सबसे ज्यादा UPSC Result किस यूनिवर्सिटी ने दिया ?


अभी से कुछ साल पहले तक यूपीएससी में एक ट्रेंड था कि पास आउट स्टूडेंट्स को ज्यादा सफलता मिलती थी लेकिन इस बार के परिणामों के बाद यह ट्रेंड टूटता हुआ दिख रहा है। आज के वीडियो में हम बात करेंगे देश के अलग अलग Universities की जहां के स्टूडेंट्स ने इस बार यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा मई अपना परचम लहराया है |


इस बार की रिजल्ट की खासियत है रही कि पिछले काफी वर्षों से चले आ रहे इंजीनियरिंग खास तौर पर IIT के छात्रों का वर्चस्व इसबार कम हुआ है। इसबार टॉप 4 में पहले, दूसरे और चौथे नंबर के कैंडिडेट दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU)से हैं। वहीं, शीर्ष चार में केवल एक कैंडिडेट IIT से हैं। यानी पिछले कुछ वक्त से चला आ रहा IIT वाला 'किला' इसबार ध्वस्त हो गया है।


यूपीएससी रिजल्ट में पिछले कुछ सालों से IIT के पासआउट छात्रों का जलवा हुआ करता था। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है। तीन साल पहले तक यूपीएससी रिजल्ट में तो करीब 60% इंजीनियरिंग के छात्र यूपीएससी क्रैक करते थे। इसमें बड़ी संख्या IIT के छात्रों की होती थी। 2020 के यूपीएससी बैच में लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (LBSNAA) मसूरी में ट्रेनिंग के लिए गए 428 सिविल सेवा अधिकारियों में 245 इंजीनियर थे। यानी 57 फीसदी से ऊपर इंजीनियर का जलवा होता था। इसमें 8 के पास इंजीनियरिंग के अलावा मैनेजमेंट वाला बैकग्राउंड था। ठीक इसी तरह 2019 बैच में LBSNAA आए 325 सिविल सर्वेंट में से 191 इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से थे। यानी औसत निकलता है 58% से ज्यादा। इसमें 10 सिविल सर्वेंट इंजीनियरिंग और एमबीए बैकग्राउंड से थे। दरअसल, पिछले कुछ साल से यूपीएससी में इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के छात्रों का दबदबा बढ़ा है। कभी-कभी इसकी संख्या घटती-बढ़ती रहती है लेकिन दबदबा रहता जरूर है।


तो जैसा कि इन आंकड़ों से आपको पता चल रहा होगा कि सबसे ज्यादा स्टूडेंट्स (लगभग 20 प्रतिशत) स्टूडेंट्स आईआईटी कानपुर से हैं। और उसके बाद भी जिस University का नंबर है वह है आईआईटी दिल्ली। आपने अक्सर सुना होगा कि यूपीएससी में साइन्स Background के स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ती जा रही और इसके पीछे कारण यह है कि एक तो यूपीएससी की परीक्षा का अप्रोच थोड़ा Scientific हो रहा है और दूसरे आईआईटी जैसे संस्थान के छात्रों की खासियत यही है कि वे अपने गोल को लेकर बहुत ज्यादा Focussed हैं।


मगर इस बार के results को देख कर यह लग रहा है कि दिल्ली की universities एक बार फिर से अपने पुराने गौरव को पाने के लिए आगे बढ़ रहे हैं।


वास्तव में, दिल्ली विश्वविद्यालय की संख्या - यूपीएससी द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्ट (1975-2014)* के अनुसार - लिस्ट में दूसरे स्थान से इतनी आगे है, कि यह संभावना नहीं है कि 2014 से आठ साल में स्थिति बदली होगी। 1975 से 2014 तक की रिपोर्ट से पता चला कि 4,128 दिल्ली यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट देश के अलग अलग हिस्सों में सिविल सेवक बने. परीक्षा में शामिल होने वाले कैंडिडेट्स की संख्या में भी विवि अव्वल रहा. डीयू के अलावा लिस्ट में एक और नाम जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय का है। यहाँ से भी हर साल अच्छी ख़ासी संख्या में students यूपीएससी के लिए qualify करते हैं।


दोस्तों, इस लिस्ट में एक दिलचस्प बात यह है कि टॉप 10 पदों में पांच स्टेट यूनिवर्सिटी थीं, जिनके स्टूडेंट्स ने परीक्षा में बड़ी संख्या में हिस्सा लिया था। पंजाब यूनिवर्सिटी 10.36 प्रतिशत की सफलता दर के साथ सिविल सेवा परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने वाली स्टेट यूनिवर्सिटी बनकर उभरा है।


हाल के वर्षों में लखनऊ सहित तमाम छोटी-बड़ी यूनिवर्सिटीज के स्टूडेंट्स ने इस परीक्षा में अपनी छाप छोड़ी है। यूपीएससी की ओर से पिछले दो सालों की सालाना रिपोर्ट से तुलना करने पर यह ट्रेंड सामने आ रहा है। दिल्ली यूनिवर्सिटी के अलावा जेएनयू,बीएचयू और गौतम बुद्ध टेक्निकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ जैसे संस्थान भी इस परीक्षा में अपनी छाप छोड़ रहे हैं। अब धीरे-धीरे विदेशी यूनिवर्सिटीज के स्टूडेंट्स के भी सफल होने का अनुपात बढ़ने लगा है।