IAS तो हर कोई बनता है लेकिन Chief Secreatary सिर्फ एक बनते है ?
दोस्तों, आईएएस इस देश की सबसे ज्यादा sought after career ऑप्शन है। हर साल लाखों युवा आईएएस अधिकारी बनने के लिए अपनी किस्मत आजमाते हैं और इनमे से लगभग 100 लोगों को यह मौका मिलता भी है। अब जरा सोचिए की हर साल 100 लोग आईएएस बन कर देश की administrative machinery में फिट हो जाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस machinery का सबसे ऊंचा स्थान कौन सा है? आखिर एक आईएएस अधिकारी जो देश के एक राज्य में एसडीएम से अपना career शुरू करता है उसके career का apex क्या होता है?
आप यह तो जानते ही हैं कि आईएएस बनने के लिए यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा के तीनों चरणों को पार करना पड़ता है और फिर उसके बाद candidates को लबासना में ट्रेनिंग के लिए बुलाया जाता है। फ़ाउंडेशन कोर्स और ट्रेनिंग खत्म होने के बाद उन्हें अपने आवंटित राज्यों में ऑन फील्ड ट्रेनिंग के लिए भेज दिया जाता है जहां से उनके career की शुरुआत होती है। भविष्य में आने वाली जिम्मेदारियों को ढंग से निभाने के लिए उन्हें जिला में एडीएम या एसडीएम की पोस्ट दी जाती है। उन्हें कौन सी पोस्ट दी जाएगी यह पूरी तरह से राज्यों पर निर्भर करता है। यदि एडीएम की पोस्ट दी जाती है तो उन्हें जिले के अंदर तहसील की ज़िम्मेदारी दी जाती है और यदि एसडीएम की पोस्ट दी जाती है तो उन्हें तहसील की कानून व्यवस्था की ज़िम्मेदारी दी जाती है। जिला प्रशिक्षण के बाद आईएएस अफसर तीन महीने के लिए केंद्र सरकार में सहायक सचिव के रूप में कार्यरत होते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि वे राज्य के साथ साथ केंद्र सरकार के कामों को भी अच्छी तरह समझ सकें और यदि कभी आवश्यकता पड़ने पर उन्हें केंद्र सरकार अपने बुलाती है तो वे आसानी से खुद को उसकी जरूरत के अनुरूप ढाल सकें। इस दौरान आईएएस अफसर सरकारी विभागों या मंत्रालयों में भी भेजे जा सकते हैं। अपने कैरियर के दौरान उन्हें डेपुटेशन पर वर्ल्ड बैंक, इंटरनेशनल मानेट्री फंड, एशियन डेवलपमेंट बैंक, द एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक और यूनाइटेड नेशंस और उसकी एजेंसियों में भी तैनात किया जा सकता है।
अब एक आईएएस अधिकारी की पदोन्नति को समझने से पहले यह समझना जरूरी है कि एक आईएएस अधिकारी की जिम्मेदारियाँ क्या क्या होती हैं?
• जब क्षेत्रीय पदों पर तैनात किया जाता है तब एसडीएम या एडीएम, जिलाधिकारी और मंडलायुक्त के रूप में राजस्व के मामलों की कोर्ट बनना. राजस्व इकट्ठा करना।
• कानून और व्यवस्था बनाए रखना।
• केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों को ज़मीनी स्तर पर लागू करना।
• क्षेत्र में सरकार के एजेंट के रूप में कार्य करना अर्थात जनता और सरकार के बीच मध्यवर्ती के रूप में कार्य करना।
• संबंधित मंत्रालय या विभाग के मंत्री प्रभारी के परामर्श से नीति के निर्माण और कार्यान्वयन सहित सरकार के प्रशासन और दैनिक कार्यवाही को संभालना।
• केंद्रीय सचिवालय में कैबिनेट सचिव, सचिव, अपर सचिव (अतरिक्त सचिव), संयुक्त सचुव व् राज्य सचिवालय में मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव/विशेष मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव रहते हुए निति निर्माण में योगदान देना। तो जैसा कि आप देख सकते हैं, एक आईएएस अधिकारी की ज़िम्मेदारी किसी भी एक या दो क्षेत्र तक सीमित नहीं रहती बल्कि यह बहुत ही व्यापक है और मानव और समाज की प्रगति से जुड़े हर क्षेत्र तक फैली हुई है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यदि कहीं सरकार का कोई काम होना है तो उसके लिए एक आईएएस अधियाकरी की जरूरत पड़ेगी। चाहे वह सड़क बनाना हो या स्कूल भवन, स्कूल में शिक्षा की चिंता करना हो या फिर लोगों तक बिजली पहुंचनी हो, हर काम के लिए आईएएस अधिकारी ही जिम्मेदार है।
Years of Service |
Post |
1-4 |
ASP/SDM/ Assistant
Commissioner |
5-8 |
ADM/Deputy Secretary/Undersecretary |
9-12 |
DM/Joint Secretary/Deputy
Secretary |
13-16 |
DM/ Special Secretary cum
Director/ Director |
16-24 |
Divisional Commissioner/
Secretary Cum Commissioner/ Joint Secretary |
25-30 |
Divisional Commissioner/
Principal Secretary/ Additional Secretary |
30-33 |
Additional Chief Secretary |
34-36 |
Chief Secretary |
37+ |
Cabinet Secretary of India |
तो जैसा कि आप इस टेबल से देख सकते हैं कि एक आईएएस अधियाकरी अपने कैरियर के 10वें साल में डीएम बन जाता है। फिर लगभग 15 साल का experience होने के बाद वह किसी विभाग में डाइरेक्टर और 20 सालों के बाद विभाग में सेक्रेटरी बन जाता है। यहाँ तक का सफर तो लगभग हर आईएएस तय कर लेता है लेकिन इसके बाद का रास्ता बहुत ही संकरा हो जाता है और इसमे वही निकल पता है जिसके पास experience भी हो और जिसकी service भी बची हुई हो। चीफ़ secretary बनने के लिए 35 साल से ज्यादा का अनुभव होना चाहिए और इसके बाद भी आपकी नौकरी कम से कम 1 साल जरूर बची होनी चाहिए। अब आप खुद हिसाब लगा लीजिए कि यदि 36 साल काम करना है और फिर 1 साल remaining भी हना चाहिए तो आपको सिविल सेवा परीक्षा 22 या 23 साल की उम्र तक क्लियर कर लेनी पड़ेगी। और यदि भारत सरकार में सचिव की बात करें, यानि कैबिनेट सचिव या गृह सचिव की तो आपको यह परीक्षा और भी पहले पास करनी पड़ेगी।
तो दोस्तों, यदि आप सिर्फ आईएएस बन कर नहीं रहना चाहते हैं और आपकी ख़्वाहिश आईएएस से भी आगे जाने की है तो याद रखिए कि आपको यह परीक्षा कॉलेज से निकलते ही और पहले या दूसरे attempt में ही क्लियर करनी पड़ेगी।