवं संसदीय शब्दावली, ई-शासन, कॉर्पोरेट गवर्नेंस तथा शासन के विविध पक्षों पर विश्लेषणात्मक सामग्री प्रस्तुत की गई है। साथ ही, अभ्यर्थियों की सुविधा हेतु परीक्षा पैटर्न एवं अध्यायवार रुझान की जानकारी देने के लिए विगत वर्षों के प्रश्नों का भी समावेश किया गया है।
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About the Author
डॉ. वीरेंद्र प्रसाद (IAS)
शिक्षा : पशु चिकित्सा विज्ञान में स्नातकोत्तर, दूरस्थ शिक्षा द्वारा अर्थशास्त्र एवं वित्तीय प्रबंधन में स्नातकोत्तर ।
रुचि : बागवानी, लेखन, साहित्य, संगीत आदि।
व्यक्तित्व : भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित होने के उपरांत डॉ. वीरेंद्र प्रसाद ने बिहार के विभिन्न जिलों में जिला पदाधिकारी के रूप में प्रशासनिक दायित्व का निर्वहन किया है। डॉ. वीरेंद्र प्रसाद प्रशासनिक दायित्वों के निर्वाह के साथ-साथ अवकाश के समय में सिविल सेवा की तैयारी कर रहे जरूरतमंद छात्र/छात्राओं का व्यक्तिगत मार्गदर्शन भी करते रहते हैं। इनके दिशा-निर्देश में एवं इनके द्वारा उपलब्ध कराई गई प्रतियोगी पुस्तकों का अध्ययन कर अब तक कई छात्र/छात्राएं अंतिम रूप से सफलता हासिल कर केंद्र या राज्य सरकार के उच्च स्तरीय पदों पर पदस्थापित हैं।
प्रशासनिक दक्षता एवं बहुमुखी प्रतिभा के धनी, प्रकृति प्रेमी, मृदुभाषी, मिलनसार एवं आशावादी व्यक्तित्व वाले डॉ. वीरेंद्र न केवल प्रतियोगी पुस्तकों के लेखक और मार्गदर्शक हैं, बल्कि साहित्य जगत् के चिर-परिचित हस्ताक्षर भी हैं ।