UPSC में सफलता के लिए सही रणनीति ?


2023 की यूपीएससी परीक्षा का पहला चरण पूरा हो चुका है और इस बार लगभग दस हज़ार लोगों का चयन मेंस के लिए हुआ है। इस बार की परीक्षा के बाद एक बात तो स्पष्ट है कि अब पुराने ढर्रे पर चलते हुए तैयारी करना बहुत घातक हो सकता है। अब जब यूपीएससी ने अपने परीक्षा में सवालों का पैटर्न बदल दिया है तो जाहिर है कि आपको भी अपनी रणनीति भी उसी के अनुसार बदलनी पड़ेगी। वैसे भी आप बिना रणनीति के इस परीक्षा में बैठ नहीं सकते वरना साल दर साल आप फॉर्म भरते रहेंगे और साल दर साल आपकी यात्रा फॉर्म भरने से शुरू हो कर फॉर्म भरने पर ही खत्म हो जाएगी। तो क्या होनी चाहिए यूपीएससी की तैयारी की सही रणनीति?


फिलहाल नए शेड्यूल के हिसाब से कैंडीडेट्स को अपने तैयारी का पैटर्न बदलना होगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्रीलिम्स के बाद मेन्स की तैयारी की आदत अब भारी पड़ेगी। कैंडीडेट को चाहिए कि मेन्स की तैयारी एक साल पहले से ही शुरू कर दें। उसके साथ ही प्रीलिम्स की भी तैयारी करें। इसका फायदा यह होगा कि प्रीलिम्स और मेन्स के बीच का जो 3 महीने का समय मिलेगा, उसका इस्तेमाल रिवीजन के लिए कर सकेंगे।


साथ शुरू करें तैयारी- कैंडीडेट के लिए सबसे जरूरी है कि वह प्रीलिम्स को मेन्स से अलग करके न देखे। उसकी तैयारी भी मेन्स के साथ ही होनी चाहिए। प्रीलिम्स में 2 पेपर होते हैं। एक जरनल स्टडीज का और दूसरा ऐप्टिट्यूड का। जनरल स्टडीज की तैयारी आप अगर विस्तार से करते हैं तो उससे प्रीलिम्स भी कवर हो जाएगा। जब आपका प्रीलिम्स नजदीक आ जाए तो उस समय ऐप्टिट्यूड टेस्ट पर फोकस करें। ऐप्टिट्यूड की मैथ्स और इंग्लिश का नेचर सामान्यता 10वीं के स्टैंडर्ड का होता है। ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिस करें। क्वांटम, डेटा अनैलेसिस और इंग्लिश पर कमांड प्रैक्टिस से आएगी। पहले पेपर का वह पोर्शन टच करें जिसमें आपकी स्ट्रैंथ है।


जीएस बनेगा डिसाइडिंग फैक्टर- सिविल सर्विसेज का जो नया पैटर्न है उसमें जनरल स्टडीज अब डिसाइडिंग फैक्टर है। मेन्स में जीएस के चार पेपर होने हैं। इसलिए इसकी तैयारी पर खास ध्यान दें। तैयारी करने से पहले पेपर और क्वैश्चन का पैटर्न समझना सबसे जरूरी है। पिछले सालों के क्वैश्चन बैंक से इससे मदद मिल सकती है। से पहले पेपर और क्वैश्चन का पैटर्न समझना सबसे जरूरी है। पिछले सालों के क्वैश्चन बैंक से इससे मदद मिल सकती है। क्वैश्चन ओपनियन और एनालसिस से जुड़े पूछे जाते हैं। आप अपना कांसेप्ट क्लियर रखें।


टाइम मैनेजमेंट का ध्यान रखें - किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने तथा उसमें सफलता पाने में समय प्रबंधन का विशेष महत्व होता है, इसलिये तैयारी शुरु करने के प्रारंभिक दौर में यह सुनिश्चित करें कि एक दिन में आपके अध्ययन के समयावधि 4 से 5 घंटों से अधिक न हो। क्योंकि शुरुआत में हमें अध्ययन प्रकिया को भलीभांति समझना है, तत्पश्चात उचित मार्गदर्शन होने पर ही आपको अपने अध्ययन की समयावधि बढ़ानी चहिये। आप तैयारी के प्रारंभ से ही सुनिश्चित करें कि आप महत्वपूर्ण विवरणों, तथ्यों व जानकारियों के लिये प्रॉपर तरीके से नोट्स बना रहे हैं। उदाहरण के लिए: यदि आप शुरू में अध्ययन करने के लिए विषयों में से एक के रूप में इतिहास को चुना है, तो आप घट्ना/ईवेंट का नाम, स्थान (जहां घटना हुई थी), समय/काल, तिथि, उसकी अवधि तथा इसके साथ उससे जुड़े साम्राज्य, कॉलोनी, देश, समूह या लोग (व्यक्ति विशेष) इत्यादि जानकारियों को सारणीबद्ध रूप से कालानुक्रमिक घटनाओं की एक शीट बना रख सकते हैं, तथा संबंधित अतिरिक्त विषयवस्तु के लिये एक अतिरिक्त कॉलम भी बना सकते हैं।


डेली करेंट अफेयर भी है महत्वपूर्ण - यदि हम डेली करेंट अफेयर्स (दैनिक समसामयिकी) की बात करें, तो सिविल सेवा परीक्षा की एकीकृत अध्ययन योजना (Integrated Study Plan) में इनकी अति महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अभ्यर्थियों को इस बात का ध्यान रखना है कि, यूपीएससी परीक्षा में आपको केवल सामान्य अध्ययन (जीएस) विषयों के आधार पर नहीं आंकता, बल्कि आयोग वर्तमान घटनाओं जो भारत और दुनिया में हो रही हैं, उनपर अपनी राय और ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करेंगे। उदाहरण के लिये: जैसे यह घटनाएं राष्ट्र को किस प्रकार से और किस क्षेत्र में प्रभावित कर रही हैं?, तथा इससे जुड़े कारण या उपाय इत्यादि इसमें शामिल होंगे। याद रखें, वर्तमान मामलों के अध्ययन के दौरान यह सुनिश्चित करें कि आप उन्हें विस्तृत व खुले दिमाग से पढ़ें ताकि अगर वहाँ आप की तैयारी से जुड़े विषयों से संबंधित कुछ भी मिलता है, तो आप अपने उत्तरों में उसके उल्लेख के लिये एक मानसिक नोट बना सकते हैं। इसलिए, समाचार पत्र पढ़ने की आदत विकसित करना तैयारी के इस चरण के लिये अनिवार्य है


इसके अलावा इन पॉइंट्स को भी ध्यान में रखें –


प्रत्येक सप्ताह अपने द्वारा बनाएं गये नोट्स व जानकारियों के संशोधन के लिए भी एक दिन निर्धारित करें।

इस चरण में एकीकृत तैयारी करें तथा प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के कॉमन जनरल स्टडीज पेपर्स / टापिक्स के अध्ययन करें, और साथ ही अपने चयनित वैकल्पिक विषय को भी कवर करने का प्रयास करें।

अगले वर्ष की प्रीलिम्स परीक्षा से केवल 3 महीने पहले आपका ध्यान प्रीलिम्स परीक्षा के लिये गंभीर हो जाना चाहिए।

पिछले साल के प्रश्न पत्रों का विशलेषण करें और उन्हें हल करने का प्रयास करें। हालांकि, आपनी तैयारी के प्रारंभिक स्तर में उन प्रश्न पत्रों को पूरी तरह से हल करने की उम्मीद न करें, लेकिन इस तरह से आप प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों के स्तर व अंतर के बारे समझ सकते हैं।

व्यक्तित्व निर्माण - इस दौरान अपने शौक या हॉबी जैसे संगीत, नृत्य, खेल या कुछ भी हो, अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने, फिल्में देखने, मेलजोल इत्यादि के साथ-साथ अपनी दिनचर्या और परीक्षा की तैयारी में सामंजस्य बनाकर रखें। अपने साथ तैयारी कर रहे साथियों और समूहों के साथ वर्तमान घटनाओं पर चर्चा करें और उनके दृष्टिकोण को समझें, उन्हें समस्या सुलझाने के दृष्टिकोण के रूप में समझ कर याद रखें, विभिन्न घटनाओं व तथ्यों से जुड़ी चीजों को देखने व समझने का आपका दृष्टिकोण तार्किक और विश्लेषणात्मक होना चाहिए।