क्या FIR होने पर नहीं मिलेगी सरकारी नौकरी?
दिल्ली के एक कॉलेज में दो दोस्त आपस में बात कर रहे थे। उनमे से एक ने कहा – “यार, तुम्हें पता है, हमारे कुछ साथी और शिक्षक अपनी मांगों को लेकर धरना - प्रदर्शन करने जा रहे हैं”। दूसरे ने जवाब दिया “हाँ पता है”। “तो चलो फिर हम भी चलते हैं”, पहले न कहा। तो इस पर उसे जवाब मिला – “नहीं यार, मैं नहीं जा पाऊँगा, सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा हूँ ना।” इस पर उसका दोस्त चौंकते हुए बोला – “अरे, सरकारी नौकरी का प्रदर्शन से क्या मतलब?” तो दूसरे दोस्त ने उसे समझाया – देखो, यदि प्रदर्शन में कुछ उंच नीच हो गयी, और मामला पुलिस तक पहुंचा गया और वहाँ मौजूद लोगों पर एफ़आईआर हो गयी तो मेरी सरकारी नौकरी तो लगने से पहले ही छिन जाएगी ना? अब इस समस्या को सुन कर उसका दोस्त ज़ोर ज़ोर से हंसने लगा और कहा – “तुम कौन से जमाने में रह रहे हो” आओ तुम्हें सच्चाई बताता हूँ।
बहुत लोग ऐसे हैं जो इस बात से डर जाते हैं कि उनको नौकरी केस की वजह से नहीं मिल पाएगी या फिर जो नौकरी वह वर्तमान समय में कर रहे हैं। वह नौकरी उनसे छीन ली जाएगी। अधिकांश मामलों में यह डर भ्रामक खबरों और अफवाहों के कारण होता है इसलिए आज हम आपको बताएँगे कि आखिर फिर और सरकारी नौकरी का क्या संबंध है?
सबसे पहले तो यह समझना जरूरी है कि फिर क्या होता है? FIR की Full Form होती है First Information Report. अब एफ़आईआर हो जाने का मतलब यह नहीं होता कि आप पर दोष सिद्ध हो गया और अब आप अपराधी बन गए हैं। यह तो सिर्फ एक शिकायत की जांच करने का पहला स्टेप है और हर प्रकार की शिकायत के बाद एफ़आईआर फ़ाइल किया जाना एक आम प्रक्रिया है। चाहे वह मामला मामूली झगड़े का हो या फिर हत्या जैसे जघन्य अपराध का, हर मामले में पहला स्टेप एफ़आईआर ही होता है।
अब बात सरकारी नौकरी और एफ़आईआर के संबंध की। दोस्तों, आपने ध्यान दिया होगा कि जब आप कोई सरकारी फॉर्म भरते हैं तो उसमे आपसे यह जानकारी मांगी जाती है कि क्या आपके ऊपर कोई आपराधिक मामला चल रहा है या आप किसी अपराध में सजा प्राप्त कर चुके हैं? इन सवालों के पीछे का मकसद यह जानना होता है कि जो व्यक्ति सरकारी नौकरी करने जा रहा है वह आपराधिक प्रवित्ति का तो नहीं? हालांकि यहाँ आपको यह समझ लेना चाहिए कि सरकार हर प्रकार के अपराध को एक ही नज़र से नहीं देखती और इसलिए यह जरूरी नहीं कि बस एफ़आईआर हो जाने से आपको सरकारी नौकरी से वंचित रहना पड़े।
हालांकि, सरकार के द्वारा तो इस तरह की गाइडलाइन अभी जारी सुचारू रूप से नहीं की गई है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसके बारे में थोड़ी जानकारी देते हुए बताया है कि आपके ऊपर अगर किसी तरह का कोई क्रिमिनल केस दर्ज है तो इस बात की जानकारी आपको पहले सरकारी नौकरी का फॉर्म भरने से पहले देनी होगी। छोटे - मोटे केस के अंतर्गत पड़ोसी से झगड़ा या कहीं धरना प्रदर्शन, या छोटी मोटी मारपीट या अन्य कोई छोटा सा केस हो तो वह आप की सरकारी नौकरी या प्राइवेट नौकरी में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं खड़ा कर सकता है। लेकिन बड़े और गंभीर आपराधिक मामले जैसे हत्या, चोरी, लूटपाट, बलात्कार, वैश्यावृत्ति, डकैती, बाल उत्पीड़न इत्यादि के मामले में आपको सरकारी नौकरी से वंचित किया जा सकता है।
यहाँ आपको एक और बात ध्यान में रखनी चाहिए कि सरकारी नौकरी का फॉर्म भरते समय आपसे यह पूछा जाता है कि क्या आपके ऊपर कोई आपराधिक मामला चल रहा है या किसी आपराधिक मामले में आपको कोई सज़ा हुई है। इन सवालों के जवाब में आपको हमेशा सच ही लिखना चाहिए। यदि आप सोचते हैं कि आप जानकारी छुपा कर सरकरी नौकरी कर लेंगे तो यह आपका भ्रम है। दरअसल सरकार पाने हर employee का एक background चेक करवाती है जिसका मकसद ही यह जानना होता है कि उस व्यक्ति ने कहीं कोई जानकारी छुपाई तो नहीं है और यदि सरकार को बाद में यह पता चल जाता है कि आपके ऊपर आपराधिक मामला चल रहा है लेकिन अपने उसे सार्वजनिक नहीं किया है तो सरकार को पूरा अधिकार है कि वह आपको नौकरी से निकाल दे और इतना ही नहीं उस समय तक आपको जो भी salary और अन्य भत्ते मिले हैं उसको भी वापस ले लिया जाएगा।
हाँ, अगर आप किसी भी तरह का सिविल केस लड़ रहे हैं इस बात की जानकारी आपके डिपार्टमेंट को या सरकारी नौकरी के फॉर्म में बताने की जरूरत नहीं होती है। क्योंकि क्रिमिनल रिकॉर्ड इसके लिए बहुत मायने रखता है। सरकारी नौकरी के लिए सिविल मुकदमा किसी भी तरह से आपकी नौकरी पर असर नहीं डालेगा। क्योंकि सिविल मुकदमे में सजा नहीं होती है। इन सब परिस्थितियों में अगर किसी भी व्यक्ति पर सिविल केस हुआ है तो उसने घबराने की जरूरत नहीं है। इससे आपकी नौकरी पर कोई असर नहीं है।