कहते हैं ना कि मन में जज्बा हो तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है, इतिहास बनाने वालों की राह में कितने भी रोड़े हो उनकी परवाह किए बिना वह सफलता हासिल कर ही लेते हैं | कुछ ऐसा ही कर दिखाया उत्तर प्रदेश के मऊ में रहने वाले अरविंद सोनकर ने उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से न केवल UPPSC 2022 में 86वीं रैंक हासिल की, बल्कि डिप्टी एसपी बन अपने परिवार के साथ पूरे जिले का नाम भी रोशन कर दिया | लेकिन इस सफलता के लिए अरविंद सोनकर को कई परेशानियों और आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी | आइए जानते हैं UPPSC 2022 में 86वीं रैंक हासिल करने वाले अरविंद सोनकर का सफलता की कहानी |
बेहद गरीब परिवार से आने वाले अरविंद सोनकर सात भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं | अरविंद के पिता गोरख सोनकर नगर के भीटी चौराहे पर ठेले पर फल बेचकर बड़ी कठिनाई से अपना परिवार चलाते थे | इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि आज भी अरविंद के घर चूल्हे पर खाना बनता है, और उन्हें प्रधानमंत्री उज्जवला योजना का लाभ भी नहीं मिल पाया | अरविंद के पिता के कंधों पर परिवार की बड़ी जिम्मेदारी थी, लेकिन उन्होंने अरविंद के लगन को देखते हुए उन्हें हमेशा पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया |
अरविंद सोनकर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा शहर के ही रामस्वरूप भारती इंटर कॉलेज मऊ से पूरी की, और इंटर के बाद अरविंद ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक की शिक्षा ली | जिसके बाद वह परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली चले गए | लेकिन कोरोना काल में उन्हें वापस घर वापस आना पड़ा , पर उन्होंने अपनी तैयारी लगातार जारी रखी और लगातार सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में लगे रहे | पढ़ाई के प्रति अपने बेटे की लगन देखकर अरविंद के पिता और भाई कड़ी मेहनत कर गर्मी, सर्दी , बरसार में ठेला लगाकर सड़क के किनारे फल बेचा करते, जिससे अरविंद की पढ़ाई में कोई बाधा न आएं |
आपको बता दें दो महीने पहले ही अरविंद की मां का कैंसर के चलते देहांत हो गया | वहीं इससे अरविंद उभर पाते तबतक उनके पिता गोरख को भी लकवा मार दिया | जिसके बाद अब अरविंद की पढ़ाई का खर्च चलाना मुश्किल हो गया, इस मुश्किल घड़ी में अरविंद के मामा ने उनका साथ दिया और पढ़ाई का खर्च उठाया | जिसका फल यह रहा की अरविंद ने साल 2022 में UPPSC परीक्षा में 86वीं रैंक हासिल कर सभी का नाम रोशन कर दिया |
अरविंद के इस सफलता के बाद क्षेत्र के लोगों का उनके परिवार को बधाई देने के लिए तांता लगा हुआ है | तमाम तकलीफ और कठिनाइयों के बावजूद अरविंद सोनकर यह उपलब्धि हासिल कर युवाओं के प्रेरणा स्रोत बन गए हैं, पूरे शहर में आज उन्हें के नाम की चर्चा हो रही है | लोगों का मानना है कि वह जरूर आने वाली पीढ़ियों के लिए यूथ आईकॉन बन कर उठेंगे, खासकर उन युवा वर्ग के लिए जो जो कठिनाई और गरीबी को सफलता की राह में रोड़ा मानते हैं |