CSAT को लेकर मामला दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है | एक तरफ जहाँ Aspirants हाई कोर्ट से लगातार गुहार लगा रही है, दूसरी ओर इस पूरे मामले पर UPSC की ओर से कुछ जवाब नहीं आ रहा है | वहीं अब इस पूरे मामले पर हाई कोर्ट की ओर से आखिरी फैसला सुना दिया गया है | हाई कोर्ट ने अपने फैसले में Aspirants की ओर से अपील की गई याचिका को खारिज कर दिया | जिसमें सिविल सेवा एप्टीट्यूड टेस्ट 2023 के लिए कट ऑफ को 33% से घटाकर 23% करने का आदेश देने से इनकार कर दिया गया |


याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति वी.कामेशवर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि 'परीक्षा पत्र में क्या शामिल किया जाना चाहिए यह पूरी तरह से अकादमिक विशेषज्ञों का विशिष्ट क्षेत्र है | इसलिए इस बात को आधार बनाकर चुनौती नहीं दी जा सकती कि पेपर में पूछे गए क्वेश्चंस सिलेबस से बाहर के थे' | वहीं UPSC प्रीलिम्स एग्जाम 2023 के खिलाफ याचिका की सुनवाई के समय हाईकोर्ट के सामने अपना पक्ष रखते हुए कैंडिडेट्स ने कहा कि CSAT सिलेबस क्लास 10वीं के लेवल का होना चाहिए जबकि इस बार एग्जाम में इंजीनियरिंग और MBA के Level के मैथ्स के सवाल पूछे गए थे | ये प्रश्न तो शायद साइंस और मैथ्स बैकग्राउंड के कैंडिडेट्स तो आसानी से हल कर सकते हैं, लेकिन आर्ट्स के स्टूडेंट्स के लिए इन प्रश्नों को हल कर पाना बहुत ही मुश्किल है | इसलिए यह कैंडिडेट्स के साथ एक प्रकार से अन्याय है |


आपको बता दें इससे पहले 22 अगस्त 2023 के अपने आदेश में हाई कोर्ट ने कहा कि क्वेश्चन पेपर पर कैंडिडेट्स की ओर से उठाए गए प्रश्न एकदम आधारहीन हैं। ऐसी याचिका बिलकुल भी तर्कपूर्ण नहीं लगती | यह कहना काफी होगा कि पेपर में किन प्रश्नों को शामिल किए जाने की आवश्यकता है और उनकी जटिलता का स्तर क्या होगा यह पूरी तरह से परीक्षा से जुड़े विशेषज्ञों पर निर्भर करता है | हमारे सामने इस तरह के निर्णय को समीक्षा में केवल इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती कि कुछ प्रश्न पाठ्यक्रम से बाहर थे |


सुनवाई करने वाली पीठ में जज अनूप कुमार मेंदीरत्ता भी शामिल थे | साथ ही सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि यह कोर्ट अकादमिक विशेषज्ञों के सोचे समझे निर्णय के खिलाफ तब तक अपील नहीं कर सकती है, जब तक कि वह निर्णय स्पष्ट रूप से मनमाना, दुर्भावपूर्ण या अवैध साबित नहीं हुआ हो | इस प्रकार की कोई भी स्थिति इस मामले में नहीं दिखाई देती है |