आज की तारीख है 17 मार्च, आज से 33 साल पहले हरियाणा राज्य के हिसार में एक लड़की का जन्म हुआ | उस समय लड़कियों को जन्म को शुभ नहीं माना जाता था | लड़की के जन्म की बात सुनते ही उसकी दादी नाराज हो गई, क्योंकि वह पोते चाहती थी, लेकिन लड़की होने पर उन्हें बहुत ही गुस्सा आया | इसलिए जन्म के समय दादी ने उनका चेहरा एक महीने तक नहीं देखा | लेकिन उस लड़की ने बड़े होकर देश को सबसे बड़ा सम्मान दिलाने का काम किया | साल 2008 में उस लड़की ने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए BWF वर्ल्ड जूनियर चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया | जिसमें उसे सफलता हासिल हुई, उसी साल उस लड़की ने बीजिंग ओलिंपिक खेलों के लिए भी क्वालिफाई किया | जिसमें वह क्वार्टर फाइनल तक पहुंची और ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी बनने का गौरव हासिल किया | यह लड़की कोई और नहीं भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल थी |
सायना नेहवाल का जन्म आज ही के दिन 17 मार्च 1990 को एक जाट परिवार में हरियाणा राज्य के हिसार जिले में हुआ | सायना के पिता का नाम डॉक्टर हरवीर सिंह नेहवाल है और उनकी माँ का नाम उषा नेहवाल सौभाग्य से सायना नेहवाल के माता पिता बैडमिंटन के खेल में शुरू से ही रूचि रखते थे और दोनों ही बेडमिंटन के खिलाडी रह चुके हैं | जिस वजह से सायना की रूचि भी बेडमिंटन के खेल में बचपन से रही | बेडमिंटन के खेल में गहरी रूचि को देखते हुए सायना नेहवाल के माता पिता ने बचपन से ही उनका पूरा सहयोग किया | लेकिन उनके परिवार ने उन्हें बेडमिंटन के खेल को अपनी पढाई के साथ-साथ खेलने की अनुमति दी | सायना नेहवाल ने अपनी शुरूआती पढाई Campus School CCS HAU, हरियाणा के हिसार से ही पूरी की इसके बाद उनके पिता को उनके बेहतरीन काम की वजह से प्रमोशन मिला गया , जिसकी वजह से उन्हें अपने परिवार के साथ हैदराबाद जाना पड़ा | इसलिए नेहवाल ने भी अपनी 12वीं की पढाई St. Ann’s College for Women, Hyderabad से पूरी की थी |
आपको बता दें सायना की माँ अपने समय की स्टेट लेवल की बैडमिंटन खिलाडी रह चुकी है, उनका सपना और भी आगे खेलने का था | लेकिन किसी कारण की वजह से वह बैडमिंटन में अपना करियर और आगे नही ले जा सकी | इसलिए सायना नेहवाल की माँ का सपना यह था की अगर उनका कोई बेटा या बेटी होती है , तो वह अवश्य ही नेशनल लेवल का बैडमिंटन खिलाडी बनें | सायना नेहवाल ने बैडमिंटन में अपनी गहरी रूचि और माँ के नेशनल लेवल के बैडमिंटन खिलाडी बनने के सपने को पूरा करने के लिए मात्र आठ साल की उम्र से ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया | क्योंकि सायना का परिवार हरियाणा राज्य से हैदराबाद आया था, इसलिए सायना को यह हैदराबादी भाषा में बात करने में शुरू शुरू में दिक्कत होती थी |
इसकी वजह से सायना नेहवाल हैदराबाद में अपनी उम्र के दूसरे बच्चे से अधिक बातचीत नहीं कर पाती | जब सायना नेहवाल ने बैडमिंटन खेलना शुरू किया, तब उनकी बहन वोलीबाल खेलती थी | सायना नेहवाल के पिता को अपनी यूनिवर्सिटी में शीर्ष खिलाडी रहने के लिए प्रोविडेंट फंड मिलता था, जिस वजह से सायना नेहवाल के पिता ने अपने प्रोविडेंट फंड को सायना को बैडमिंटन की आगे की ट्रेनिंग देने में उपयोग किया | सायना नेहवाल ने बैडमिंटन के खेल में अपनी शुरूआती प्रशिक्षण हैदराबाद के लाल बहादुर स्टेडियम, हैदराबाद में उनके उस समय के कोच नानी प्रसाद से प्राप्त की
देखा जाए तो बैडमिंटन के खेल का बीज उनके माता पिता के बैडमिंटन खेल के प्रति लगाव के चलते ही अंकुरित हुआ | अपने बेटी की बैडमिंटन के प्रति गहरी रूचि को देखते हुए उनके पिता हरवीर सिंह नेहवाल ने बैडमिंटन के खेल में अपनी बेटी सायना नेहवाल को पूरा सहयोग प्रदान किया | बैडमिंटन के प्रति सायना नेहवाल की ही मेहनत का नतीजा था जो वह अपने करियर में कम समय में ऊंचाइयों पर जाने लगी | साल 2006 में सायना नेहवाल के बैडमिंटन के प्रति जूनून और खेल में कड़ी मेहनत की वजह से उन्होंने अंडर-19 में अपनी जगह बनाई और “Asian Satellite Badminton tournament ” में सायना नेहवाल अंडर-19 में नेशनल चैंपियन बनी और उन्होंने इस टूर्नामेंट में जीत दर्ज करते हुए इतिहास दर्ज किया | सायना नेहवाल उस समय भारत के सबसे कम उम्र की महिला खिलाडी बनी | जिसके बाद साल 2008 में उन्होंने World Junior Badminton Championship में नौवे स्थान की जापान की सायका साटो को कड़े मुकाबले में हराया | इसके बाद बैडमिंटन में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए सायना नेहवाल पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाडी बनी जो Asian Games के क्वार्टर फाइनल्स में पहुंची | इसके बाद सितम्बर 2008 में सायना नेहवाल ने Lydia Cheah Li Ya को हराते हुए, Chinese Taipei Open 2008 में बेहतरीन जीत दर्ज की साल 2009 के जून महीने में सायना नेहवाल पहली भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाडी बनी जिसने BWF Super Series में जीत दर्ज की इसके बाद सायना नेहवाल ने विश्व की सबसे प्रख्यात बैडमिंटन सीरीज में अपने बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर जीत दर्ज की | जिसके बाद वह लगातार आगे बढ़ती रही |
सायना नेहवाल बैडमिंटन के खेल में अपनी बेहतरीन प्रतिभा से अपना और अपने देश भारत का नाम भी विश्वस्तर पर रौशन कर रही है | बैडमिंटन के खेल में उनके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए उनके कई तरह के अवार्ड्स और सम्मान दिए जा चुके है | साल 2019 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया | वहीं साल 2009 -2010 में दिया गए सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार से भी उन्हें सम्मानित किया गया |
आइए अब आखिर में जानते है देश और दुनिया की आज की तारीख यानि 17 मार्च की अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में:
1861 : दस साल से ज्यादा समय तक चले आंदोलन के बाद इटली का एकीकरण हुआ।
1845 : ब्रिटेन में रबर बैंड को पेटेंट किया गया। ब्रिटेन के आविष्कारक स्टीफन पैरी को ये पेटेंट मिला था।
1969 : गोल्डा मेयर इजराइल की प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनीं। मेयर इजराइल की चौथी राष्ट्रपति थीं।
1987 : सुनील गावस्कर ने करियर का आखिरी टेस्ट मैच पाकिस्तान के खिलाफ खेला।
2019 : गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का निधन हुआ ।