CSAT 2023 का बवाल, क्यों किया UPSC ने ऐसा?


28 मई 2023 को यूपीएससी प्री की परीक्षा सम्पन्न हुई और परीक्षा के बाद देश में जैसे एक भूचाल आ गया था। हर कोई यूपीएससी से नाराज़ दिख रहा था और यही सवाल कर रहा था की आखिर यूपीएससी ने ऐसा क्यों किया? अच्छी से अच्छी तैयारी करने वाला स्टूडेंट भी अपने Selection को लेकर सशंकित दिख रहा था और CSAT ने तो लगभग सभी Students को चौंका कर रख दिया था। अँग्रेजी में एक शब्द है – Stumped यानि ऐसी परिस्थिति जब आपको पता ही ना चले की कब आपके पैरों तले जमीन खिसक गयी और 28 मई को यूपीएससी ने Students को Stupmed कर दिया। आज के वीडियो में हम यही जनेगे की आखिर क्या था 2023 की उस परीक्षा में जिसने Students को इतने गुस्से में ला दिया?


पिछले वर्ष की तुलना में कठिन प्रश्न पत्र और चुनने के लिए कम विकल्पों वाले पेचीदा सवालों ने संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2023 में भाग लेने वाले उम्मीदवारों को परेशान कर दिया है। इस वर्ष पेपर - I में पारिस्थितिकी और समसामयिक विषयों से अधिक प्रश्न थे। हालाँकि प्रश्न लंबे नहीं थे, फिर भी अभ्यर्थियों के वैचारिक स्पष्टता का गहन परीक्षण किया गया।


करंट अफेयर्स से 13 प्रश्न, आर्थिक और सामाजिक विकास से 11, इतिहास और संस्कृति से 12, सामान्य विज्ञान से 3, भारतीय राजनीति और शासन से 17, पर्यावरण और पारिस्थितिकी से 20, भूगोल से 15 और सामान्य ज्ञान से लगभग 9 प्रश्न थे। अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करने वाले शहरी अभ्यर्थियों के लिए प्रश्नपत्र अधिक फायदेमंद रहा। इस बार दक्षिणी इतिहास पर अधिक जोर दिया गया।


“पेपर में सभी क्षेत्रों से प्रश्न थे लेकिन पारिस्थितिकी और करंट अफेयर्स के विषय से काफी ज्यादा प्रश्न पूछे गए थे। अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भारत की भूमिका पर भी जोर दिया गया। प्रश्नों में वैचारिक स्पष्टता का परीक्षण किया गया और सही विकल्प चुनना किसी भी उम्मीदवार के लिए आसान काम नहीं था क्योंकि विकल्प एक-दूसरे के करीब थे।


पहले की परीक्षाओं में छात्र कई सवालों का जवाब Elimination Method का USE करते हुए दे पाते थे लेकिन इस बार यूपीएससी ने उन्हें ऐसा कोई अवसर नहीं दिया। इस वर्ष का पेपर इस प्रकार सेट किया गया था कि एलिमिनेशन विधि का उपयोग करने या उत्तरों का अनुमान लगाने के लिए बहुत कम स्कोप हो। प्रश्नों का उत्तर देने के लिए अभ्यर्थियों को अवधारणाओं की गहन समझ और अनुप्रयोग की आवश्यकता थी और इसके कारण कई Students को परेशानी का सामना भी करना पड़ा। ‘


इसी तरह पेपर 2 यानि CSAT में भी यूपीएससी को स्टूडेंट्स के कोप का भाजन बनाना पड़ा था। इस साल पूछे गए 80 सवालों में से 40 सवाल सिर्फ गणित से थे जो Arts के स्टूडेंट्स के लिए काफी मुश्किल माना जाता है। Comprehension से 25 सवाल पूछे गए थे और बाकी विषयों से सिर्फ 15 सवाल पूछे गए थे। इस प्रकार का Pattern यूपीएससी की परीक्षा में पहली बार देखा गया है जहां Maths से 50 प्रतिशत सवाल पूछे गए हों।


अब यूपीएससी ने ऐसा क्यों किया इसका जवाब तो वही दे सकती है लेकिन इस बार की परीक्षा के पैटर्न को देख कर तो यही लगता है की यूपीएससी ने Arts और अन्य Humanities के Students के प्रति के द्वेष की भावना अपनाई है। वैसे भी यदि पिछले साल के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि फ़ाइनल Selection में जगह बनाने वाले लगभग 65 प्रतिशत स्टूडेंट्स ऐसे हैं जो Engineering Background से आते हैं। इससे अन्य Stream के Students में मन में रोष उत्पन्न होना बहुत ही आम बात है और उनके गुस्से को नाजायज नहीं कहा जा सकता है।


साल 2011 में जब CSAT Introduce किया गया था तब भी Non Engineering और खास कर Arts Stream के स्टूडेंट्स ने मुहिम छेड़ दी थी कि यह यूपीएससी का एक भेदभाव पूर्ण रवैया है और यदि उसे सिविल सेवा में भी Engineering के ही Students चाहिए तो इसकी मिनिमम Qualification में Enginnering ही अनिवार्य कर देना चाहिए। स्टूडेंट्स के इस गुस्से के आगे यूपीएससी को उस समय झुकना पड़ा था और CSAT को Qualifying बना दिया गया। लेकिन सवालों के Standard और Pattern को देख कर यही लगता है कि यूपीएससी कहीं न कहीं नॉन Technical Background के Students के प्रति उदासीन रवैया रखती है और इस साल की परीक्षा के बाद तो यह लगभग स्पष्ट हो चुका है।


अब इस साल भी Students में काफी गुस्सा है और हो सकता है कि आने वाले समय में यूपीएससी अपने इस रवैये में सुधार करे लेकिन जब तक ऐसा नहीं होता तब तक तो यही कहा जाएगा कि यूपीएससी ने इस साल की परीक्षा सिर्फ इसलिए आयोजित कि ताकि सिविल सेवा में टेक्निकल Background के Students को फवौर किया जा सके।