UPSC के अनुसार कौन होगा Select


आज हम ऐसे मुद्दे पर बात करेंगे जिन पर शायद और कोई बात नहीं कर रहा है। बात यूपीएससी और इसकी तैयारी के बारे में ही होंगी लेकिन फिर भी आज का यह वीडियो थोड़ा अलग है। आज हम बात करेंगे कि आखिर क्यों अधिकांश लोग इस परीक्षा में बैठने से पहले ही अपनी Disqualification तय कर देते हैं। जी हाँ, आपने सही सुना अधिकांश स्टूडेंट तैयारी तो करते हैं लेकिन उन्हें यह पता ही नहीं होता कि उनकी तैयारी में एक बहुत फंडामैंटल मिस्टेक हो रही है। और यह फंडामैंटल मिस्टेक है यूपीएससी की डिमांड को नहीं समझ पाने की।

दोस्तों, आप में से अधिकांश लोग ऐसे ही होंगे जो यूपीएससी को किसी और तरह की परीक्षा समझ कर इसकी तैयारी शुरू कर देते हैं। यानि परीक्षा का सिलैबस देखा, उसके बुक्स खरीदे और बस शुरू हो गए। लेकिन वे यह नहीं समझ पाते कि आखिर यूपीएससी को आपसे वाकई में क्या चाहिए? जरा सोचिए कि आप परीक्षा में इतिहास, भूगोल, समाजशास्त्र जैसे विषयों की तैयारी करते हैं लेकिन जब आप कलेक्टर बन कर किसी जिले में काम करना शुरू करेंगे तो क्या आपको उस जगह का इतिहास लिखने को कहा जाएगा? नहीं ना।  और इसी तरह आपको उस जिले के नक्शे बनाने को कहा जाएगा। तो आखिर यूपीएससी इन विषयों की परीक्षा क्यों लेती है? इसका जवाब है कि यूपीएससी दरअसल आपके ज्ञान के साथ साथ वह आपके मस्तिष्क, आपके विचार और आपके चरित्र, इन तीनों की जाँच-परख करता है।

आपमे से अधिकांश लोग इस गूढ तथ्य को समझ नहीं पाते और आपका सफर यूपीएससी Aspirant से शुरू हो कर UPSC Aspirant तक ही रह जाता है। तो यदि आप भी चाहते हैं कि आपकी तैयारी में भी वो धार आए जो यूपीएससी आपमे ढूंढ रही है तो कुछ बातों को समझना पड़ेगा।

दिमाग की स्पष्टता – दोस्तों, आपने अक्सर यह महसूस किया होगा कि परीक्षा में जब आप सवाल पढ़ते हैं तो सवाल पढ़ते पढ़ते आपको लगता है कि आप इसका जवाब जानते हैं लेकिन जैसे ही आप विकल्प को Observe करना शुरू करते हैं तो आपको पता चलता है कि विकल्प A तो सही लेकिन विकल्प B भी गलत नहीं लग रहा। यानि तब आपको समझने में दिक्कत महसूस होने लगती है कि इनमें से सही कौन-सा है। इसके पीछे एक ही कारण है कि अपने जो पढ़ा है आप उसके बार में पूरी जानकारी नहीं रखते और इसलिए आप उसके बार में पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं।


तेज गति से सोचना और काम करना - जैसा कि आपको मालूम ही है, 120 मिनट का समय होता है और उसमें सामान्यतया सामान्य अध्ययन के सौ प्रश्न तथा सी-सेट के अस्सी प्रश्न हल करने होते हैं। यानी कि एक प्रश्न के लिए सवा से डेढ़ मिनट का समय मिलता है। अब दोस्तों, ये सवाल ऐसे होते हैं कि इनका जवाब तो हर कोई दे दे लेकिन यूपीएससी को सिर्फ जवाब नहीं बल्कि तेज गति से सही जवाब चाहिए। दरअसल यूपीएससी को एक प्रशाशक चाहिए जो दबाव में भी तेजी से और सही निर्णय रखने की क्षमता रखता हो। इसलिए आपको भी इस पक्ष पर काम करना शुरू कर देना चाहिए।


याददाश्त – परीक्षा में सबसे महत्वपूर्ण पक्ष तो यही है कि वहाँ आपको अपनी याददाश्त के भरोसे पर ही अपियर हो पड़ता है। लगभग एक तिहाई प्रश्न तो ऐसे होते ही हैं कि यदि आपके मस्तिष्क में याद रखने की क्षमता नहीं है, तो आप उन्हें हल नहीं कर सकेंगे। समसामयिक घटनाओं से जुड़े हुए प्रश्नों के साथ यह बात विशेष रूप से लागू होती है।


फोकस – परीक्षा में पूछे जाने वाले हर सवाल का एक एक शब्द बहुत महत्वपूर्ण है। कई बार इन शब्दों के फेर में ही खेल हो जाता है। आपको लगता है कि आपने सही जवाब दिया है लेकिन प्रश्न को ध्यान से न पढ़ने के कारण आप उनका मर्म नहीं समझ पाते और आपका जवाब गलत हो जाता है। यदि आपका दिमाग पूरी तरह से Focused नहीं होगा तो परीक्षा में गलतियाँ होंगी ही और आप ना चाहते हुए भी रेस से बाहर हो जाएंगे।


निर्णयन की क्षमता - वैसे यदि हम प्रारम्भिक परीक्षा के उलझन भरे विकल्पों में से सही विकल्प दिए जाने की चुनौती को चरित्र के रूप में समझने की कोशिश करें, तो इसे एक प्रकार से सही निर्णय लेने की क्षमता से जोड़कर देखा जा सकता है। एक प्रशासक की सबसे बड़ी सफलता इसी बात पर निर्भर करती है कि वह अपने जीवन में कितने सही निर्णय लेता है। आप निर्णयन से संबंधित प्रश्नों के विकल्पों को देखिए, आपको कोई भी विकल्प गलत नजर नहीं आएगा लेकिन इसका अर्थ यह कतई नहीं कि सारे विकल्प सही हैं। उनमें से एक विकल्प वह होता है, जो सबसे अधिक सही होता है और सच्चे अर्थों में वही सही उत्तर भी होता है। जाहिर है कि सर्वोत्तम निर्णय ही सर्वोत्तम परिणाम दे सकते हैं।