इस साल कैसा रहा हिंदी माध्यम का रिजल्ट


हिन्दी हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली और समझी जाने वाली भाषा है। आधिकारिक तौर पर ना सही लेकिन अनाधिकारिक रूप से हिन्दी हमारे देश की राष्ट्रभाषा है। हर साल 15 अगस्त को हमारे प्रधानमंत्री हिन्दी में ही देश को संबोधित करते हैं। लेकिन यह हमारे देश का दुर्भाग्य ही है कि यूपीएससी में हिन्दी मीडियम के छात्रों की मौजूदगी बहुत कम है। और तो और वर्ष 2013 के बाद हुए बदलाव के बाद यह लगने लगा था कि अब तो हिन्दी मीडियम के स्टूडेंट्स के लिए राह और कठिन हो गयी है। लेकिन इस बार जो परिणाम आए हैं वो हिन्दी माध्यम के छात्रों को एक नयी ऊर्जा देने वाले हैं। आज के वीडियो में हम इसी का विश्लेषण करेंगे।


2022 के परिणामों की घोषण होने के बाद हिन्दी मीडियम के स्टूडेंट्स में खुशी की लहर दौड़ गयी। और हो भी क्यों ना, आखिर इस बार हिन्दी माध्यम के रेकॉर्ड 54 स्टूडेंट्स का selection जो हुआ था। इनमे  रैंक -66, 85, 89, 105 और 120 प्रमुख हैं। यूपीएससी द्वारा आयोजित इस परीक्षा में हिंदी माध्यम के विद्यार्थी पिछले कुछ सालों से लगातार अपेक्षित नतीजे नहीं दे पा रहे थे। चाहे बात चयनित विद्यार्थियों की हो या टॉप रैंक की, हिंदी माध्यम हमेशा से संघर्ष करता रहा है। इसलिए कहा जाने लगा था कि हिंदी माध्यम से देश की इस सबसे खास परीक्षा को उत्तीर्ण करना लगभग असंभव है। लेकिन इस साल 2022 के परिणाम बेहतरीन रहे हैं। ये एक तरह से बेहतर भविष्य की उम्मीद पैदा कर रहे हैं।


पिछले साल आए 2021 के परिणाम में हिंदी माध्यम वाले 24 उम्मीदवार सफल हुए थे। यानी हिंदी का ग्राफ धीरे-धीरे सुधर रहा है। हिंदी माध्यम की टॉपर 66वीं रैंक हासिल करने वाली कृतिका मिश्रा कानपुर की रहने वाली हैं। दिव्या तंवर ने इस बार 105वीं रैंक हासिल की है। 2021 बैच में भी दिव्या ने 438वीं रैंक हासिल की थी और सबसे कम उम्र ( सिर्फ 22 साल) की आईपीएस चुनी गई थीं। अब वह आईएएस हो गई हैं। दरअसल इस बार के नतीजों में सबसे खास बात यह है कि हिंदी के माध्यम से परीक्षा देने वाले 54 उम्मीदवारों में से 29 ने वैकल्पिक विषय के रूप में हिंदी साहित्य लेकर यह कामयाबी हासिल की है। पांच-पांच उम्मीदवार ऐसे भी सफल हुए जिन्होंने इतिहास, भूगोल व राजनीति विज्ञान विषय लिया था। दो छात्रों ने गणित विषय लेकर हिंदी माध्यम से सफलता हासिल की, जिनमें से एक ने 120वीं रैंक हासिल की, जिनमें से एक ने 120वीं रैंक हासिल की है।


पिछले साल ही राजस्थान के रवि सिहाग ने हिन्दी माध्यम से 25वीं rank हासिल की थी और इसके पहले साल 2014 में निशांत जैन 13वीं rank पर थे। जरा सोचिए कि सात साल तक हिन्दी माध्यम का कोई छात्र topper नहीं बन पाया था। इस बेहतर परिणाम में सिविल सर्विसेज परीक्षा की तैयारी के लिये कोचिंग देने वाले दृष्टि आईएएस संस्थान का विशेष योगदान है और इन कोचिंग संस्थानों में सबसे प्रमुख नाम दृष्टि का है। आपको यह जान कर आश्चर्य होगा कि इस बार सफल होने वाले सभी 54 छात्र किसी न किसी तरह से दृष्टि आईएएस से जुड़े रहे हैं। संस्थान के संचालक विकास दिव्यकीर्ति ने यह जानकारी एक निजी चैनल को इंटरव्यू देते हुए बताई थी। उन्होने यह भी कहा कि उनका लक्ष्य इस संख्या को बढ़ा कर 150 तक ले जाने का है और इस सोच के लिए उनकी सराहना तो की ही जानी चाहिए।


ऐसा माना जा रहा है कि इस बार के परिणाम आने वाले वर्षों के लिए एक मील का पत्थर साबित होंगे लेकिन कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इस वर्ष के परिणाम एक अपवाद हैं और भविष्य में चीजें बहुत जादा नहीं बदलने वाली। अब भविष्य में क्या होगा यह तो कोई नहीं जनता लेकिन इतना जरूर है कि इस वर्ष के परिणामों ने एक मिथक को जरूर तोड़ दिया है कि हिन्दी माध्यम के छात्रों के साथ भेदभाव किया जाता है और इसके अलावा यह परिणाम हिन्दी माध्यम से तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स को प्रेरणा देने का काम करेंगे। इतना ही नहीं यह परिणाम उन छात्रों को भी हिम्मत देंगे जो हिन्दी के खराब परिणामों से डर कर मजबूरी में अँग्रेजी माध्यम से तैयारी करने को विवश थे।