UPSC Prelims पास करने के बाद 80 % लोग Mains Fails क्यो हो जाते है


यूपीएससी की प्रिलिम्स परीक्षा में ज़्यादातर छात्र Disqualified हो जाते हैं और दस लाख में से मेंस में लगभग 15000 लोगों को ही बैठने का मौका मिलेगा और मेंस के बाद लगभग ढाई हज़ार Candidates को ही इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है। यह तो हुई आंकड़ों की बात। लेकिन इन आंकड़ों में सोचने वाली बात यह है कि आखिर ऐसा क्यों है कि प्रिलिम्स में क्वालिफाइ करने के बाद भी क्यों लगभग 80 प्रतिशत Candidates मेंस के बाद यूपीएससी की दौड़ से बाहर हो जाते हैं? क्या मेंस की परीक्षा इतनी मुश्किल है या फिर Candidates ही कुछ ऐसी गलतियाँ कर देते हैं जो उनके रेस से बाहर हो जाने का कारण बनता है? आइए जानते हैं आज के Blog में।

तो जैसा कि हम बात कर रहे थे कि मुख्य परीक्षा में लगभग 80 प्रतिशत लोग ऐसे होते हैं जो परीक्षा से बाहर हो जाते हैं और सवाल ये था कि आखिर ऐसा होता क्यों है? क्या मेंस के पैटर्न के कारण या फिर उनकी अपनी गलतियों के कारण। तो इसका जवाब है दोनों के कारण। जी हाँ मेंस का पैटर्न प्रिलिम्स से बिलकुल अलग होता है और इस पैटर्न के कारण स्टूडेंट्स कुछ ऐसी गलतियाँ कर देते हैं जो उनके Disqualification का कारण बन जाती हैं।

हर विषय की तैयारी है जरूरी - इन गलतियों में सबसे बड़ी गलती होती है परीक्षा के पैटर्न को समझना। इस परीक्षा में कुल नौ पेपर होते हैं और आपको इन सभी पेपर को अलग अलग ढंग से Prepare करना होगा और सबके लिए अलग अलग समय भी निकालना होगा। मुख्य परीक्षा में जीएस, लैंग्वेज और ऑप्शनल पेपर भी होता है. ऐसे में एक साथ आप सभी पेपर की तैयारी नहीं कर सकते हैं. इसलिए यह ध्यान रखें कि मेंस की तैयारी शुरू करने से पहले एक टाइम टेबल तैयार करें. हर एक पेपर के लिए एक समय निर्धारित कर लें और उसी के अनुसार तैयारी करें।

आंसर लिखने की प्रैक्टिस है जरूरी - मेंस की तैयारी करने वाले कैंडिडेट्स को आंसर लिखने की ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिस करना जरूरी है। वहीं, हो सके को आंसर लिखकर अपने किसी मेंटर या साथी से इसे चेक करवाना आपके लिए बेहतर रहेगा। इससे आपको अपनी छोटी-छोटी गलतियों के बारे में पता लगेगा, ताकि वक्त रहते आप उसमें सुधार कर सके।

आंसर लिखते समय इन टिप्स का रखें ख्याल -

• पेपर हाथ में आने के बाद सबसे पहले ध्यान से पूरा पेपर पढ़ लें। 

• अब अगले चरण में सवालों को तीन कैटेगरी में बांट लें। एक जो अच्छे से आते हैं, दूसरे जो थोड़ा-बहुत लिखे जा सकते हैं और तीसरे जो बिलकुल भी नहीं आते। 

• इसी हिसाब से परीक्षा के टाइम को सेक्शन के मुताबिक बांटकर हर सवाल के लिए समय तय कर लें। 

• कोशिश करें की तय समय के अंदर ही जवाब लिखकर खत्म कर लें। आप पाएंगे की जिन सवालों के जवाब अच्छे से आते हैं उनके लिए आपको ज्यादा समय मिल गया है। 

• सवाल ठीक से समझने के बाद ही आगे बढ़ें और जो पूछा गया है, वो ही लिखें ना की वो जो आपको आता है। 

• शुरू के उत्तरों को जितना बढ़िया लिख सकते हैं उतना बढ़िया लिखें. इससे एग्जामिनर पर आपका प्रभाव बढ़िया पड़ता है। 

• परफेक्ट आंसर जैसे किसी भ्रम में न पड़ें और न ही परफेक्शन की चाह से उत्तर लिखें. अपना अधिकतम दें और नतीजों की फिक्र न करें। 

• पेपर और सवाल के मुताबिक अधिक से अधिक फैक्ट्स, फीगर्स कोट करें. डायग्राम बनाएं, फ्लोचार्ट बनाएं और कोट्स आदि देकर उत्तर को ठीक से सजाएं। 

• एक ही तरह का पेन इस्तेमाल करें और बहुत रंग कॉपी में न भरें. अधिक से अधिक नीला और हेडिंग आदि के लिए ब्लैक पेन इस्तेमाल कर लें। 

• डायग्राम के लिए पेंसिल का प्रयोग कर सकते हैं और लेबलिंग जरूर करें। 

• विषय से भटकें नहीं और शब्द सीमा का भी ख्याल रखें।

रेगुलर दें Mock Test - तैयारी को और बेहतर बनाने के लिए खुद का आंकलन जरूर करें. इसके लिए आप रेगुलर मॉक टेस्ट देते रहें. रेगुलर मॉक टेस्ट देने के लिए आप किसी भी अच्छे इंस्टिट्यूट के मॉक टेस्ट ले सकते हैं।

नोट मेकिंग - इन सबके अलावा इस परीक्षा को पास करने के लिए सबसे जरूरी है कि आप जो कुछ भी पढ़ें, आप उसके नोट्स जरूर बनाएं। नोट्स बनाने का असली फायदा यह है कि लास्ट समय में रिवीजन करने के लिए वो नोट्स सबसे मददगार साबित होते हैं |