क्या UPSC के नाम पर धोखा है मुखर्जी नगर ?


यदि मैं आपसे पूछोन कि यूपीएससी की Preparation का ख्याल आते ही आपके मन में सबसे पहला नाम कौन सा आता है तो शायद आप बिना एक पल भी गँवाए, कहेंगे – मुखर्जी नगर। जी हाँ, दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी का मक्का कही जाने वाली जगह यानि मुखर्जी नगर। यदि आप यहाँ रहते हैं तो आप यहाँ के माहौल से अच्छी तरह वाकिफ भी होंगे लेकिन यदि आप यहाँ नहीं रहते हैं तो भी आपने इसके बारे में सुना जरूर होगा। दिल्ली के उत्तर पश्चिमी इलाके में स्थित, मुखर्जी नगर वो इलाका है जहां देश के अलग अलग हिस्सों से लोग यूपीएससी की तैयारी करने आते हैं और फिर यही के हो के रह जाते हैं। तभी तो कहते हैं कि मुखर्जी नगर में आना तो आसान है लेकिन यहाँ से निकलना बहुत मुश्किल।

जब आप पहली बार मुखर्जी नगर में प्रवेश करेंगे तो आपके अंदर एक ऊर्जा होती है, हर जगह आपको सिर्फ कोचिंग, पीजी, Classes के ही Posters नज़र आते हैं और आपको लगता है कि बस अब मेहनत करके यही से अपनी सपनों को पूरा कर लेना है। लेकिन धीरे धीरे आपका समान सच्चाई से होता है। जब आप बाहर निकलते हैं तो आप को हर जगह Students की भरमार नज़र आती है। चाहे चाय की प्याली हो, या नाश्ते की प्लेट या फिर Xerox वाले नोट्स, हर समय हर मौके पर एक ही चर्चा होती रहती है – यूपीएससी। जीवन के हर आयाम में बस और बस यूपीएससी की छाप। फिर आपको पता चलता है कि जो सपना लेकर आप आए थे वो ही सपना लेकर लाखों स्टूडेंट्स यहाँ आ चुके हैं और अब यहीं बस गए हैं और अब आप भी सी भीड़ का हिस्सा बन चुके हैं।

मुखर्जी नगर में संघर्ष सिर्फ पढ़ाई का ही नहीं है। यहां रह कर तैयारी करने लिए सालाना कम से 4 से 5 लाख रुपये का खर्च है। एक स्टूडेंट के कोचिंग की फीस ढाई से तीन लाख रुपये है। 10 से 12 हजार रुपये महीने का कमरा। एक स्टूडेंट का हर महीने कम से कम 18 से 20 हजार रुपये का खर्च है। उनका मानना हैं कि यहां कोचिंग लेने से पहले स्टूडेंट्स को कम से कम दो या चार महीने सिर्फ यहां आकर रहना चाहिए। माहौल को समझना चाहिए। यहां रहने, खाने, पढ़ने के साथ हर स्तर पर अलग तरह का संघर्ष है। अब जो स्टूडेंट्स यहाँ तैयारी करने आते हैं उनमे से अधिकांश गरीब घरों से आते हैं और वे अपनी जमीन जेवर बेच कर तैयारी करने आते हैं। ऐसे में तैयारी करते समय उनके मन में यह बात हमेशा चलती रहती है कि यदि कलेक्टर नहीं बन सके तो घर किस मुंह से जाएंगे और इसी चिंता में उनका परफॉर्मेंस बाद से बदतर होता चला जाता है।

मेहनत के हिसाब से सफलता नहीं मिलती है, तो स्टूडेंट्स डिप्रेशन में डूबते चले जाते हैं। और हमारे देश में आज भी डिप्रेशन को बहुत हल्के में लिया जाता है। पहले तो लोग इसे कोई बीमारी ही नहीं समझते और जब तक यह समझ में आता है तब तक इसका शिकार व्यक्ति ऐसी अवस्था में चला जाता है जहां से वापस लौटना बेहद मुश्किल हो जाता है। यहाँ रहने वाले कई छात्र डिप्रेशन में जा कर या तो नशे की चपेट में चले जाते हैं या फिर उनके मन में अत्महत्या जैसे ख्याल आने लगते हैं और कई तो ऐसे भी होते हाँ जो अपना मानसिक संतुलन ही खो देते हैं। और सबसे बड़ा दुख इस बात का है कि मुखर्जी नगर इन बातों को समझ कर उनके साथ सहानुभूति रखने की बजाय उनका उपहास करता है। उन्हें तरह तरह के तानों से दो - चार होना पड़ता है और उनके कई निक नेम्स धर दिये जाते हैं। आप खुद ही सोचिए कि एक इंसान जो पहले से ही गिरा हुआ है। जो पहले ही अपनी असफलतों का बोझ अपने ऊपर लिए घूम रहा है यदि उसको सहारा देने की बजाय उसका मज़ाक बनाया जाए तो वह मानसिक रूप से कुछ भी करने की स्थिति में होगा क्या? नहीं ना, लेकिन मुखर्जी नगर में यह सब बेहद आम है।

तो दोस्तों, मुखर्जी नगर कहने को तो यूपीएससी की तैयारी का सबसे बड़ा गढ़ है लेकिन इस गढ़ में कई कोने ऐसे भी हैं जिंका रंग बेहद स्याह है और यदि आप यहाँ थोड़ा भी फैसले तो यह कालिख आपके ऊपर भी पूत जाएगी जिसे छुड़ाना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा।