UPSC परीक्षा की तैयारी करते समय Aspirant किन-किन मानसिक परिवर्तनो से गुजरते हैं


दिल्ली में कुछ जगह हैं – मुखर्जी नगर, ओल्ड राजेन्द्र नगर, लक्ष्मी नगर जो यूपीएससी की तैयारी के लिए ही प्रसिद्ध हैं। यदि आप इन जगहों पर घूमेंगे तो हर जगह आपको सिर्फ स्टूडेंट्स ही दिखाई देंगे। देश के हर कोने से स्टूडेंट्स इन इलाकों में एक सपना ले कर आते हैं और इस सपने को पूरा करने के लिए दिन रात एक करते रहते हैं। उनका हर दिन एक नयी प्रकार की जंग होती है जिन्हें उन्हें हर दिन ही जीतना पड़ता है। उनका हर दिन का यह संघर्ष एवरेस्ट की चढ़ाई से कम नहीं होती। ऐसे में हर दिन Aspirants अलग अलग प्रकार की मानसिक अवस्थाओं से गुजरते हैं। आज के Blog में हम इसी विषय पर बात करेंगे।

एक रिसर्च के दौरान  साल 2022 से लेकर 2023 तक लगभग 203 यूपीएससी के अभ्यर्थियों का सर्वे किया गया. इस रिसर्च में परीक्षा, कोचिंग, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति, इमोशनल परेशानियां और नींद के घंटे जैसे सवालों के जरिए मानसिक स्थिति को परखा गया है। इस सर्वे में 53.3 प्रतिशत लोगों ने इस बात को माना है कि कुछ हद तक उनका मानसिक स्वास्थ्य खराब है. इसमें उनकी कमजोर आर्थिक स्थिति सबसे बड़ी समस्या है.  इसी सर्वे में 16 प्रतिशत छात्रों ने अपनी मेंटल हेल्थ को बहुत अच्छा, 29 प्रतिशत ने अच्छा, 28 प्रतिशत ने खराब और 25 प्रतिशत छात्रों ने बहुत खराब बताया है. वहीं 2 प्रतिशत छात्र ऐसे भी हैं जो अपनी मेंटल हेल्थ को लेकर कुछ कहने की स्थिति में नहीं थे।

जब अभ्यर्थियों से उनके शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में सवाल किया गया तो 36 प्रतिशत अभ्यर्थियों ने अपने शारीरिक स्वास्थ्य को कुछ हद तक खराब या खराब बताया.इस सवाल के जवाब में 22 प्रतिशत अभ्यर्थियों अपने स्वास्थ्य को बहुत अच्छा, 41 प्रतिशत अच्छा, 21 प्रतिशत खराब और 15 प्रतिशत बहुत खराब बताते हैं.वहीं 1 प्रतिशत अभ्यर्थियों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।

मानसिक सेहत दरअसल एक होलिस्टिक मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक तौर पर स्वस्थ और संतुष्ट होने का पैमाना है। यू.पी.एस.सी के सन्दर्भ में इसके दायरे में तमाम सारे लक्षण हो सकते हैं। कुछ प्रत्यक्ष और कुछ अप्रत्यक्ष  जिनके साथ कई सारे पहलू जुड़े हुए हैं । मसलन परीक्षा की असफलता को खुद की असफलता से जोड़के देखने के कारण पैदा होने वाला गुस्सा और चिड़चिड़ापन एक आम लक्षण है। इसके अलावा पैनिक अटैक्स और एंग्जायटी डिसऑर्डर्स भी एस्पिरेंट्स में देखे जाते हैं। ये पैनिक अटैक्स कई बार व्यक्ति को न तो बैठने देते हैं और  बुरे सपने और स्लीप डिसऑर्डर्स भी दे सकते हैं।

नींद नहीं आना और मन में हर वक्त अतीत और भविष्य के बीच फंसे रहना; जहां पुरानी असफलताओं , रोज़गार के बाज़ार से अलग-थलग पड़ने और समाज और लोगों के तानों  का डर होता हो या फिर मूड की अस्थिरता जहां यू.पी.एस.सी परीक्षा को ही ज़िन्दगी का सर्वेसर्वा बना लिया जाता है और उसकी सफलता या असफलता; यहाँ तक कि मॉक टेस्ट्स के परफॉर्मन्स से खुद के मूड को जोड़ लेना-ये सभी अंततः मन की स्थिरता और फिर प्रोडक्टिविटी को प्रभावित करते हैं। जब यह मनःस्थिति गहराती है तो अवसाद का रूप भी ले सकती है जिसे तुरंत एक्सपर्ट सहायता और ध्यान देने की आवश्यकता है। कई दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों में परीक्षा में लगातार असफलता और यह अवसाद  एक अकेलेपन और गहरी निराशा की भावना डाल देता है। एस्पिरैंट ऐसे में आत्महत्या जैसा घातक कदम उठा लेते हैं।

यू.पी.एस.सी की तैयारी शुरू करने से पहले एस्पिरेंट्स को अपने सारे ऑप्शंस , संसाधनों  और परीक्षा के बारे में पूरी जानकारी के साथ  मानसिक मज़बूती का आंकलन ज़रूर कर लेना चाहिए। अगर आपकी मानसिक शान्ति और आत्मविश्वास के लिए आपका आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना ज़रूरी है, तो आपको उसके ऑप्शंस पर विचार ज़रूर करना चाहिए। हर अटेंप्ट के कुछ वक़्त पहले भी यह असेसमेंट होना चाहिए ताकि परीक्षा हॉल में आपकी मनःस्थिति एकदम मज़बूत हो चाहे एग्जाम और परिणाम की अनिश्चितताएं कैसी भी हो।

तमाम यू.पी.एस.सी एस्पिरेंट्स के अनुभव कई बार ये भी बताते हैं कि माता पिता और छात्रों दोनों स्तर पर काउंसलिंग की आवश्यकता है। कई बार मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियां आम परिवारों के सहयोग और साथ के बावजूद उनकी समझ के परे होती हैं और उन्हें सही समय पर पहचाना जाना ज़रूरी है। विशेषज्ञ  का परामर्श और थेरेपी की ज़रुरत हो तो बिना हिचकिचाहट लेना चाहिए क्यूंकि बिना सही पहचान हुए निदान होने में देरी और डैमेज दोनों घातक हो सकते हैं। अपने किसी दोस्त को भी आप इसमें मदद कर सकते हैं।

अपने इर्द-गिर्द सिर्फ यू.पी.एस.सी नहीं बल्कि अन्य करियर -क्षेत्रों के लोगों का दायरा भी बढ़ाना सहायक हो सकता है क्योंकि हर वक़्त एक ही किस्म की बातें करना भी दिमाग को दबाव में और कुंद कर देता है। इसके अलावा ऐसे दोस्त, पार्टनर या मेंटर जो आपके भीतर की क्षमताओं को परीक्षा ही नहीं बल्कि एक इंसान के तौर पर बेहतर समझ सकें-उनसे बातें करना भी हीलिंग होता है।