UPSC PRE के बाद मीडियम बदला जा सकता है ?


यूपीएससी की परीक्षा में वैसे तो बहुत सारे मामलों में लोगों को Confusion रहता है लेकिन एक सवाल जो स्टूडेंट्स को सबसे ज्यादा परेशान करता है वह है – परीक्षा का मीडियम क्या होना चाहिए? यह सवाल अगर आपको भी परेशान करता है तो आप अकेले नहीं हैं। और इसलिए आज के वीडियो में हम इस बारे पर चर्चा करेंगे कि आखिर परीक्षा में मीडियम का क्या महत्व है और क्यों इसे बहुत Seriously लेना चाहिए?


दोस्तों, कई लोग यह मानते हैं कि परीक्षा में मीडियम का कोई महत्व नहीं होता है और कुछ भी चुन लें, क्या फर्क पड़ता है? लेकिन यह अप्रोच गलत ही नहीं बल्कि Deadly भी है। शायद आप यह सोच रहे हों कि परीक्षा में किसी भी मीडियम में लिखें मतलब तो इससे है कि क्या लिख रहे हैं। कुछ हद तक यह बात सही भी है लेकिन अब जरा यह सोचिए कि आप जो लिख रहे उसमे आप कितने सहज है और कितनी अच्छी तरह से अपनी बात को प्रिसेंट कर पा रहे हैं, यह भी तो जरूरी है। तो इसलिए परीक्षा से पहले अपना मीडियम बहुत सोच समझ कर चुनना बहुत जरूरी है।


अब सवाल यह उठता है कि आखिर मीडियम चुनने के लिए क्या Criteria होना चाहिए?


सहजता – सबसे पहले यह देखिये कि आप किस भाषा में सबसे ज्यादा सहज हैं और सहजता का मतलब बोलने या समझने से नहीं बल्कि अपनी बाटो को कागज पर लिखने से है। कई लोग ऐसे होते हैं जिन्हें इंग्लिश बोलने में तकलीफ होती है लेकिन पढ़ने या लिखने में नहीं। दरअसल बोलना और लिखना दो अलग स्किल्स हैं और मीडियम चुनने से पहले आपको इस आस्पेक्ट को ध्यान में रखना चाहिए।


इंग्लिश vs हिन्दी – दोस्तों, English vs हिन्दी की Debate में सबसे पहले आपको यह देखना चाहिए कि आपकी हिन्दी की तुलना में इंग्लिश कैसी है। यदि आपकी इंग्लिश थोड़ी भी बेहतर है तो आपको इंग्लिश का ही चुनाव करना चाहिए। इसे Sentimenatal इशू बनाकर कोई फायदा नहीं बल्कि आपको तो यह देखना चाहिए कि आपको सफलता किस मीडियम में आपकी सफलता के Chances ज्यादा हैं।


English मीडियम चुनने कुछ Advantages हैं जिन्हें इग्नोर नहीं किया जा सकता। सबसे पहला तो यह है कि इस मीडियम की किताबें आसानी से मिल जाती है, इस मीडियम में पढ़ाने वाले Teachers भी काफी हैं। इसके अलावा यह भी एक इंपोर्टेंट Point है कि Question पेपर मूलतः इंग्लिश में ही तैयार किया जाता है और अन्य भाषाओं में इसका अनुवाद किया जाता है, इस कारण से अक्सर अन्य भाषाओं में सवालों को पूरी तरह समझना मुश्किल हो जाता है।


अब आते हैं हमारे बेसिक सवाल पर कि क्या प्री के बाद अपना मीडियम बदल सकते हैं? तो इसका जवाब है – नहीं। आपको अपना मीडियम प्री के पहले ही चुन लेना होता है और एक बार आपने उसमे जो मीडियम चुन किया आपको उसी माध्यम से परीक्षा देना अनिवार्य है। हालांकि 2018 के बाद से यूपीएससी ने इस नियम में Candidates को थोड़ी ढील जरूर दी है। अब यूपीएससी विभिन्न माध्यमों (2018 से) में जीएस और वैकल्पिक पेपर लिखने का विकल्प प्रदान करता है। यदि आप जीएस और निबंध पेपर हिंदी में और वैकल्पिक पेपर अंग्रेजी में लिखना चुनते हैं तो आप ऐसा कर सकते हैं। लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि अगर आप जीएस और निबंध पेपर अंग्रेजी में लिखना चुनते हैं तो आपको वैकल्पिक पेपर भी अंग्रेजी में लिखने होंगे। इसका अर्थ है, वैकल्पिक में तकनीकी/विषय विशिष्ट शब्दावली को देखते हुए, आपको अपनी धाराप्रवाह या संगत भाषा में जीएस पेपर लिखते समय इसे अंग्रेजी में लिखने का अवसर दिया जाता है।


प्रीलिम्स के लिए आवेदन पत्र भरते समय आपको ये विकल्प मिलेंगे। यूपीएससी जीएस और निबंध पेपर और वैकल्पिक विषय दोनों के लिए वैकल्पिक विषय और माध्यम दोनों को प्रारंभिक चरण में ही अलग से पूछता है। इसलिए, आपको अपने आप को तैयार करने और चुनी हुई भाषा में सीखने के लिए पर्याप्त समय मिलता है।


इसके अलावा, यदि आप अपना जीएस पेपर अंग्रेजी माध्यम में लिखते हैं और साक्षात्कार के लिए हिंदी का चयन करना चाहते हैं तो वह विकल्प भी उपलब्ध है। लेकिन आप इसके उलट नहीं कर सकते है, यानी यदि आपका माध्यम मुख्य के लिए हिंदी/क्षेत्रीय भाषा है, तो आप साक्षात्कार के लिए अंग्रेजी का विकल्प नहीं चुन सकते हैं।


अब बात करते हैं इंटरव्यू की –


यूपीएससी पैनल का सामना करते समय उम्मीदवार अंग्रेजी, हिंदी या किसी अन्य क्षेत्रीय भाषा का विकल्प चुन सकते हैं। केवल उन्हीं उम्मीदवारों को साक्षात्कार में भाग लेना चाहिए जिन्हें अनिवार्य भारतीय भाषा के प्रश्नपत्र में भाग लेने से छूट प्राप्त है। बहुत सारे लोग जो सोचते हैं उसके विपरीत, साक्षात्कार के माध्यम के रूप में किसी भी भाषा को चुनने का कोई फायदा नहीं है। क्या मायने रखता है कि आप अपनी चुनी हुई भाषा में सहज हैं या नहीं। दरअसल, ऐसे टॉपर्स रहे हैं जिन्होंने क्षेत्रीय भाषाओं में यूपीएससी का इंटरव्यू Face किया।