UPSC का ये फैसला Aspirants की चांदी कर देगा


हाल ही में केंद्र सरकार ने DoPT की डिमांड्स फॉर ग्रांट्स रिपोर्ट, 2023-24 में बताया है कि केंद्र सरकार आधे से भी कम IAS अधिकारियों के साथ काम कर रही है | केंद्र सरकार के मुताबिक उनके साथ सिर्फ 442 IAS अधिकारी काम कर रहे हैं | जबकि कुल पदों की संख्या 1हजार 469(उनहत्तर) है | वहीं इसके अलावा देश भर में IAS अधिकारियों के 1 हजार 472(बहत्तर) पद खाली हैं | सिविल सेवा परीक्षा के जरिए हर साल 180 IAS अफसरों की नियुक्ति की जाती है | वहीं जारी की गई रिपोर्ट में संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि इसकी संख्या बढ़ाई जानी चाहिए |


आपको बता दें केंद्र सरकार में ऑल इंडिया सर्विस के अफसरों जैसे IAS और IPS की भारी कमी है | क्योंकि कई अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में आना नहीं चाहते या राज्य सरकारें अपने यहां अधिकारियों की कमी के चलते उन्हें पद से मुक्त नहीं करना चाहते | देश में IAS अधिकारियों की कुल संख्या 5 हजार 317 है | जारी रिपोर्ट में समिति को ये भी बताया गया कि 115 IAS अफसरों ने अपनी अचल संपत्ति का रिटर्न फाइल नहीं की है, जो अनिवार्य है | रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि CBI में 1 जनवरी 2022 से सिर्फ 175 अधिकारियों की नियुक्ति हुई है, जबकि 23 फीसदी पद अभी भी खाली हैं |


वहीं संसदीय समिति के अध्यक्ष बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी ने UPSC से सिफारिश की है कि सिविल सेवा परीक्षा आयोजित कराने की अवधि को कम किया जाना चाहिए | समिति ने कहा कि सिविल सेवा परीक्षा के नोटिफिकेशन जारी होने से लेकर रिजल्ट जारी होने तक 15 महीने का समय लग जाता है | समिति के मुताबिक, इस पूरी प्रक्रिया में 6 महीने से ज्यादा का समय नहीं लगना चाहिए | साथ ही समिति ने UPSC से यह भी पूछा कि सिविल सेवा परीक्षा देने के लिए आधे उम्मीदवार ही क्यों पहुंचते हैं | जानकारी के अनुसार पिछले दो सालों से जितने उम्मीदवार फॉर्म भर रहे हैं, उनमें से आधे ही परीक्षा देने पहुंचते हैं | समिति ने UPSC से पिछले 5 साल में ली गई फीस की जानकारी भी मांगी है | इसके अलावा, संसदीय समिति ने UPSC से सिफारिश की है कि वह सिविल सेवा यानि (प्रीलिमिनरी टेस्ट) परीक्षा की आंसर-की जल्द पब्लिश करने की कोशिश करें | अभी, पीटी परीक्षा की आंसर-की फाइनल परीक्षा होने के बाद जारी की जाती है |


साथ ही संसदीय समिति ने विदेश सेवा में तैनात अधिकारियों की पोस्टिंग को लेकर भी सिफारिश की है | समिति ने सिविल सर्विस की समीक्षा में पाया कि जब पति-पत्नी में से कोई एक ऑल इंडिया सर्विस और दूसरा विदेश सेवा में होता है तो उन्हें पोस्टिंग को लेकर दिक्कत होती है | IFS के पास क्षेत्रीय पासपोर्ट ऑफिस या राज्यों के ब्रांच में निर्धारित पदों के अलावा पोस्टिंग का विकल्प नहीं होता है | लेकिन ऑल इंडिया सर्विस के अधिकारियों के पास डेप्यूटेशन (राज्य से केंद्र में या केंद्र से राज्य में जाने) का विकल्प होता है | इसलिए समिति ने सिफारिश की है कि ऑल इंडिया सर्विस के ऐसे अधिकारियों को AGMUT कैडर यानि अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित कैडर आवंटित की जाए | जिससे अधिकारियों को दिल्ली या उनके राज्यों में पोस्टिंग मिल सकेगी, जहां उनके पति या पत्नी की पोस्टिंग है |