“लोग हिंदी से डरते हैं, क्योंकि हिंदी में कई दिक्कतें सामने आती हैं, लेकिन मैंने हार नहीं मानी और अपनी मातृभाषा पर विश्वास कर आगे बढ़ती रही” | यह कहना है UPSC CSE 2022 में हिंदी माध्यम से टॉप कर 66वीं रैंक पाने वाली कृतिका मिश्रा का | कृतिका बचपन से ही मेधावी छात्रा रही और सभी कक्षाओं में पहला स्थान हासिल करती रही | वह बचपने से ही देश सेवा के लिए कुछ करना चाहती थी, जिसके लिए उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू की और हिंदी मीडियम को चुना, जिसमें न सिर्फ वह सफल हुई बल्कि हिंदी मीडियम में टॉप भी करके दिखाया | आइए जानते हैं हिंदी टॉपर कृतिका मिश्रा की सफलका की कहानी |
यूपी के कानपुर की रहने वाली कृतिका मिश्रा बचपन से ही मेधावी छात्रा रही हैं | उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा कानपुर से पूरी की, जिसके बाद उन्होंने Humanitity से अपनी ग्रेजुएशन पूरा कर, हिंदी विषय में पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा किया | अपने सफर के बारे में कृतिका मिश्रा ने बताया कि “मुझे बचपन से ही देश सेवा करने की इच्छा थी, जब मैं छोटी थी तब से मुझे लगता था की किसी ऐसे पद पर बैठू जहाँ से मैं सभी लोगों की समस्याओं को दूर कर सकूँ” | साल 2015 में कृतिका को बालश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका हैं | जिसके बाद उन्हें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने का भी मौका मिला था | UPSC की तैयारी के लिए कृतिका ने किसी कोचिंग का सहारा नहीं लिया, उन्होंने यह सफलता सेल्फ स्टडी कर के हासिल की तैयारी के दौरान उन्होंने यूट्यूब और किताबों की मदद से पढ़ाई की इसके अलावा कृतिका कानपुर विश्वविद्यालय से पीएचडी भी कर रही है | UPSC परीक्षा पास कर चुकीं कृतिका की छोटी बहन मुदिता मिश्रा ने भी राष्ट्रीय युवा संसद की प्रथम विजेता होने का गौरव हासिल किया हुआ है |
आपको बता दें कृतिका मिश्रा का परिवार राष्ट्रय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़ा हुआ है | उनके पिता डॉ दिवाकर मिश्रा BNSD इंटर कालेज में प्रवक्ता के पद पर कार्यरत हैं, वह संघ के बाल स्वयंसेवक है | फिलहाल वह भाजपा शिक्षण संस्थान प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष हैं | कृतिका की माँ सुषमा मिश्रा LIC में कार्यरत हैं |
अपनी सफलता पर UPSC हिंदी मीडियम टॉपर कृतिका मिश्रा ने कहा कि " भगवान ने मुझे यह मौका दिया है, जिसका मैं पूरी ईमानदारी से पालन करते हुए अपने काम को पूरा करूंगी | कृतिका ने कहा कि मेरे माता-पिता के आशीर्वाद से मुझे यह मुकाम मिल गया हैं | इस मुकाम को हासिल करने में मुझे लगभग 3 साल लगे | हर दिन इसमें यही लगता था कि कुछ नया सीखना है | कभी-कभी थोड़ा तनाव भी आता था, मगर उस तनाव को मैंने कभी खुद पर हावी नहीं होने दिया | हर दिन उत्साह के साथ पढ़ाई की जिसका परिणाम आज मुझे देखने को मिला | अगर हम खुद को सकारात्मक रखेंगे तो परिणाम भी सकारात्मक ही आएंगे"