आज की तारीख है 18 अप्रैल,


बात है साल 1857(सत्तावन) के पहले स्वतंत्रता संग्राम की, इस संग्राम में एक महत्वपूर्ण नेता थे, जिन्होने अग्रेंजों के खिलाफ रानी लक्ष्मीबाई और नाना साहेब के साथ मिलकर लड़ाई लड़ी | उस नेता के रणकौशल, शौर्य और पराक्रम ने अंग्रेज़ों के दांत खट्टे कर दिए थे | अंग्रेज़ों के मन में उस नेता के प्रति डर इस क़दर पैदा हो गया था कि उन्होंने उस नेता के खिलाफ मौत की साज़िश रची और उनको धोखे से मार गिराया | यह महायोद्धा कोई और नहीं शूरवीर तात्या टोपे थे |

नासिक के पास पटौदा जिले के एक कुलकर्णी परिवार में तात्या टोपे का जन्म हुआ | उनके पिता पेशवा बाजीराव द्वितीय के गृह-विभाग के काम को देखा करते थे | उनका असली नाम रामचंद्र पांडुरंग राव था, सभी उन्हें प्यार से ‘तात्या‘ कहकर बुलाते थे | वहीं साल 1818 में बसई के युद्ध में अंग्रेज़ों से हार के बाद जब बाजीराव द्वितीय से उनका सामाज्य छिन लिया गया | इस हार के बाद बाजीराव द्वितीय को 8 लाख रुपये की सालाना पेंशन के साथ उनकी राजधानी से दूर हटाकर बिठूर, कानपुर भेज दिया गया, तो तात्या और उनके पिता भी बाजीराव के साथ वहां चले गए |

तात्या के पिता ने दो शादियां की थीं | उनकी पहली पत्नी रुक्मा देवी ने दो बच्चों रामचंद्र राव यानि तात्या टोपे और गंगाधर राव को जन्म दिया | इसके अलावा उनकी एक सौतेली बहन और छह भाई भी थे | तात्या पहले ईस्ट इंडिया कंपनी में बंगाली आर्मी की तोपखाना रेजिमेंट में नौकरी करते थे | लेकिन उनके स्वाभिमानी स्वभाव के चलते वो पेशवा की नौकरी में वापस आ गए | तात्या बचपन से ही काफ़ी शूरवीर थे, इसलिए उनके शौर्य से प्रभावित होकर पेशवा बाजीराव ने उन्हें बेहद महंगी टोपी दी थी | तात्या इस टोपी को बड़े चाव से पहनते थे, इसलिए लोग उन्हें तात्या टोपी या तात्या टोपे के नाम से पुकारने लगे |

साल 1857 के विद्रोह की शुरुआत मेरठ से हुई , जिसकी लपटें धीरे-धीरे पूरे देश में फ़ैल गईं | इसमें रानी लक्ष्मीबाई, राव साहब, बहादुरशाह जफ़र जैसे कई सेनानियों ने अपना जीवन बलिदान कर दिया | इसमें तात्या भी शामिल थे | जब इस विद्रोह की चिंगारी कानपुर तक पहुंची, तो वहां के सैनिकों ने नाना साहब को पेशवा और अपना नेता घोषित कर दिया | तात्या टोपे को नाना साहब ने अपना सैनिक सलाहकार नियुक्त किया | इसके बाद ब्रिगेडियर जनरल हैवलॉक ने जब कानपुर पर आक्रमण किया, तब तात्या ने इसकी सुरक्षा करने में अपनी पूरी जान लगा दी | लेकिन 16 जुलाई को उनकी पराजय हुई और उन्हें कानपुर छोड़ना पड़ा |

हालांकि, इसके बावजूद उनका हौसला डगमगाया नहीं और उन्होंने दोबारा सैन्य ताकत जुटाकर बिठूर को अपना केंद्र बनाया | इसके बाद हैवलॉक ने बिठूर पर भी अचानक से आक्रमण कर दिया और फिर से उनकी सेना को पराजित होना पड़ा | जिसके बाद तात्या ने ग्वालियर कंटिजेंट रेजीमेंट को अपनी टीम से मिला लिया और ब्रिटिश हुकूमत पर हमला कर दिया | इस हमले से अंग्रेज़ों को भारी नुकसान उठाना पड़ा | लेकिन 6 दिसंबर को ब्रिटिश सेना ने तात्या को फिर पराजित कर दिया | लेकिन इसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और 22 मार्च को करीब 20,000 सैनिकों के साथ रानी लक्ष्मी बाई की मदद को पहुंचे गए | जहां उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई के साथ मिल कर यहां अंग्रेजी सेना को हार दिया |

इसी विद्रोह में अंग्रेज़ों से लड़ते-लड़ते 18 जून को रानी लक्ष्मीबाई ने वीरगति प्राप्त कर ली | इसके बाद ग्वालियर पर अंग्रेज़ों ने कब्ज़ा कर लिया | तात्या ने अंग्रेज़ों पर हमला करने के लिए गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनाई | लेकिन अंग्रेजों ने उन्हें रणनीति से पीछे हटने के लिए सभी योद्धाओं के परिवारवालों को क़ैद में डालना शुरू कर दिया | इसके साथ उन्हें पकड़ने के लिए अंग्रेज़ी सेनानी को लगा दिया | लेकिन तात्या अंग्रेज़ों के छक्के छुड़ाकर 26 अक्टूबर 1858 को नर्मदा नदी पार करके दक्षिण में जा पहुँचे | 10 महीने तक तात्या अंग्रेज़ों की आँखों में धूल झौंक कर बचते रहे | सभी प्रयास करने के बाद अंग्रेज़ों ने उन्हें छल नीति से पकड़ने के बारे में सोचा | ग्वालियर के राजा के विरुद्ध अयशस्वी प्रयास करने वाले मानसिंह ने 7 अप्रैल 1859 को तात्या को परोणके वन में सोते हुए बंदी बना लिया | इसके बाद सैनिक न्यायालय ने तात्या पर अभियोग चलाकर 15 अप्रैल को फांसी पर चढ़ाने का निर्णय ले लिया | जिसके बाद इस वीर मराठा को आज ही के दिन 18 अप्रैल 1859 को फांसी पर चढ़ा दिया गया |


आइए आखिर में जानते हैं आज की तारीख यानि 18 अप्रैल की देश विदेश की अन्य महत्वपुर्ण घटनाओं के बारे में :-


1902: अपराधियों की पहचान के लिए डेनमार्क ने सबसे पहले फिंगरप्रिंट दर्ज करने शुरू किए। 

1948: नीदरलैंड के हेग में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस की स्थापना की गई। 

1950: विनोबा भावे ने आंध्र प्रदेश के पंचम पल्ली गांव की 80 एकड़ भूमि दान करके भूदान आंदोलन शुरू किया।
 
1978: आधुनिक नई दिल्ली का निर्माण करने वाले सोभा सिंह का निधन। 

1991: केरल को देश का पहला पूर्ण साक्षर राज्य घोषित किया गया। 

1992: रंगभेद के कारण प्रतिबंधित दक्षिण अफ्रीका ने 1970 के बाद पहला क्रिकेट टेस्ट मैच खेला। 

2001: भारतीय सीमा में घुस आई बांग्लादेश की सेना की गोलीबारी से भारत के 16 जवान शहीद।