'लोग जिस हाल में मरने की दुआ करते हैं, मैंने उस हाल में जीने की कसम खाई है।' यह कहना है यूपी के मैनपुरी के सूरज तिवारी पर जिन्होंने मुश्किल हालातों से लड़कर कामयाबी हासिल की और उन लोगों के लिए एक मिसाल बने, जो थोड़ी सी परेशानी आने पर हिम्मत हार जाते हैं | आपको बता दें सूरज ने यह सफलता पहले प्रयास में हासिल की है | मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाले सूरज तिवारी दिव्यांग हैं | हालांकि, सूरज ऐसे बचपन से नहीं थे | साल 2017 में ट्रेन दुर्घटना में उन्होंने अपने दोनों पैर, एक हाथ और दूसरे हाथ की दो अंगुलियां खो दिया | इसके बाद भी उन्होंने कभी कमजोर आर्थिक स्थिति और अपनी दिव्यांगता को अपनी मंजिल के रास्ते की बाधा नहीं बनने दिया | सूरज ने अपनी मेहनत से यूपीएससी की परीक्षा में कामयाबी हासिल की | आइए जानते हैं सूरज तिवारी की सफलता की कहानी |


सूरज तिवारी मैनपुरी जिले के कुरावली तहसील के रहने वाले राजेश तिवारी के बेटे हैं | सूरज तिवारी ने प्रारंभिक शिक्षा नगर के महर्षि परशुराम स्कूल से की साल 2011 में SBRL इंटर कॉलेज मैनपुरी से दसवीं और साल 2014 में संपूर्णानंद इंटर कॉलेज अरम सराय ‘बेवर’ से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की सूरज के पिता रमेश तिवारी पेशे से टेलर हैं | उनकी घरनाजपुर में ही छोटी-सी दुकान है | वहीं सूरज की मां आशा तिवारी एक गृहिणी हैं | घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए इंटर करने के बाद सूरज ने प्राइवेट नौकरी करने की ठानी | उस दौरान वह BSC कर रहे थे लेकिन, नौकरी करने के लिए वह दिल्ली चले गए | दिल्ली जाकर सूरज ने एक प्राइवेट कंपनी में काम करना शुरू किया |


29 जनवरी, 2017 को सूरज दिल्ली से दादरी के लिए ट्रेन से निकले तभी अचानक ट्रेन से किसी ने उन्हें धक्का दे दिया और वो हादसे का शिकार हो गए | इस हादसे में सूरज के दोनों पैर और हाथ कट गए | हादसे के बाद दिल्ली के AIIMS में उनका 4 महीने तक इलाज चला | इसी दौरान गाँव में उनके एक भाई राहुल तिवारी का भी निधन हो गया | इन सभी घटनाओं के बाद भी सूरज के हौंसले कम नहीं हुए | 4 महीने के इलाज के बाद सूरज ने अपनी आगे की पढ़ाई शुरू की  साल 2021 में सूरज ने दिल्ली के JNU से अपना बीए पूरा किया | और UPSC की तैयारी शुरू कर दी | अपने बेटे के सफर के बारे में सूरज की माँ आशा तिवारी कहती हैं कि "JNU में एडमिशन के बाद सूरज सिर्फ तीज-त्योहार में ही घर आता था। कोरोना के समय लगे लॉकडाउन में वह 6 महीने के लिए घर आया | लेकिन, इस दौरान भी वह पढ़ाई करता रहा | लॉकडाउन खुलने के बाद वह फिर दिल्ली लौट गया, जिसके बाद पिछली बार वह घर तब आया था, जब इंटरव्यू के लिए कागज बनवाने थे।''