UPSC में सफलता के लिए Smart Self Study कैसे करें
आपने अक्सर लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि आज जमाना हार्ड वर्क का नहीं बल्कि स्मार्ट वर्क का है और जो स्मार्ट वर्क करना सीख गया वह किसी भी परीक्षा में आसानी से पास कर सकता है। वैसे तो स्कूल और कॉलेज की परीक्षाओं में अक्सर teachers ही हमें इंपोर्टेंट questions और topics मार्क करवा दिया करते थे और उन्हें पढ़ कर अच्छे नंबर भी मिल जाते थे लेकिन यूपीएससी जैसी परीक्षा में क्या करें जहां syllabus इतना बड़ा और pattern इतना differentiated है? क्या यूपीएससी की तैयारी के लिए भी स्मार्ट वर्क काम आ सकता है? क्या उप्क में जो toppers होते हैं वो सिर्फ हार्ड वर्क कर के ही सफल हो जाते हैं?
कई रैंक होल्डर्स सफलता की अलग-अलग कहानियां बताते हैं. उनकी स्टोरी में उनकी व्यक्तिगत भावनाएं उभर कर सामने आती हैं और हकीकत कहीं न कहीं दब जाती है. आमतौर पर देखा गया है कि कुछ छात्र खूब मेहनत करने के बावजूद कोई बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं कर पाते. ऐसा क्यों होता है? क्या सफल स्टूडेंट अधिक इंटेलीजेंट होते हैं? इसका जवाब है नहीं, बल्कि उनका तैयारी करने का तरीका बाकियों से थोड़ा अलग होता है।
टॉपर्स परीक्षा की तैयारी कैसे करते हैं?
• सबसे पहले वे अपने सिलेबस देखते हैं और जानते हैं कि उन्हें क्या पढ़ना है.
• कड़ी मेहनत से अधिक स्मार्ट वर्क पसंद करते हैं. हालांकि थोड़ी मेहनत भी जरूरी है.
• वे ज्यादातर मामलों में एक्टिव रिकॉलिंग तकनीक का उपयोग करते हैं.
• वे बजाय उलझे रहने या रट्टा मारने के विषय को समझने की बेहतर कोशिश करते हैं.
• टॉपिक-वाइज छोटे-छोटे नोट्स बनाना पसंद करते हैं.
• टॉप स्टूडेंट्स अधिक इंतजार नहीं करते. हमेशा कुछ न कुछ सीखने का प्रयास करते हैं.
• काम को टालते नहीं, जल्द से जल्द होमवर्क पूरा करते हैं.
• वे किसी कांसेप्ट को अधिक समझने के लिए प्रश्न पूछते हैं. जब तक कॉन्सेप्ट क्लीयर न हो, तब तक पूछते हैं. हिचकिचाते नहीं.
• टीचर को ध्यान से सुनते हैं और टॉपिक पर फोकस करते हैं.
• स्कूल/ कॉलेज का आनंद लेते हुए अपनी प्राथमिकता को अच्छी तरह समझते हैं.
• अंतिम समय में नहीं, बल्कि कोर्स के पहले दिन से ही एग्जाम/ लक्ष्य की तैयारी करते हैं.
टॉपर्स की 5 खासियत
आत्म-अनुशासन - टॉप स्टूडेंट्स बजाय मोटिवेशन सेल्फ सेल्फ डिसिप्लिन का अभ्यास करते हैं. वे अंतिम समय की प्रतीक्षा नहीं करते हैं. जब आप किसी असाइनमेंट को पूरा करने के लिए प्रेरित महसूस नहीं करते, तो आप इसे टालने में अपना कीमती समय बर्बाद कर देते हैं और अनावश्यक तनाव भी बढ़ा देंगे. आपको यह तय करने की जरूरत है कि आप किसी काम को कब पूरा करेंगे.
ऑर्गनाइज़्ड रहना - टॉप स्टूडेंट्स व्यवस्थित रहते हैं. वे अपने साथ प्लानर रखते हैं, जिसमें वे अपना डेली रूटीन या होम-वर्क नोट करते हैं. एग्जाम, प्रोजेक्ट सबमिशन की डेट या ऐसी सभी जरूरी बातों का नोट बनाकर करते हैं ताकि कोई भी असाइनमेंट हावी न हो जाए. उनके लिए यह जानना महत्वपूर्ण होता है कि वास्तव में उन्हें क्या करने की आवश्यकता है. वे कभी भी किसी असाइनमेंट या एग्जाम से चौंकते नहीं हैं.
एक्टिव रीव्यू - टॉप स्टूडेंट्स सक्रिय रूप से टॉपिक रीव्यू करते हैं. जो स्टूडेंट इस मामले में आलसी होते हैं, वे नोट्स या बुक को फिर से पढ़ने में कई घंटे खर्च करते हैं और शायद सक्रिय समीक्षा करने वाले छात्र की तुलना में खराब स्कोर करते हैं. टॉप स्टूडेंट्स कैलकुलस और केमिस्ट्री जैसे विषयों के लिए अधिक से अधिक प्रॉब्लम सॉल्व करते हैं और सभी स्टेप्स पर खूब ध्यान देते हैं. कुछ अन्य विषयों के लिए, जिन्हें याद रखने की आवश्यकता होती है, वे फ्लैशकार्ड का उपयोग करते हैं. टॉप स्टूडेंट्स केवल हाइलाइट करने से बेहतर टॉपिक को डाइजेस्ट करने में यकीन करते हैं.
समय-समय पर रीवाइज़ करना - टॉप स्टूडेंट्स कुछ समय बाद चीजों को दोहराते हैं. बजाय रटने और भूलने के रीवीज़न करते हैं. इसके लिए फ्लैशकार्ड बहुत उपयोगी है. वे मानते हैं कि रटने से बेहतर है, हर दिन थोड़ा अध्ययन करना.
एक्स्ट्रा स्टडी मैटीरियल - टॉप स्टूडेंट्स अपने लिए एक्स्ट्रा स्टडी मैटीरियल का उपयोग करते हैं. अगर उन्हें कोई टॉपिक ठीक से समझ में नहीं आता तो वे अन्य सोर्स से समझने की कोशिश करते हैं. अपने फ्रेंड को फोन करते हैं और अगर तब भी टॉपिक समझ में नहीं आता तो दोबारा अपने टीचर से पूछते हैं. कुल मिलाकर, टॉप स्टूडेंट्स प्रोएक्टिव होते हैं. उनका एक उद्देश्य होता है. जब किसी इंसान को उद्देश्य मिल जाए तभी वह उसके लिए सही प्लानिंग कर सकता है.