क्या IAS वास्तव में एक अच्छी नौकरी है ?
एक आंकड़े के मुताबिक भारत में हर साल 35 लाख लोग graudation की डिग्री प्राप्त करते हैं और हर साल लगभग 10 लाख लोग यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवेदन करते हैं। अब यदि हम repeaters को निकाल भी दें तो भी लगभग 20 प्रतिशत graduate सिविल सेवक बनने का सपना देखते हैं। 20 प्रतिशत यानि हर 5 graduate में से 1 सिविल सेवा की परीक्षा में अपना किस्मत आजमाता है। लेकिन क्या वाकई आईएएस की नौकरी इतनी अच्छी है या फिर कई लोग सिर्फ भेड़ - चाल में इस परीक्षा में बैठ जाते हैं।
आईएएस क्यों बनना चाहिए -
यह केवल एक नौकरी वाली प्रोफाइल नही है, बल्कि यह एक तरह की जिम्मेदारी है और वास्तव में इनके कर्तव्यों को निभाने के लिए आपको सक्षम होना चाहिए। उनके द्वारा चुने गए क्षेत्र के अनुसार अपनी जिम्मेदारी का वहन करना होता है। लेकिन उनका मख्य उद्देश्य समाजिक सुधार और विकास है। यह एक समाज के रुप में, लोगों के समुह में, स्कूल आदि के विकास के रुप में हो सकता है। एक आई.ए.एस. अधिकारी चुने हुए एक निश्चित क्षेत्र के विकास के लिए नए नियम भी बना सकते है।
मान लीजिए कि आपको लगता है कि आपके नजदीक कोई स्कूल होना चाहिए, तो आप सरकार को सुझाव दे सकते है और इससे आप लोगों की मदद कर सकते है। इसी तरह जिस क्षेत्र में आपकी नियुक्ति होती है यह उस क्षेत्र पर निर्भर करता है। यदि यह एक सार्वजनिक क्षेत्र है तो आपको सामाजिक कार्यों का अवसर मिलेगा, जबकि यदि आप किसी केन्द्रिय स्तर पर है तो आपको सरकार के साथ नए नियम और नई नीतियां बनाने में सरकार के साथ काम करने का अवसर मिलेगा। विभिन्न मंत्रियों के अधीन आई.ए.एस. अधिकारियों का एक समुह होता है और यही अधिकारी उन्हें सलाह देते है, और ये हमारे राष्ट्र के निर्माण और विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
यह केवल एक पोस्ट (पद) नही है बल्कि एक जिम्मेदारी और इस जिम्मेदारी के लिए मानसिक रुप से मजबूत और तैयार होना चाहिए। यहि कारण है कि आई.ए.एस. की परीक्षाएं बहुत कठिन होती है। क्योंकि इसमें विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है और किसी भी कीमत पर समस्या का सामाधान करना होता है
आईएएस का मुश्किल पक्ष –
अब आप सोच रहे होंगे कि जिस परीक्षा के लिए इतनी मेहनत कर रहे हैं, जिसके बार में हमने सुना है कि एक बार आईएएस बन गए तो फिर जिंदगी आराम से कटेगी, तो यह जान लीजिये कि आईएएस के जीवन में सब कुछ हो सकता है लेकिन आराम तो बिलकुल नहीं। यहाँ आपको दिन में 20 – 20 घंटे भी काम करना पड़ सकता है, जबकि 15 – 16 घंटे तो आम है। ऐसे कई आईएएस अधिकारी हैं जो इस बात की पुष्टि करेंगे कि जितनी मेहनत आईएएस बनने के लिए करनी पड़ती है उससे कहीं ज्यादा मेहनत आईएएस बनने के बाद करनी पड़ती है।
आईएस बनने के बाद केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न पदों पर अधिकारी को नियुक्त किया जाता है। इसके बाद सबसे बड़ा Challenging Face होता है. आईएएस अधिकारी की जिम्मेदारी बहुत बड़ी होती है और इन जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए आपको अपनी पर्स्नालिटी को इस तरह develop करना जरूरी होता है ताकि आप बिना किसी दबाव, लोभ या पक्षपात के उनका निर्वहन कर सकें। उदाहरण के लिए हो सकता ही कि आपके सामने ऐसा अवसर आए जब एक गरीब आपके द्वार पर अपनी फरियाद लेकर खड़ा हो जाए और उसकी शिकायत शहर के ऐसे बड़े व्यक्ति के खिलाफ हो जिसका बहुत सम्मान है। ऐसे में आपको अपनी बुद्धिमत्ता से उन दोनों को न्याय दिलाना होगा और वो आप तभी कर सकेंगे जब आप pressure handle करना जानते हों। कई बार आईएएस ऑफीसर के साथ भी ऐसी परिस्थितियां बनती हैं कि उनको भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ता है. खुद भी उनको इस चीज से गुजरना पड़ सकता है। इसके अलावा आईएएस अधिकारी को लोग सिफारिश के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं।
आईएएस की नौकरी में अक्सर स्थानांतरण होता रहता है। यह कई बार साल साल में या 2 साल, 3 साल में होता रहता है। इसके कारण आईएएस अधिकारी की लाइफ स्टाइल प्रभावित होती है। उसकी फैमिली को भी बार-बार उसके साथ अपना घर बदलना पड़ता है जिसका सबसे ज्यादा असर उनके बच्चों पर पड़ता है।
कुल मिलकर कहा जाए तो आईएएस की नौकरी में शक्तियाँ तो मिलती हैं लेकिन साथ ही जिम्मेदारियाँ भी मिलती हैं। जिम्मेदारियाँ जो किसी भी individual से ऊपर होती हैं और जिनके ऊपर देश का भविष्य टीका हुआ है।