UPSC में सफलता के लिए ‘एकला चलो रे ’
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो
किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो
जी हाँ यूपीएससी की तैयारी करने वाले हर स्टूडेंट के जीवन का सार इन्हीं पंक्तियों में छुपा है। इस संघर्ष में सब कुछ है, हताशा, निराशा, अकेलापन, ताने, बहाने, बाधाएँ, और वे सारी मुश्किलें जिनके बारे में आप सोच सकते हैं, लेकिन वो कहते हैं ना कि “मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है”। तो जब यूपीएससी करने का सपना देखा है तो अब पीछे मूड कर देखने का कोई मतलब नहीं रह जाता, अब तो बस चलते रहना है, चलते रहना है तब तक मंजिल नहीं मिल जाए।
गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने एक बंगाली देशभक्ति गीत में कहा था, ‘एकला चलो रे’ जिसका मतलब है आप अपनी मंजिल की तरफ अपने ढंग से आगे अकेले बढ़ते रहें। कहा जा सकता है कि जो बैठ जाता है उसकी तकदीर भी बैठ जाती है और जो उठकर चलने लगता है उसकी तकदीर भी उठकर खड़ी हो जाती है। जीवन के किसी भी मोड़ पर रुक जाना यानी मंजिल तक पहुंचने से पहले ही सफलता की उम्मीद छोड़ देना है। ऐसा सिर्फ निराशावादी लोग ही करते हैं। जीवन में आगे बढ़ते रहना ही किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने का मूलमंत्र है। इसलिए हमें हर स्थिति में अपना काम करते हुए आगे बढ़ते जाना चाहिए। सफलता कोई पेड़ पर लगा फल नहीं है कि पेड़ पर चढ़े और तोड़ लिया। अपनी मेहनत के बलबूते पर ही सफलता हासिल की जा सकती है। इसके लिए हमें अपनी मेहनत पर भरोसा करना चाहिए।
यूपीएससी की तैयारी अपने आप में एक अनोखा अनुभव है। जब तक इंसान इसमे लगा रहता है, उसकी दुनिया बस किताबों, और दूसरे स्टडी मटेरियल्स तक ही सिमटी रहती है। लेकिन इस छोटी सी दुनिया में भी बड़ी बड़ी मुश्किलें अलग अलग स्वरूप में उसके सामने आती रहती हैं, कभी पैसे की दिक्कत तो कभी नोट्स नहीं मिलने की समस्या, कभी mock test में अच्छे नंबर नहीं आए तो खुद की क्षमता पर अविश्वास होने लगता है तो कभी लोगों के ताने आपके आत्मविश्वास को धरातल में पहुंचा देते हैं। अब जो इन मुश्किलों के आगे हार मान जाता है उसका संघर्ष वहीं समाप्त हो जाता है लेकिन जो इनसे डरे बिना डट कर इन मुश्किलों का सामना करता है उसको मौके भी मिलते रहते हैं। अब ये आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप कैसे वाले aspirant हैं, डर कर भाग जाने वाले या डट कर सामना करने वाले।
लेकिन जनाब, इस राह में डट कर खड़े रहना कोई आसान काम नहीं है। मुश्किलों का तूफान ऐसा होता है जिसमे आगे पीछे कुछ समझ ही नहीं आता। कई बार तो लगता है कि बस अब तैयारी बंद करते हैं और कोई दूसरा विकल्प ढूंढते हैं। लेकिन यदि आप अपने आप को मजबूत बनाए और जीवन में कुछ basics जैसे अनुशासन, संयम और मेहनत को पकड़ कर चलते रहें तो मुश्किलें इतनी भी मुश्किल नहीं लगती। जैसे पानी बहता रहता है तो साफ-स्वच्छ रहता है और रुक जाता है तो सड़ने लगता है। इसलिए जीवन को नदी के समान माना गया है जो निरंतर बहता रहे। नदी ही क्यों चांद, सितारे, सूर्य, पृथ्वी और ग्रह हरदम चलते रहते हैं। जीवन में चलते रहने के लिए हमें इन सबकी तरफ भी देखना चाहिए जो कभी रुकते ही नहीं। जो चलते जाते हैं उन्हें कभी थकान परेशान नहीं करती। कोई भी व्यक्ति संपूर्ण नहीं होता। सब में कोई न कोई कमी अवश्य रहती है। इसलिए अपनी कमियों के बारे में जानकर यह स्वीकार करें कि आपमें भी कुछ कमियां हैं। कहा जाता है कि ईश्वर ने प्रत्येक व्यक्ति को इस संसार में किसी खास गुण के साथ भेजा है। जरूरत इस बात की है कि आप अपनी काबिलियत को पहचानें।
यदि कभी आपको आगे रास्ता समझ में ना आए तो सफल लोगों की जीवनी पढ़िये और यह समझने की कोशिश कीजिये कि उन्होने कैसे मुश्किलों का समान किया। तभी आपको समझ में आयेगा कि एक चीज जो सबने की है वो है – निरंतर आगे बढ़ते रहना, कदम छोटे हों, कोई बात नहीं लेकिन अरमान और हौसले बड़े होने चाहिए।