UPSC ने पेश की Annual Report


दोस्तों, आज बात करेंगे यूपीएससी की Annual रिपोर्ट के बारे में। इस रिपोर्ट में यूपीएससी ने किन बातों का खुलासा किया है और आगे के वर्षों में उसका क्या करने का इरादा है। इस साल की Prelims परीक्षा के बाद से ही स्टूडेंट्स के मन में यूपीएससी की सोच को लेकर एक कौतूहल है की आखिर यूपीएससी अगले साल की परीक्षा में क्या करने जा रहा? अब यूपीएससी की सोच रहा है इसका पता तो नहीं लगाया जा सकता है लेकिन उसकी वार्षिक रिपोर्ट कसे हम यह अंदाज़ा तो लगा ही सकते हैं की यूपीएससी की वर्क प्लान और Expectations क्या हैं? तो आइए शुरू करते हैं।


हर साल यूपीएससी एक Annual रिपोर्ट भारत के राष्ट्रपति को पेश करता है जिसमे ये अपने हर Actions और Plan की चर्चा डीटेल में करता है। इस साल भी यूपीएससी ने अपनी Annual रिपोर्ट जारी कर दी है और यह यूपीएससी की 72nd रिपोर्ट है। इसमे यूपीएससी ने यह साफ साफ इशारा कर दिया है कि पूरे विश्व में भर्ती के तरीकों, चयन की प्रक्रियाओं और सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग में कई महत्वपूर्ण विकास हो रहे हैं। इससे भर्ती संस्थाओं के लिए नई चुनौतियां आ गई हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए दुनिया भर में हो रहे विकास के साथ तालमेल बिठाना जरूरी है, और अब यूपीएससी भी इन तरीकों और मानदंडों को अपनाने के लिए पूरी तरह तैयार है। इसके पीछे एक बड़ा कारण यह हो सकता है कि यूपीएससी अब यह चाहता है कि हमारे देश के जो सिविल सरवेंट्स हैं, वो पूरी दुनिया के सिविल सरवेंट्स के साथ कदम मिल सकें। आयोग ने हमेशा आधुनिक तरीकों की चुनौतियों को स्वीकार करने का प्रयास किया है और भारत की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षाओं के संगठन और संचालन में गुणात्मक सुधार लाने के लिए अपने स्वयं के कुछ तरीकों को तैयार और अपनाया है। आसान शब्दों में कहा जाए तो अब Apirants को Surprises के लिए तैयार रहना चाहिए और अपनी Preparations दुनिया में हो रहे बदलाव को ध्यान में रख कर करनी चाहिए।


पिछले कुछ सालों से छात्रों का आरोप है कि यूपीएससी प्रीलिम्स की परीक्षा में कई सवाल IIT JEE और CAT के लेवल के थे जो यूपीएससी के दिए गाइडलाइन में 10 वीं के स्तर को फॉलो नहीं करते हैं। इस रिपोर्ट से इस बात की थोड़ी बहुत पुष्टि होती है। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से आने वाले परीक्षार्थी इस एग्जाम में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके अलावा इंजीनियरिंग के छात्रों का अनुपात इस परीक्षा में तेजी से बढ़ रहा है।


आंकड़े बताते हैं कि यह बदलाव खासकर साल 2011 से देखने को मिलता है और यह वहीं साल है, जब यूपीएससी ने प्री-परीक्षा में सीसैट लागू किया था. सीसैट को लेकर हिंदी और अन्य भाषा के छात्रों ने जमकर बवाल किया था. हालांकि, वर्तमान समय में इस पेपर को मात्र क्वालीफाइंग कर दिया गया है. यानी परीक्षा के नंबर आपके रिजल्ट में नहीं जुड़ते हैं, इस सीसैट पेपर को सिर्फ पास करना होता है. आपको जनाकर हैरानी होगी कि 60 से अधिक इंजीनियरिंग के छात्रों को इस परीक्षा में सफलता मिली है. साल 2012 से लेकर 2020 तक कोर इंजीनियरिंग विषयों के साथ कई अभ्यर्थियों ने परीक्षा में सफलता पाई है. इनकी हिस्सेदारी परीक्षा में 2.7 फीसदी की है |


हाल ही में यूपीएससी ने साल 2022 की परीक्षा का फाइनल रिजल्ट घोषित किया था जिसमें सफलता पाने वाली टॉप तीन लड़कियों ने अर्थशास्त्र, वाणिज्य और इंजीनियरिंग से पढ़ाई पूरी की थी. परीक्षा देने वाले ज्यादातर अभ्यर्थियों का पसंदीदा सब्जेक्ट एंथ्रोपोलॉजी, राजनीति शास्त्र और इंटरनेशनल स्टडीज है. अब इस परीक्षा को पास करने वाले अभ्यर्थियों में महिलाओं और पुरुषों का अनुपात देख लेते हैं. इन आकड़ों को देखने से साफ पता चलता है कि सिविल सेवा की परीक्षा में महिलाओं ने समय के साथ अच्छा प्रदर्शन किया है. साल 2022 में महिलाओं ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है. इस साल Final list में 29 प्रतिशत महिलाओं ने अपनी जगह बनाई है जो सिविल सेवा की इतिहास में सबसे ज्यादा है।