IAS से राजनेता बने 5 व्यक्तियों की शानदार सफलता की कहानी 


हमारे देश के Administrative Set UP में सिविल सेवा अधिकारी और राजनेता के बीच में एक सामंजस्य बना रहता है। देश को चलाने के लिए इन दोनों को साथ में मिल कर काम करना पड़ता है। और इस दौरान दोनों तबका एक दूसरे से काफी इंफ्लुएंस भी होते रहते हैं। ऐसे में यह बेहद आम है कि दोनों एक दूसरे के काम से प्रभावित हो कर उनके रोल में आना चाहें। अब एक राजनेता तो सिविल Servant बन नहीं सकता क्योंकि इसके लिए यूपीएससी की परीक्षा पास करनी पड़ती है और इसकी आयु सीमा भी निर्धारित है लेकिन एक सिविल सेवक के लिए राजनेता बनने में ऐसी कोई अडचन नहीं है और यही कारण है कि हमारी राजनीति में ऐसे कई सिविल सेवक हुए हैं जो राजनीति में आए हैं। आज हम ऐसे ही कुछ Civil Servants के बारे में बात करेंगे जो बाद में राजनेता बन गए।

आज हम आपको ऐसे आईएएस, आईएफएस और अन्य सिविल सेवकों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने देश की राजनीति में भी कदम रखा है। इन्होंने राजनीति में भी उतना ही कमाल दिखाया है जितना अपनी नौकरी में।

डॉ एस जयशंकर – भारत की विदेश नीति आज उस ऊंचाई पर पहुँच चुकी है जहां दुनिया के सभी देश भारत और भारतियों को बहुत सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। और इस सम्मान के पीछे बहुत बड़ा हाथ है वर्तमान में देश के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर का। एक पूर्व राजनयिक और विदेश सचिव, सुब्रह्मण्यम जयशंकर को 2019 में केंद्रीय विदेश मंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। भारतीय राजनीतिक क्षेत्र में आने से पहले, उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और चेक गणराज्य में राजदूत के रूप में कार्य किया। इस प्रख्यात पोर्टफोलियो के अतिरिक्त, वे सिंगापुर के उच्चायुक्त (2007–09) के रूप में भी कार्यरत रहे। जयशंकर ने भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते पर बातचीत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होने 1977 में विदेश सेवा जॉइन की थी और 2015 में सेवानिवृत्त होने के दो दिन पहले, जयशंकर को भारत का विदेश सचिव नियुक्त किया गया। वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री मोदी की कैबिनेट में उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया।

अरविंद केजरीवाल - केजरीवाल ने 1989 में आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 1992 में उन्होंने भारतीय राजस्व सेवा ज्वाइन की। कुछ साल बाद वह भारतीयों के लिए सूचना के अधिकार रखने के लिए प्रचारक बन गए और 2006 में उभरते नेतृत्व के लिए रैमन मैगसेसे अवॉर्ड जीता। 2011 में भ्रष्टाचार विरोधी जन लोकपाल आंदोलन में अन्ना हज़ारे के साथ केजरीवाल एक प्रमुख चेहरा थे और 2012 में आम आदमी पार्टी लॉन्च करने के लिए उन्होंने आंदोलन का इस्तेमाल किया। 2013 दिल्ली विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और केजरीवाल कांग्रेस के समर्थन के साथ मुख्यमंत्री बने। हालांकि, 49 दिनों बाद उनकी सरकार गिर गई, 2015 में उनकी पार्टी ने 70 में से 67 सीट जीतकर अभूतपूर्व बहुमत के साथ वापसी की। उनके नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के बाद पंजाब में भी प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई है और अब उनकी पार्टी एक राष्ट्रीय बन चुकी है।

हरदीप सिंह पूरी – हरदीप सिंह पूरी वर्तमान सरकार में पैट्रोलियम और प्रकृतिक गैस मंत्री हैं। इसके पहले वे एक आईएफ़एस अधिकारी रह चुके हैं। श्री पुरी ने 1974 में भारतीय विदेश सेवा ज्वाइन की और ब्रिटेन और ब्राजील में राजदूत के रूप में कार्य किया। वह जिनेवा के साथ-साथ न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के लिए भारत के स्थायी प्रतिनिधि भी थे और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के दो बार अध्यक्ष भी थे – अगस्त 2011 और नवंबर 2012 में । 2011-2012 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के आतंकवाद विरोधी समिति के चेयरमैन के रूप में सेवा प्रदान की। उन्हें 2017 में तत्कालीन सरकार में मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया था। हरदीप पुरी जनवरी 2014 में बीजेपी में शामिल हो गए और सितंबर 2017 में मंत्रियों की परिषद में शामिल किए गए।

अश्विनी वैष्णव - अश्विनी वैष्णव एक भारतीय राजनीतिज्ञ और पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं UPSC मे उनकी RANK 27 थी , वह IIT कानपूर के Student है, वाहा से उनोने M.Tec किया है जो वर्तमान में 8 जुलाई 2021 से भारत के रेल, संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के रूप में कार्यरत हैं[2]। वह एक भारतीय राजनीतिज्ञ और भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं। 28 जून 2019 से, वह राज्यसभा, ऊपरी सदन में ओडिशा राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाली भारत की संसद के सदस्य हैं। वह केंद्रीय मंत्री बने और उन्हें 07 जुलाई 2021 को रेल मंत्रालय और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री का पद दिया गया। वह मूल रूप से राजस्थान के पाली जिले में रानी के जीवनंद कलां गांव के रहने वाले हैं; बाद में उनका परिवार जोधपुर में बस गया।

शशिकांत सेंथिल - शशिकांत सेंथिल तमिलनाडु के रहने वाले हैं। वे 2009 बैच के आईएएस हैं। यूपीएससी की परीक्षा में वे तमिलनाडु के टॉपर और ऑल इंडिया में 9वीं रैंक पर थे। उन्हें कर्नाटक कैडर मिला था। सितंबर 2019 में सेंथिल ने आईएएस की नौकरी से इस्तीफा दे दिया और करीब एक साल बाद नवम्बर 2020 में वे कांग्रेस में शामिल हो गए। वर्ष 2021 में हुए तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में सेंथिल सेंट्रल वॉर रूम के चेयरमैन बने थे। उनके काम से कांग्रेस हाईकमान काफी प्रभावित हुआ। इसी वजह से भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कर्नाटक में राहुल गांधी और सिविल सोसायटी के बीच संपर्क की जिम्मेदारी सेंथिल को सौंपी थी।