UPSC की तैयारी में कभी हताश न होने का SECRET
मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।
कहे कबीर हरि पाइए मन ही की परतीत॥
अर्थात हार और जीत तो हमारे मन के भाव हैं, यदि कोई इंसान मन से ही हार गया तो वह कभी जीत नहीं सकता और यदि उसने मन में जीत का भाव जागृत कर लिया तो उसे कोई हरा नहीं सकता। यदि कोई व्यक्ति ईश्वर को भी प्राप्त करना चाहता है तो सबसे पहले उसे अपने मन को यह भरोसा दिलाना होगा कि वह वाकई ईश्वर को पा सकता है।
जिंदगी में हार जीत तो चलती रहती है। मगर वह व्यक्ति जो हारने से पहले ही मन में हार जाता है वह जीवन में कभी जीत नहीं सकता। हमारे द्रुढ मन की शक्ति हमें कुछ भी करवा सकती है। यदि हम निश्चय कर ले तो हम पहाड़ पर भी विजय प्राप्त कर सकते हैं l कभी कभी हमें छोटी सी राई भी पहाड़ की तरह मालूम होती है। हम हारने से पहले ही अपनी हार मान लेते हैं। जिस व्यक्ति ने रणभूमि में शत्रु को देख हार मान ली वह व्यक्ति कभी युद्ध नहीं जीत सकता। हर क्षेत्र में जीत हासिल करने के लिए हमें कुशल ज्ञान के साथ-साथ खुद पर आत्मविश्वास का होना जरूरी है।
यूपीएससी की तैयारी करना भी एक युद्ध जैसा भी है। और हर युद्ध की ही तरह यह युद्ध भी आप तभी जीत सकते हैं जब आपके मन में यह आत्मविश्वास हो कि आप जीतेंगे और जरूर जीतेंगे। हर युद्ध की ही तरह यूपीएससी का युद्ध भी आपको डराएगा, आपको कमजोर करने की कोशिश करेगा और हर कदम पर आपको हतोत्साहित करेगा लेकिन यदि आपका मन अपने शत्रु से ज्यादा दृढ़ हो, तो धीरे धीरे आपकी सभी बाधाएँ दूर होने लगेंगी।
हमारा लक्ष्य जितना बड़ा होता है, संघर्ष भी उतना ही कठिन होता है और इसीलिए बड़ा लक्ष्य लक्ष्य हासिल करने की क्षमता वही लोग रख पाते हैं जो संघर्ष से घबड़ाते नहीं। जिन्हें असफलता का भय, पराजय की लज्जा और विफलता से निराशा नहीं होती वही तो देश के सबसे मुश्किल परीक्षा में झंडे गाड़ते हैं।
सफलता असफलता जीवन का एक पड़ाव है बल्कि यूँ कहे असफलता सफलता की और ले जाने वाली सीढ़ी है। जिसने भी यह मंत्र समझ कर अपने जीवन में उतार लिया उसके लिए असफलता एक अनुभव बन जाती है और जो यह नहीं समझ पाया वह अपनी असफलताओं के दुख में ही उलझ कर रह जाता है और कुछ हासिल कर पाना तो दूर, ऐसा करने के सोच से भी डरने लगता है।
यदि आपको लगता है कि यूपीएससी qualify करके जो लोग आईएएस आईपीएस बनते हैं उन्हें दिल्ली की नूपुर गोयल की कहानी जाननी चाहिए। नूपुर ने साल 2014 में अपने ग्रेजुएशन के दौरान ही पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी थी। पहले प्रयास में उन्होंने प्रीलिम्स और मेन्स तो क्लियर कर लिया था लेकिन इंटरव्यू में वह असफल रहीं थीं। फिर 2015 के अपने दूसरे प्रयास में वह प्रीलिम्स परीक्षा भी नहीं पास कर पाईं। जरा सोचिए, पहले attempt में interview तक पहुँचने वाली नूपुर अगले प्रयास में prelims भी क्लियर नहीं कर पायी। यह सब किसी भी आम इंसान के आत्मविश्वास को झकझोर देने के लिए काफी है। मगर नूपुर की परीक्षा यहीं खत्म होने वाली नहीं थी। अगले अटेम्प्ट में प्रीलिम्स और मेन्स क्लियर कर लिया लेकिन इस बार भी वह इंटरव्यू क्लियर करने में असफल रहीं। तीन अटैम्प्ट और परिणाम शून्य। नूपुर अपने चौथे अटेम्प्ट में एक बार फिर प्रीलिम्स क्लियर नहीं कर पाई। इस बात से निराश होने की जगह वह पूरे आत्मविश्वास के साथ यूपीएससी की तैयारी में लगी रहीं। साल 2018 में अपने पांचवें अटेंप्ट में एक बार फिर से इंटरव्यू तक पहुंचने के बाद भी वह असफल रहीं। पाँच अटैम्प्ट और परिणाम शून्य। इसके बाद नूपुर ने इंटेलिजेंस ब्यूरो जॉइन कर ली मगर यूपीएससी की असफलता उन्हें रातों को सोने नहीं देती थी। उन्होने एक बार और प्रयास करने का मन बनाया और 2019 में उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा में 11वीं रैंक हासिल की और अपना सपना साकार किया।
है ना inspiring। जरा सोच कर देखिये कि कोई व्यक्ति लगातार असफ़ल होने के बावजूद भी निराश नहीं होता और अगले प्रयास में अपना best perform करने की कोशिश करता है। और पाँच अटैम्प्ट में fail होने के बाद छठे अटैम्प्ट में सीधा टॉप रैंकर। आखिर अपनी पाँच पाँच असफलताओं को अपना mettle दिखाने का इससे बढ़िया तरीका और क्या होगा।
तो आप भी असफताओं और निराशा से खुद को अलग कीजिये और अपने मन को यह विश्व दिलाये कि अपने जो लक्ष्य अपने लिए चुना वह आप जरूर हासिल करेंगे।