UPSC की तैयारी में क्या है Academic Background का महत्व ?


एक कहावत है – पूत के पाँव पालने में नज़र आ जाते हैं। हमारे समाज में स्कूल और कॉलेज में किसी स्टूडेंट के performance के आधार पर ही उसके भविष्य का आकलन करने लगते हैं। अब मान लीजिए कि कोई स्टूडेंट स्कूल में बहुत ही average या below average perform करता हो तो उसके बारे में सब यही सोचते हैं कि वह स्टूडेंट बड़ा होकर कोई average सा ही काम कर सकेगा। लेकिन हमारे देश में एक ऐसा भी तबका है जो तमाम मान्यताओं और भ्रांतियों को तोड़ने के लिए ही बना है। यह तबका है – देश के सिविल सेवकों का। हमारे देश के आईएएस, आईपीएस अधिकारी अक्सर बहुत ही humble background से आते हैं और उनमे से अधिकांश पढ़ाई में भी average रहते हैं। तो क्या वाकई आईएएस बनने के लिए academic background का कोई महत्व नहीं होता? आइए जानते हैं |


कुमार अनुराग, 2018 में 48वीं रैंक ला कर आईएएस अधिकारी बने थे। जाहिर सी बात है कि जब उनका यूपीएससी का रिज़ल्ट आया तो सब बड़े खुश हुए होंगे लेकिन जब अनुराग स्कूल में थे तो शायद किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन अनुराग आईएएस अधिकारी बन कर देश के नीति निर्माता बन जाएंगे। इसका कारण था अनुराग का अकैडमिक बैक्ग्राउण्ड। स्कूल में तो अनुराग एक अच्छे स्टूडेंट थे लेकिन जब कॉलेज की पढ़ाई करने के लिए वे बिहार के एक छोटे से गाँव से निकल कर दिल्ली आए तो उन्हें पढ़ाई रास नहीं आ रही थी। पढ़ाई से ज्यादा उनका ध्यान मौज मस्ती में लग रहा था और इसक नतीजा यह हुआ कि अनुराग कॉलेज में कई subjects में फेल हो गए। काहीर जैसे तैसे उन्होने graduation किया और घरवालों के दबाव में आकर post graduation में एड्मिशन ले लिया। लेकिन इस बार अनुराग ने कुछ और ठान लिया था। उन्होने यह तय कर लिया था कि कॉलेज में जो गलतियाँ उन्होने की हैं उसे वे दोहराएंगे नहीं और उन गलतियों के दाग धोने के लिए कुछ ऐसा करेंगे जो एक झटके में उन्हें कई लोगों से आगे ल खड़ा कर देगा। उन्होने तय किया कि वे यूपीएससी की परीक्षा देंगे और आईएएस अधिकारी बनेगे।


अब दोस्तों, यदि बात किसी और नौकरी की हो सबसे पहले candidate का academic बैक्ग्राउण्ड ही देखा जाता है और उसी आधार पर यह तय होता है कि उस व्यक्ति को कैसी नौकरी मिल सकेगी। लेकिन आईएएस एक ऐसा career prospect है जिसमे academic background को खास महत्व नहीं दिया जाता है। दरअसल यूपीएससी को यह पता है कि जो व्यक्ति उसकी परीक्षा clear कर सकता है उसकी क्षमता किसी भी कॉलेज या academics की मोहताज नहीं है।


अगर अनुराग की ही बात करें तो उनका मानना है कि अगर आप यूपीएससी की तैयारी करना चाहते हैं, तो अपने पिछले एजुकेशन बैकग्राउंड को छोड़कर नए सिरे से शुरुआत करें। वे यूपीएससी की तैयारी करने वाले आम उम्‍मीदवारों को सीख देते हुए कहते हैं कि, यह एक ऐसी परीक्षा है, जिसमें आप जीरो से शुरू करके भी ऊंचाइयों तक पहुंच सकते हैं। अनुराग कहते हैं कि, मैं खुद इस बात का उदाहरण हूं, मैं पढ़ाई से भटक गया था और पूरी तरह से मस्‍ती में डूब गया था, लेकिन जब आईएएस बनने की सोची तो उसे हासिल किया। उनके मुताबिक यहां तैयारी के दौरान जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए और एक-एक टॉपिक को बेहद गहराई के साथ पढ़ना चाहिए। इस परीक्षा में कड़ी मेहनत और बेहतर रणनीति ही सफलता का मूल मंत्र है।


दरअसल यूपीएससी की परीक्षा का syllabus और pattern ही कुछ ऐसा है कि जो किसी एक सब्जेक्ट या डिग्री पर निर्भर नहीं है। यदि आप इसके syllabus को देखेंगे तो आपको समझ में आयेगा कि इसमे पूछे जाने वाले सवाल हर सब्जेक्ट को कवर करते हैं और न सिर्फ कवर करते हैं बल्कि स्टूडेंट के अंदर दीप नॉलेज और क्रिटिकल थिंकिंग भी डिवैलप करते हैं, जो शायद कॉलेज में नहीं हो पाता। यूपीएससी का मानना है कि कॉलेज या स्कूल की डिग्री में नंबर स्कोर करना इस बात का पैमाना नहीं है कि व्यक्ति के पास वो elements भी हैं जो देश और समाज की उन्नति का चालक बनने के लिए जरूरी हैं। शायद यही कारण है कि यूपीएससी ने अपनी परीक्षा में बैठने के लिए minimum qualification सिर्फ graduation रखी है।