आज की तारीक है 27 मार्च, बात है साल 1947 की  भारत और पाकिस्तान का बंटवारा होने के बाद एक लड़का केवल 1500 रूपए लेकर दिल्ली आया  | जिसमें से 650 रूपए से उस लड़के ने एक तांगा खरीदा और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से कुतुब रोड के बीच उसे चलाना शुरू किया | कुछ समय बाद उस लड़के ने करोलबाग पर एक छोटी-सी दुकान लगाई और मसाले बेचने शुरू किया | उसका मसालों का कारोबार खूब चल पड़ा और आगे चल कर वह एक ऐसा ब्रांड बन गया, जो सिर्फ भारत में ही नहीं दुनिया में फैल गया | यह लड़का कोई और नहीं भारत की दिग्गज मसाला कंपनी 'एमडीएच' के मालिक, 'मसाला किंग' के नाम से मशहूर धर्मपाल गुलाटी थे |


धर्मपाल गुलाटी का जन्म आज ही के दिन 27 मार्च, 1923 को पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था, जहां उनके पिता 'महाशियाँ दी हट्टी' नामक एक दुकान से मसाले बेचने का कार्य करते थे | वह आर्य समाज के बहुत बड़े अनुयायी थे | धर्मपाल गुलाटी ने 10 वर्ष की उम्र में अपनी स्कूली शिक्षा छोड़ दी जब वह 5वीं कक्षा में थे और अपने पिता की दुकान पर कार्य करना शुरू कर दिया | 7 सितंबर, 1947 को वह भारत-पाक विभाजन के बाद अपने परिवार के साथ पाकिस्तान से दिल्ली, भारत लौट आए | दिल्ली आने के बाद वह करोल बाग़ में अपनी भतीजी के घर पर रहने लगे, जहां पानी, बिजली की आपूर्ति नहीं थी | धर्मपाल गुलाटी अपनी सेहत के प्रति काफी सजग रहते थे, जिसके चलते वह सुबह 5 बजे योग किया करते थे |


देश में चारों तरफ जब आजादी का आंदोलन पूरे उफान पर था, उस दौर में 18 साल की उम्र में धर्मपाल गुलाटी का विवाह लीलावती के साथ हुआ | शादी के बाद नई जिम्मेदारी को धर्मपाल गुलाटी ने बखूबी निभाया | साल 1992(बानबे) में महाशय धर्मपाल की पत्नी लीलावती का निधन हो गया | जब धर्मपाल गुलाटी ने तांगा चलाना शुरू किया तो वह यात्रियों से 2 आने लेते थे | कई बार उन्हें अपनी आजीविका के लिए पर्याप्त रूप से साबित नहीं होने के चलते अपमानित होना पड़ता था | इसलिए उन्होंने अपनी घोडा गाड़ी को बेच दिया और अजमल खान सड़क के किनारे एक छोटी सी दुकान बनाई और अपने परिवार का पुराना कारोबार मसालों को बेचना शुरू किया  कुछ समय बाद उनका कारोबार चल पड़ा, इस सफलता के बाद उन्होंने साल 1953(तिरेपन) में चांदनी चौक में एक और दुकान किराए पर ली, जिसके चलते साल 1959(उनसठ) में उन्होंने स्वयं की फैक्ट्री स्थापित करने के लिए कीर्ति नगर में जमीन खरीदी, जहां उन्होंने एमडीएच मसालों के साम्राज्य यानि 'महाशियां दी हट्टी लिमिटेड' की स्थापना की, जिसका अर्थ है "एक महानुभाव आदमी की दुकान" पंजाबी में  जो धीरे-धीरे केवल पूरे देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में फैलती चली गई |


आपको बता दें एमडीएच स्विट्ज़रलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, कनाड़ा, यूरोपीय देशों, इत्यादि में मसालों का निर्यात करता है | वहीं वर्तमान में, एमडीएच भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में मसालों की श्रेणी में सबसे बड़े ब्रांडों में से एक के रूप में उभरा है | आपको जान के हैरानी होगी कि 90 साल की उम्र पार करने के बाद भी धर्मपाल गुलाटी स्वयं एमडीएच उत्पादों का विज्ञापन करते रहे थे | वहीं आज एमडीएच 50 से भी अधिक विभिन्न उत्पादों को बेचता है | 'मसाला किंग' के नाम से मशहूर धर्मपाल गुलाटी की मेहनत की बदौलत एमडीएच आज करीब 2000 करोड़ रुपए का ब्रांड बन गया है | एमडीएच की आज भारत और दुबई में करीब 18 फैक्ट्रियां हैं जिनमें तैयार मसाला कई देशों में बेचा जाता है | इस समय एमडीएच के करीब 62(बासठ) उत्पाद बाजार में हैं | कंपनी का दावा है कि उत्तर भारत के करीब 80% बाजार पर उसका क़ब्ज़ा है | गुलाटी जी अपनी कंपनी के विज्ञापन खुद ही करते थे, उन्हें दुनिया का सबसे उम्रदराज ऐड स्टार भी माना जाता था |


इसके अलावा धर्मपाल गुलाटी द्वारा 'महाशय चुन्नीलाल चैरिटेबल ट्रस्ट' शुरू की गई थी, जिसके अंतर्गत 250 बिस्तरों वाला एक अस्पताल और झोपड़पट्टी के निवासियों के लिए एक मोबाइल अस्पताल चलाया जा रहा है | इसके साथ ही यह ट्रस्ट दिल्ली में 4 स्कूल भी चलाता है | इस ट्रस्ट के द्वारा वित्तीय सहायता भी सामाजिक संगठनों को दी जाती है | एमडीएच संदेश पत्रिका भी चलाता है, जो भारत के पारंपरिक पारिवारिक मूल्यों को प्रदर्शित करता है | धर्मपाल गुलाटी ने भले ही किताबी शिक्षा अधिक ना ली हो, लेकिन कारोबार में बड़े-बड़े दिग्गज उनका लोहा मानते थे | धर्मपाल गुलाटी के कार्यो के लिए उन्हें साल 2019 में देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से नवाज़ा गया था | वहीं 3 दिसंबर साल 2020 में हृदय गति रुक जाने के चलते धर्मपाल गुलाटी जी का निधन हो गया |


आइए आखिर में जानते हैं आज की तारीख यानि 27 मार्च की अन्य महत्वपूर्ण घटना के बारे में  


1668ः इंग्लैंड के शासक चार्ल्स द्वितीय ने बॉम्बे को ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंपा था। 

1855ः अब्राहम गेस्नर ने केरोसिन (मिट्टी के तेल) का पेटेंट कराया। 

1933ः जापान ने लीग ऑफ नेशंस से खुद को अलग कर लिया। 

2003ः रूस ने घातक टोपोल आरएस-12 एम बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया। 

2008ः अंतरिक्ष यान एंडेवर पृथ्वी पर सफलतापूर्वक सुरक्षित लौटा। 

2019ः भारत ने अपनी एंटी-सैटेलाइट मिसाइल का इस्तेमाल कर अपना ही सैटेलाइट मार गिराया।