क्या यूपीएससी बहुत कठिन है?
अभी कुछ दिनों पहले एक खबर आई थी कि chat gpt नाम के AI bot ने America की बड़ी बड़ी universities की परीक्षा पास कर ली। और तो और इस bot ने कई देशों की मेडिकल, law, accountant इत्यादि की भी परीक्षा बड़ी आसानी से पास कर ली और ना सिर्फ बल्कि सभी सवालों के सही जवाब भी दिये। ऐसा माना जाने लगा कि chat gpt अजेय है। लेकिन अभी एक front बाकी था, यूपीएससी का front। और chat gpt इस फ्रंट को जीत नहीं पाया। जी हाँ, chat gpt जैसा powerful AI बोट, जिसके पास हर तरह की knowledge का access है, उसने प्री की परीक्षा में 100 में सिर्फ 54 सवालों के ही सही जवाब दे पाया। खैर ये तो हुई एक AI bot की बात, लेकिन इससे जो असली बात निकल कर सामने आती है वह है कि यूपीएससी की परीक्षा इतनी मुश्किल है कि दुनिया का सबसे powerful AI bot भी इसके सभी सवालों के सही जवाब नहीं दे पाया।
अब इस सवाल का जवाब एक लाइन में नहीं समझाया जा सकता। इस परीक्षा को बहुत सारे factors मुश्किल बनाते हैं।
इनमे से सबसे पहला है इस परीक्षा का competition। हर साल लगभग दस लाख लोग इस परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन करते हैं। यदि यह भी मान लिया जाए कि इनमे से 50 प्रतिशत लोग नॉन सिरियस candidates होते हैं तो भी हर साल 5 लाख लोग serious competition वाले होते हैं और इन 5 लाख में से फ़ाइनल selection कितनों का होता है? 600 – 700 या हद से हद 800। जर सोचिए 5 लाख लोगों में सिर्फ 800। यानि हर एक कैंडिडैट के लिए 600 candidates रिजैक्ट हो जाते हैं। अब इतना बड़ा rejection ratio किसी भी परीक्षा को tough तो बना ही देगा।
दूसरा कारण है इसका पैटर्न। इस परीक्षा में सिर्फ knowledge ही नहीं बल्कि क्रिटिकल थिंकिंग और एनालिटिक्स की भी जांच की जाती है। और यह सब अलग अलग ढंग से टेस्ट किए जाते हैं। सबसे पहले प्री की परीक्षा होती है जो आपके नॉलेज को टेस्ट करती है इसके बाद मेंस है जो आपकी thought process, और presentation को टेस्ट करती है और फिर होता है इंटरव्यू जो आपकी पर्स्नालिटी को टेस्ट करती है। और इन तीनों ही चीजों का synchronisation कर पाना आसान नहीं है।
इसके बाद बारी आती है syllabus की। और सिलैबस से हमारा यह मतलब बिलकुल भी नहीं है कि इसका सिलैबस vast है इसलिए यह बहुत tough भी होगा। याद रखिए syllabus vast जरूर है लेकिन इसकी भी एक सीमा है और जिस चीज की सीमा निर्धारित हो, उसे आप मेहनत के दम पर साध सकते हैं। यहाँ हमारा मतलब syllabus के fine points को पकड़ने से है। जैस कई बार एनसीईआरटी पढ़ते समय हम चैप्टर के बीच में दिये गए information को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। या फिर यूं कहें कि हम सिलैबस के अनलिखे भाग को छोड़ देते हैं, जिसे अँग्रेजी में reading between the lines कहा जाता है। अब जब इस भाग से सवाल आते हैं तो हमें लगता है कि यह तो syllabus में था ही नहीं, और सच्चाई यह होती है कि वह syllabus में तो था, बस हमने पढ़ा नहीं।
इसके अलावा एक और भाग है जो इसे मुश्किल बनाता है और वह है – समसामयिकी यानि current affairs। लिखित पाठ्यक्रम तो स्थायी होता है, जो पिछले कई सालों से लगभग ज्यों का त्यों चला आता रहता है. लेकिन करेंट अफेयर्स से जुड़कर यह सिलेबस बहुत ही expansive और unpredictable बन जाता है। निश्चित रूप से इसके कारण पाठ्यक्रम काफी uncertain सा और बहुत ही बड़ा भी लगने है और यह भाग परीक्षार्थी की तैयारी के सामने हिमालय पर्वत को पार करने जैसी कठिन चुनौती खड़ी कर देता है।
अगली बड़ी कठिनाई आती है, पूछे गए प्रश्नों को समझने और समझकर उनके उत्तर देने की. प्रारम्भिक एवं मुख्य परीक्षाओं में सीधे-सीधे उस तरह से प्रश्न नहीं पूछे जाते, जिनसे परीक्षार्थी इससे पहले परिचित रहे होते हैं। प्रश्न जटिल होते हैं और वे अपने उत्तर के लिए आपसे आपके मौलिक विचारों एवं स्पष्ट-प्रभावशाली तर्कों की अपेक्षा करते हैं। यहां ‘रटंत तोता‘ बनने का फॉर्मूला काम नहीं करता है।
तो देखा आपने, यूपीएससी की परीक्षा मुश्किल जरूर है लेकिन हर मुश्किल गांठ की तरह यदि आप एक एक कर हर गांठ यानि हर factor पर काम करेंगे तो इसमे सफल जरूर होंगे।