आज की तारीख है 17 अप्रैल


बात है साल 1921 की, मैसूर का सबसे प्रतिष्ठित महाराजा कॉलेज में एक प्रोफेसर हुआ करते थे। जब वह कलकत्ता युनिवर्सिटी में प्रोफेसर के रूप में जाने लगे, तो विश्वविद्यालय के बाहर कुछ इस तरह भीड़ लग गई की मानों कोई समारोह हो रहा हो। छात्र उनकी बग्गी को फूलों की माला से सजा रहे, लेकिन छात्रों के आंखों में उनके जाने का गम साफ दिख रहा था। भाषण और मिलन समारोह के बाद जब प्रोफेसर साहब जाने के लिए बाहर आए, वह बग्गी को फूलों से सजा हुआ देखकर मुस्कुराए, लेकिन फिर एकदम से चौंक उठे क्योंकि बग्गी में घोड़े नहीं बधें हुए थे। छात्र आगे खड़े हुए और घोड़ों की जगह खुद उस बग्गी को खींचकर मैसूर के रेलवे स्टेशन तक ले गए। रास्ते में लोग उनके चरण स्पर्श कर प्रणाम कर रहे, मानों कि उनके घर का कोई सदस्य उन्हें छोड़कर जा रहा हो। ये व्यक्ति\ प्रोफेसर कोई और नहीं एक शिक्षक, राष्ट्रपति, दूरदर्शी और समाज सुधारक डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन थे |


डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितम्बर 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गाँव में एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ । इनके पिता का नाम सर्वपल्ली विरास्वामी था जो  एक विद्वान ब्राह्मण और राजस्व विभाग में कार्य करते थे | राधाकृष्णन का बचपन गाँव में ही बीता  वह बचपन से मेधावी छात्र रहे . उनकी प्रारंभिक शिक्षा क्रिश्चियन मिशनरी संस्था लुथर्न मिशन स्कूल, तिरूपति में हुई. इसके बाद वे आगे की पढ़ाई के लिए साल 1900 में वेल्लूर चले गए जहाँ उन्होंने शिक्षा ग्रहण की और साल 1902 में  मैट्रिक स्तर की परीक्षा उत्तीर्ण की जिसके लिए उन्हें छात्रवृति भी प्रदान की गई . साल 1903 में राधाकृष्णन का विवाह अपनी दूर की बहन सिवाकामू के साथ हुआ. विवाह के समय उनकी उम्र मात्र 16 वर्ष और उनकी पत्नी की उम्र मात्र 10 वर्ष थी. राधाकृष्णन की  पत्नी ज्यादा पढ़ी-लिखी तो नहीं थी लेकिन  तेलगु भाषा पर उनकी अच्छी पकड़ थी. इसके बाद साल 1904 में उन्होंने कला संकाय परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की. इस दौरान उन्हें मनोविज्ञान, इतिहास और गणित विषय में विशेष योग्यता प्राप्त हुई |


साल 1909 में राधाकृष्णन जी को मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र का अध्यापक बना दिया गया और वही साल 1918 में मैसूर यूनिवर्सिटी के द्वारा उन्हें दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में चुना गया | तत्पश्चात वे इंग्लैंड के oxford university में भारतीय दर्शन शास्त्र के शिक्षक बन गए. शिक्षा को डॉ राधाकृष्णन पहले  महत्व देते थे. यही कारण रहा कि वो इतने ज्ञानी विद्वान् रहे. शिक्षा के प्रति रुझान ने उन्हें एक मजबूत व्यक्तित्व प्रदान किया | वह हमेशा ही कुछ नया सिखने पढ़ने  के लिए उतारू रहते. जिस कालेज से उन्होंने M.A किया उसी कॉलेज का उन्हें  उपकुलपति बना दिया गया. लेकिन डॉ राधाकृष्णन ने एक वर्ष के अंदर ही इसे छोड़ कर बनारस विश्वविद्यालय में उपकुलपति बन गए. इसी दौरान वे दर्शनशास्त्र पर बहुत सी पुस्तकें भी लिखा करते | साल 1923 में डॉक्टर राधाकृष्णन की किताब “ भारतीय दर्शनशास्त्र प्रसाद”  प्रकाशित हुई और इस पुस्तक को सर्वश्रेष्ठ दर्शन , दर्शनशास्त्र साहित्य की ख्याति मिली |


जब भारत को स्वतंत्रता मिली उस समय जवाहरलाल नेहरू ने राधाकृष्णन से यह आग्रह किया, कि वह विशिष्ट राजदूत के रूप में सोवियत संघ के साथ राजनयिक कार्यों की पूर्ति करें.  नेहरूजी की बात को स्वीकारते हुए डॉ.राधाकृष्णन ने साल 1947 से 1949 तक संविधान सभा के सदस्य के रूप में कार्य किया. संसद में सभी लोग उनके कार्य और व्यव्हार की बेहद प्रंशसा करते. अपने सफल अकादमिक कैरियर के बाद उन्होंने राजनीतिक में अपना कदम रखा|


13 मई 1952 से 13 मई 1962 तक वे देश के उपराष्ट्रपति रहे और 13 मई 1962 को ही वे भारत के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए. राजेंद्र प्रसाद की तुलना में इनका कार्यकाल काफी चुनौतियों भरा रहा,  क्योंकि जहां एक ओर भारत का चीन और पाकिस्तान के साथ युद्ध हुआ, जिसमें चीन के साथ भारत को हार का सामना करना पड़ा. वही दूसरी ओर दो प्रधानमंत्रियों का देहांत भी इन्हीं के कार्यकाल के दौरान ही हुआ.


शिक्षा और राजनीति में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए डॉ. राधाकृष्णन को साल 1954 में सर्वोच्च अलंकरण “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया और वे 27 बार नोबल पुरस्कार के लिए नामित किए गए।


आज के ही दिन 17 अप्रैल 1975 को एक लम्बी बीमारी के बाद डॉ राधाकृष्णन का निधन हो गया. शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान हमेंशा याद किया जाता है इसलिए हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाकर डॉ.राधाकृष्णन के प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है |


आज के ही दिन साल 1946 में  सीरिया ने फ्रांस से आजादी मिलने की घोषणा की। 

वही साल 1970 में  अंतरिक्ष यान अपोलो-13 ने धरती पर सुरक्षित वापसी की। साल 1982 में कनाडा ने संविधान अपनाया। 

साथ ही साल 1997 में  प्रसिद्ध भारतीय राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता तथा उड़ीसा के भूतपूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक का निधन हुआ 

आज के ही दिन साल 2003 में  लगभग 55 साल बाद भारत-ब्रिटेन संसदीय मंच का गठन हुआ। 

वही साल 2013 में  न्यूजीलैंड ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी।