ITS OFFICER और IDES OFFICER में क्या अंतर है
अक्सर यूपीएससी की परीक्षा को आईएएस, आईपीएस, आईएफ़एस, आईआरएस जैसी सेवाओं के साथ जोड़ कर देखा जाता है। इसके पीछे कारण भी है कि तैयारी करने वाला हर स्टूडेंट इन्हीं सेवाओं में शामिल होने का सपना देखता है। लेकिन इन सेवाओं के अलावा और भी ऐसी कई सेवाएँ हैं जिनमे selection यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा के जरिए ही होता है और जिनमे नौकरी करना बहुत ही lucrative भी है। आज हम ऐसी ही दो सर्विसेस, इंडियन ट्रेड सर्विसेस यानि आईटीएस और Indian Defence Estates Services यानि आईडीईएस के बारे में बात करेंगे।
इंडियन ट्रेड सर्विसेस - इंडियन ट्रेड सर्विस एक ग्रुप 'ए' की केंद्रीय सेवा है, जिसमें शामिल होने के लिए यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा पास करना जरूरी है। यह सेवा 1977 में शुरू की गई थी। यह सेवा भारत सरकार के Directorate General of Foreign Trade (DGFT) के अंतर्गत आती है और DGFT व्यापार और वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत आता है। इस सेवा में काम करने वाले लोगों का मुख्य काम भारत में विदेशी व्यापार की देख रेख करना है।
आईटीएस के कार्य –
• विदेश व्यापार (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1992 के प्रावधानों को लागू करना; सुरक्षा उपाय (मात्रात्मक प्रतिबंध) नियम, 2012; विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) की देख रेख,; निर्यात और आयात मदों का आईटीसी (एचएस) वर्गीकरण,)।
• अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में नीति तैयार करना।
• निर्यात को बढ़ावा देना।
• व्यापार नीति को लागू करना।
• अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सौदों और वाणिज्यिक कूटनीति पर बातचीत करना।
• अधिकारियों को अन्य मंत्रालयों और विभागों में काम करने के लिए और विश्व बैंक समूह, एडीबी, संयुक्त राष्ट्र संगठनों आदि जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भी प्रतिनियुक्ति पर भेजा जा सकता है।
इस सेवा में काम करने वाले अधिकारी अपने कैरियर की शुरुआत Assistant Director-General of Foreign Trade के पद से करते हैं और फिर प्रोमोट हो कर डेप्युटी डाइरेक्टर, जाइंट डाइरेक्टर के पद पर काम करते हुए Director-General of Foreign Trade अथवा Senior Development Commissioner, Special Economic Zone के पद तक जा सकते हैं।
जहां तक ट्रेनिंग का सवाल है तो इनकी ट्रेनिंग भी लबासना से शुरू होती है और foundation course पूरा कर लेने के बाद आगे की ट्रेनिंग नयी दिल्ली में स्थित Indian Institute of Foreign Trade (IIFT) में पूरी होती है।
Indian Defence Estates Services आईडीईएस
Indian Defence Estates Services भी भारत सरकार की एक ग्रुप ए की केंद्रीय सेवा है। इसमे शामिल होने के लिए यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा पास करनी पड़ती है। आईडीईएस कैडर के अधिकारी Defence Estates organization (डीईओ) में काम करते हैं, जिनका मुख्य कार्य देश में छावनियों और रक्षा भूमि के नागरिक मामलों का प्रबंधन और प्रशासन करना है।
Indian Defence Estates Services के कार्य –
• रक्षा भूमि का प्रबंधन।
• छावनी बोर्डों का प्रशासन।
• छावनियों का विकास करना और सभी निवासियों के लिए स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करना, सभी बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण स्कूल, बुजुर्गों, विकलांगों और समाज के वंचित वर्गों के लिए सामाजिक देखभाल प्रणाली विकसित करना।
• रक्षा भूमि का नियमित सर्वेक्षण करना।
• रक्षा उद्देश्यों के लिए अचल संपत्तियों का अधिग्रहण करना, उन्हें किराए पर लेना या उनकी आवश्यकता की मांग को पूरा करना।
• रक्षा भूमि का नियमित ऑडिट करना।
• भूमि के सटीक और डिजीटल रिकॉर्ड को बनाए रखना और अद्यतन करना।
• रक्षा भूमि पर अतिक्रमणों और अनाधिकृत निर्माणों को रोकना और हटाना।
• रक्षा भूमि का निपटान।
• रक्षा भूमि के स्वामित्व के संबंध में मुकदमेबाजी को संभालना।
• छावनियों और रक्षा भूमि से संबंधित मामलों पर रक्षा मंत्रालय को सलाह देना।
• छावनी अधिनियम 2006 के कार्यान्वयन की निगरानी करना।
इस सेवा में कार्य करने वाले अधिकारी भी अपने कैरियर की शुरुआत असिस्टेंट डाइरेक्टर के रूप में करते हैं। प्रमोशन के बाद वे डेप्युटी डाइरेक्टर, जाइंट डाइरेक्टर आदि बनते हैं। इस सेवा में सर्वोच्च पद defence estates के director general जा होता है। आईडीईएस अधिकारियों की foundation ट्रेनिंग लबासना में होती है जिसके बाद इन्हें आग एकै ट्रेनिंग के लिए नई दिल्ली में स्थित National Institute Defence Estates Management (NIDEM) भेजा जाता है।
तो दोस्तों, यह थी यूपीएससी सिविल सेवा के दो less known but very impressive पोर्टफोलियो वाले दो सर्विसेस की जानकारी।