आज की तारीख है 1 अप्रैल,


एक व्यक्ति कुछ दिनों के लिए भारत आता है और बिना किसी बड़े प्रशासनिक या सैन्य पद पर रहते हुए भारत और पाकिस्तान के लोगों की नफरत झेलते हुए वापस लौट जाता है और कसम खाता है कि वह अब कभी भारत या पाकिस्तान नहीं आएगा. यह व्यक्ति  कोई और नहीं वहीं वकील है जो पहली बार भारत आता है और उसे भारत और पाकिस्तान के बीच की सीमा रेखा खींचने की जिम्मेदारी दे दी जाती है. उन्हें भारत पाक विभाजन की कई विभीषिकाओं के लिए जिम्मेदार माना जाता है. इतिहासकार आज भी मानते हैं सीमा खींचते हुए उनसे कई भारी गलतियां हो गईं थीं. हम बात कर रहे हैं दुनिया के सबसे बड़े और विवादास्पद बंटवारे की लकीर खींचने वाले सर सिरिल रेडक्लिफ की


सिरिल जॉन रेडक्लिफ का जन्म 30 मार्च 1899 को आर्मी कैप्टन के घर वेल्स  में हुआ था. उनकी शिक्षा ब्रिटेन के हेली बेरी कॉलेज में हुई  और ऑक्सफोर्ड में पढ़कर एक वकील बने..द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वे सूचना मंत्रालय में आए और साल 1941 में उन्हें डायरेक्टर जनरल बनया गया


रेडक्लिफ पहले अपने जीवन में कभी पेरिस से पूर्व तक नहीं गए थे और उन्हें इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट के पास होने के बाद दो सीमा समितियों का चेयरमैन बनाया गया. अंग्रेजों ने भारत छोड़ने से पहले मोहम्मद जिन्नाह के विभाजन की बात मानते हुए करीब 5 हफ्ते पहले बंटवारे की रूपरेखा बना ली थी. इसके लिए उन्होंने सर सिरिल रेडक्लिफ की अगुवाई में बाउंड्री कमिशन का गठन किया. आयोग में कांग्रेस के 4 और मुस्लिम लीग के 4 नेताओं को भी रखा गया. कमिशन ने सर्वे शुरू किया, लेकिन सबसे हैरानी की बात ये थी कि जिस रेडक्लिफ को बंटवारे की जिम्मेदारी दी गई थी, वह पहली बार भारत आए थे. ब्रिटिश शासन ने रेडक्लिफ को हिंदू और मुस्लिम बहुल एरिया और अन्य तथ्यों के आधार पर सीमा का निर्धारण करने को कहा था. हालांकि धर्म के अलावा दूसरे तथ्यों का पता कभी नहीं चल सका. हालांकि कई रिपोर्ट से पता चलता है कि सीमा निर्धारण के दौरान आबादी के अलावा आर्थिक और कम्यूनिकेशन से संबंधित चीजों को भी ध्यान में रखा गया था.


कमिशन ने अपना काम तेजी से शुरू किया. देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ. इसके ठीक 2 दिन बाद यानी 17 अगस्त 1947 को भारत और पाकिस्तान की सीमा की आधिकारिक घोषणा कर दी गई. इसे रेडक्लिफ लाइन भी कहा गया. इसके बाद जो हुआ वो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. सीमा निर्धारण के बाद इतिहास का सबसे बड़ा पलायन हुआ. इसमें करीब 1 करोड़ 40 लाख लोग इधर से उधर हुए. पलायन के दौरान हुई हिंसा में 10 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई. रेडक्लिफ़ इन सब से काफी आहत थे. उन्होंने वो सब दस्तावेज़ और नक्शे जला दिए थे जो बंटवारे के गवाह थे और इस बारे में किसी से ज़्यादा बात नहीं की.


रेडक्लिफ को इस काम पूरा करने के लिए केवल पांच हफ्ते का वक्त मिला था जो कि पर्याप्त समय नहीं था. उन्होंने नक्शे बनाकर 9 अगस्त 1947 को ही दे दिए थे. उसमें भी हैरानी की बात यह रही कि इसका औपचारिक ऐलान पाकिस्तान की आजादी के तीन और भारत की आजादी के दो दिन बाद 17 अगस्त 1947(सैंतालीस) को हो सका था.


बाद में उन्होंने स्वीकारा था कि अगर उन्हें दो तीन साल का समय मिल जाता तो वे अपना काम और बेहतर से कर पाते. जब रेडक्लिफ को पता चला कि उनकी काम से दोनों ही पक्ष (भारत और पाकिस्तान) खुश नहीं हैं, तो उन्होंने इस काम को करने वाले पैसे तक नहीं लिए


अंग्रेजों ने रेडक्लिफ को इसलिए  चुना क्यूंकि वो जानते थे कि बंटवारे की  रेखा भविष्य में भी अंग्रेजों की भूमिका पर सवाल खड़ा करेगी इसलिए अंग्रेज़  एक निष्पक्ष व्यक्ति चाहते थे.  रेडक्लिफ का भारत से कोई लेना देना नहीं था. इसलिए उन्हें एक हिंदू और एक मुस्लिम वकील की मदद से विभाजन रेखा की जिम्मेदारी दी गई.


भारत की आजादी के बाद रेडक्लिप को ब्रिटेन में कई तरह की वैधानिक जिम्मेदारियां दी गईं. वे कई जगह  के ट्रस्टी, गवर्नर, चेयरमैन बनते रहे. साल 1957 में वे मुद्रा और क्रेडिट सिस्टम की पड़ताल के लिए बनी समिति के चेयरमैन भी बने जो रेडक्लिफ कमेटी के नाम से मशहूर हुई थी. उन्होंने कई किताबें लिखने के साथ सार्वजनिक भाषण भी दिए थे. आज के ही दिन 1 अप्रैल 1977 को उनकी 78 साल की उम्र में मौत हो गई थी.

देश और दुनिया की अन्य महत्वपूर्ण घटनाएं :



1839 में कोलकाता मेडिकल कॉलेज और अस्पताल शुरू हुआ। 

1891 में फ्रांस की राजधानी पेरिस और ब्रिटेन की राजधानी लंदन के बीच टेलीफोन संपर्क शुरू हुआ। 

1930 में देश में विवाह के लिए लड़कियों की न्यूनतम उम्र चौदह और लड़कों की अठारह वर्ष की गई। 

1933 में पाकिस्तान के कराची में भारतीय वायु सेना की स्थापना की गई साथ ही साल 1935 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने काम करना शुरू किया। 

1976 में दूरदर्शन को आकाशवाणी से अलग कर दूरदर्शन कॉर्पोरेशन की स्थापना हुई। 

2010 में भारत ने जनगणना शुरू की। यह एक साल चली। इस दौरान आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई।