क्यों पढने वाले विद्यार्थी Prelims फेल हो रहे हैं


हम सब लोग ऐसे कई यूपीएससी Aspirants को जानते हैं जो परीक्षा से पहले यूपीएससी के तगड़े दावेदार माने जाते हैं, सब लोग उनके पास अपने Doubts क्लियर करने जाते हैं और हर कोई यही मानता है कि यार किसी और का Selection हो न हो, इसका तो जरूर हो जाएगा लेकिन जब परीक्षा के रिजल्ट्स आते हैं और सबको हैरानी होती है कि उस प्रबल दावेदार का तो प्रिलिम्स ही क्लियर नहीं हुआ। किसी को समझ नहीं आ रहा होता कि आखिर ऐसा कैसे हो गया कि जिसको Final List का दावेदार माना जा रहा था वह कैसे पहले ही राउंड में रेस से बाहर हो गया? आइए जानते हैं आज के Blog में।

दोस्तों, प्रिलिम्स एक बेहद Tricky राउंड होता है और इसमे सफल होने के लिए आपको सवालों का सही और सिर्फ सही जवाब देना होता है। कहने का मतलब यह है कि इस परीक्षा में आपका जवाब या तो पूरी तरह सही है या फिर पूरी तरह गलत है। इसमे बीच का कोई रास्ता नहीं होता और या तो आपको 2 अंक मिलेंगे या फिर आपके 2/3 अंक कट जाएंगे। इस चक्रव्युह को भेदने के लिए यह जरूरी है कि परीक्षा हाल में आपके सामने जो सावल हैं उनके जवांब आपको अच्छी तरह से याद हों वरना गलती होना अवश्यंभावी है। अब यह तो आप भी जानते हैं कि प्री के अधिकांश सवाल डाइरैक्ट नहीं होते बल्कि आपको कई कथनों में चुनने होते हैं। अब इस पैटर्न में सही जवाब आप तभी दे सकेंगे जब आप Concepts में पूरी तरह से स्पष्ट हों और न सिर्फ Concepts में क्लियर हों बल्कि उन्हें परीक्षा के दिन याद भी रख सकें।

तो अब सवाल उठता है कि आखिर परीक्षा में याद क्यों नहीं रहता? इसका सबसे बड़ा कारण है रिवीजन की कमी।  किसी भी विषय को सीखने और काफी समय तक याद रखना चाहते हैं तो रिवीजन सबसे अच्छा तरीका है। हालांकि कई उम्मीदावर ऐसा करते हैं और अपने दैनिक दिनचर्या में इसका पालन करते हैं, लेकिन कई इसे उतनी गंभीरता से नहीं लेते। दुविधा में रहने वाले सभी उम्मीदवारों के लिए इस तथ्य के वैज्ञानिक सबूत हैं कि ‘पुनरावृत्ति से आपकी याद्दाश्त में तेजी से सुधार होता है’ । 'कुछ समयांतराल पर पुनरावृत्ति द्वारा सीखने (Learning by Spaced Repetition)' के सिद्धांत के अनुसार– औसत मनुष्य यदि उचित तरीके से रिवीजन नहीं करता तो वह अपनी सीखी गई बातों का करीब 90% भूल जाता है।

इसलिए जब बात सभी प्रवेश परीक्षाओं में से सबसे कठिन परीक्षा में पास होने की आती है तो आईएएस बनने की इच्छा रखने वाले सभी उम्मीदवारों के लिए सुनियोजित पुनरावृत्ति सारणी बनाना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। पुनरावृत्ति के लिए आदर्श समय– सारणी हो सकती है– साप्ताहिक/ पाक्षिक/ मासिक/ द्वि–मासिक। कुछ दिनों के लिए इसे अपना कर देखें और अपनी याद्दाश्त  के अनुसार समय अवधि निर्धारित करें। इसके अलावा अलग– अलग पुनरावृत्ति रणनीतियां होती हैं जिन्हें आप अपनी जरूरतों के अनुसार अपना सकते हैं।

इसके अलावा और भी कुछ तरीके हैं जिनसे आप पाठ को आसानी से याद रख सकते हैं –


याद्दाश्त में सुधार के लिए एक और बेहद कम इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक है – दूसरों को सिखाना। यदि आप अपने अध्ययन समूह में दूसरों को खास विषय पढ़ाते/ सिखाते हैं, तो आप अपनी जानकारी को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करेंगे और मजबूत तर्क तैयार करेंगे। इसके अलावा दूसरों को सिखाने के दौरान आपने जो जानकारी दूसरों के साथ साझा की है वही आपके दिमाग में फिर से आएगी।

अपनी याद्दाश्त में सुधार लाने का एक और प्रभावशाली तरीका अलग– अलग तथ्यों, आंकड़ों और जानकारियों के बीच अपने मन में नक्शे या सह–संबंध बनाना होगा। जैसे, भारत में 1975 से 1977 की आपतकाल अवधि के बारे में जब पढ़ाने बैठें तो देश में लागू की गई चौथी और पांचवीं पंचवर्षीय योजनाओं के विवरणों को भी पढ़ें। इसके अलावा राजनीतिक कारणों पर गौर करने से आपको भारत में आपतकाल लगाने के कुछ आर्थिक कारण भी पता चल जाएंगे।

अपनी याद्दाश्त को सुधारने का एक और आसान तरीका हो सकता है– खुद से सवाल– जवाब करना। इसके लिए आपको विषयों, अध्याय या अवधारणा, जिन्हें आप इस सत्र में पढ़ने की योजना बना रहे हैं, पर विस्तृत प्रश्नोत्तरी तैयार करना चाहिए। इसके बाद आप प्रश्न के आधार पर विषय की तैयारी करें जैसा कि आप सामान्य रूप से करते हैं। तैयारी कर लेने के बाद, थोड़ा अवकाश लें और फिर आपने जो तैयारी की है उसकी मदद से खुद से सवाल– जवाब करें।

और अंत में, याद रखिए कि शरीर के अन्य हिस्सों के जैसे ही, आपका मस्तिष्क भी थकता है। आप इसका जितना ही अधिक इस्तेमाल करते हैं, उसे वापस अपनी शक्ति प्राप्त करने में उतने ही आराम की जरूरत होती है। इसलिए पूर्ण अध्ययन सत्र के बाद अपने मस्तिष्क को पर्याप्त आराम देना न भूलें।