आज की तारीख है 11 अप्रैल


एक व्यक्ति जिसने  अपना जीवन महिलाओं, वंचितों और शोषित किसानों के उत्थान के लिए समर्पित किया था. इस काम के चलते उन्हें और उनकी पत्नी को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा. रूढ़िवादी समाज उन पर ताने मारता  और गाली गलौज भी किया करता . कुछ लोगों ने उन पर गोबर भी फेंका लेकिन उस व्यक्ति  ने अपना काम नहीं छोड़ा. इन विरोधों का कोई असर न होते देख कुछ लोगों ने उस व्यक्ति  को मारने के लिए दो हत्यारों को भेजा. वो व्यक्ति दिन का काम पूरा करने के बाद आधी रात को आराम कर रहा था . अचानक नींद टूटने पर मंद रोशनी में दो लोगों की छाया दिखी. उस व्यक्ति ने ज़ोर से पूछा कि तुम लोग कौन हो? एक हत्यारे ने कहा, 'हम तुम्हें ख़त्म करने आए हैं', जबकि दूसरा हत्यारा चिल्लाया, 'हमें तुम्हें यमलोक भेजने के लिए भेजा गया है.'यह सुनकर उस व्यक्ति  ने उनसे पूछा, "मैंने तुम्हारा क्या नुकसान किया है कि तुम मुझे मार रहे हो?" उन दोनों ने उत्तर दिया, "तुमने हमारा कोई नुकसान नहीं किया है लेकिन हमें तुम्हें मारने को भेजा गया है." फिर उस व्यक्ति ने  उनसे कहा, मुझे मारने से क्या फ़ायदा होगा? उन्होंने कहा "अगर हम तुम्हें मार देंगे, तो हमें एक-एक हज़ार रुपये मिलेंगे,"


यह सुनकर उस व्यक्ति  ने कहा, "अरे वाह! मेरी मृत्यु से आपको लाभ होने वाला है, इसलिए मेरा सिर काट लो. यह मेरा सौभाग्य है कि जिन ग़रीब लोगों की मैं सेवा कर खुद को भाग्यशाली और धन्य मानता था, वे मेरे गले में चाकू चलाएं. चलो, मेरी जान सिर्फ़ दलितों के लिए है और मेरी मौत ग़रीबों के हित में है.''


उनकी बातें सुनकर हत्या करने आए दोनों को होश आया और उन्होंने उस व्यक्ति  से माफ़ी मांगी और कहा "अब हम उन लोगों को मार डालेंगे जिन्हें आपको मारने के लिए भेजा था."


इस पर उस व्यक्ति  ने उन्हें समझाया और यह सीख दी कि बदला नहीं लेना चाहिए. इस घटना के बाद वो  दोनों हतियारे उस व्यक्ति के सहयोगी बन गए. यह व्यक्ति कोई और नहीं एक भारतीय समाज सुधारक, विचारक, लेखक और क्रांतिकारी दार्शनिक महात्मा ज्योतिराव  फुले थे |


महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म आज के ही दिन 11 अप्रैल 1827 को पुणे में हुआ था। उनकी माता का नाम चिमणाबाई था और  पिता का नाम गोविन्दराव था। उनका परिवार कई पीढ़ी पहले माली का काम करता था। वे सातारा से पुणे फूल लाकर फूलों के गजरे आदि बनाने का काम करते थे इसलिए उनकी पीढ़ी 'फुले' के नाम से जानी जाती थी। जब ज्योतिबा फुले एक वर्ष की अवस्था में थे तब उनकी  माता का निधन हो गया। इनका लालन-पालन एक बाई ने किया। इनकी प्रारंभिक शिक्षा मराठी में हुई।उन्होंने 21 वर्ष की अवस्था में अंग्रेजी से सातवीं की परीक्षा पास की.  साल 1840 में ज्योतिबा फुले का विवाह सावित्रीबाई से हुआ.. जो बाद में सावित्रीबाई फुले के नाम से भारत की एक प्रसिद्ध समाजसेवी के रूप में जानी गई.


ज्योतिबा फुले  को अहसास हुआ कि यदि भारत में दलितों और महिलाओं को आगे बढ़ना है, तो शिक्षा के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इसी विचार के तहत उन्होंने सबसे पहले सावित्रीबाई फुले को शिक्षा से जोड़ा और उन्हें यह अहसास कराया कि महिला हों या पुरुष, दोनों बराबर हैं। इसी विचार को लाने के लिए उन्होंने साल 1848 में देश का पहला गर्ल्स स्कूल खोला और हजारों वर्षों से शोषित समुदाय के न्याय के लिए खुलेआम धार्मिक ग्रंथों को चुनौती दी।


ज्योतिबा फुले ने साल 1873 में मूल रूप से मराठी में लिखी अपनी किताब ‘गुलामगिरी’ में धार्मिंक ग्रंथों, देवी-देवताओं और सामंतवादी ताकतों के झूठे दंभ पर चोट करते हुए, शूद्रों को हीन भावना त्याग कर, आत्मसम्मान के साथ अपनी जिंदगी जीने के लिए प्रेरित किया है। इस किताब में उन्होंने इंसानों में भेदभाव को जन्म देने वाले विचारों पर तार्किक तरीके से हमला किया ।  साथ ही, महिला शिक्षा को लेकर ज्योतिबा फुले का विचार था, “पुरुषों ने महिलाओं को शिक्षा से सिर्फ इसलिए वंचित रखा है, ताकि वे अपनी अधिकारों को कभी समझ न सकें।”


ज्योतिबा फुले  ने न सिर्फ महिलाओं को शिक्षा से जोड़ने का प्रयास किया, बल्कि विधवाओं के लिए आश्रम बनवाए, उनके पुनर्विवाह के लिए संघर्ष किया और बाल विवाह को लेकर लोगों को जागरूक किया।


काफी वर्षों के संघर्ष के बाद, उन्हें अहसास हुआ कि यदि दलितों और महिलाओं को मुख्यधारा से जोड़ना है, तो जाति व्यवस्था को धार्मिक और आध्यात्मिक आधार देने वाले व्यवस्थाओं पर चोट कर, कुरितियों को खत्म करना होगा। इसलिए 24 सितंबर 1873 को उन्होंने ‘सत्यशोधक समाज’ की स्थापना की।इसका मूल उद्देशय तमाम पौराणिका मान्यताओं का विरोध कर, समाज को एक नए सिरे से परिभाषित करना था।


दलितों और महिलाओं के अलावा ज्योतिबा फुले  ने किसानों की समस्याओं को भी एक नया विमर्श दिया। साल  1882 में लिखी अपनी किताब ‘किसान का कोड़ा’ में उन्होंने किसानों की दुर्दशा को दर्शाया है।


समाज सेवा के प्रति उनके इसी अटूट प्रेम और स्नेह के कारण ही साल 1888 में मुंबई के एक विशाल जनसभा में उन्हें महात्मा की उपाधि दी गई. 28 नवंबर 1890 का वह दुखदाई पल था जब भारत ने इस एक महान सपूत को खो दिया था .


  • 1869 में  महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी का पोरबंदर में जन्म हुआ। 
  • 1919 में  अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की स्थापना हुई। 
  • 1921 में रेडियो पर खेलों की पहली लाइव कमेंट्री का प्रसारण किया गया। ये एक बॉक्सिंग मैच था। 
  • 1937 में भारतीय टेनिस खिलाड़ी रामनाथन कृष्णन का जन्म हुआ। । 
  • 1977 में हिन्दी साहित्यकार पद्मश्री  ‘रेणु’ का निधन हुआ।

महात्मा ज्योतिबा फुले जी की प्रसिद्ध पुस्तक :-