आज की तारीख है 29 मार्च, 19वीं सदी के मध्य में कलकत्ता से 16 मील दूर बैरकपुर एक शाँत सैनिक छावनी हुआ करती थी | पूर्वी भारत में सबसे अधिक भारतीय सैनिक यहीं पर तैनात थे और अंग्रेज़ गवर्नर जनरल का निवास स्थान भी यहीं था | लेकिन साल 1857(सत्तावन) की शुरुआत में कोई ये कल्पना भी नहीं कर सकता था इस छावनी से ही अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ विद्रोह का पहला बिगुल बजाया जाएगा | बात है 29 मार्च साल 1857(सत्तावन) की इस दिन रविवार था, लेकिन रविवार की दोपहर की शाँति को भंग किया एक सैनिक ने 'उस समय उस सैनिक ने अपनी रेजिमेंट का कोट तो पहन रखा था, लेकिन पतलून की जगह उसने धोती पहनी हुई थी | वो नंगे पैर था और उसके पास एक भरी हुई बंदूक थी | उसने चिल्ला कर वहाँ पहुंच चुके सैनिकों को गाली देते हुए कहा, फिरंगी यहाँ पर हैं | तुम तैयार क्यों नहीं हो रहे हो? इन गोलियों को काटने भर से हम धर्मभृष्ट हो जाएंगे | धर्म के ख़ातिर उठ खड़े हो | तुमने मुझे ये सब करने के लिए उकसा तो दिया लेकिन अब तुम मेरा साथ नहीं दे रहे हो.' | यह सैनिक कोई और नहीं साल 1857(सत्तावन) के विद्रोह के हीरो मंगल पांडे थे |
मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हुआ | उस समय कौन जानता था कि मंगल पांडे एक दिन अंग्रेजी साम्राज्य की जड़ें हिलाकर रख देंगे | मंगल पांडे बैरकपुर में 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री की पैदल सेना के सिपाही थे | साल 1857(सत्तावन) के संग्राम में मंगल पांडे की भूमिका सबसे खास रही | दरअसल भारतीय सैनिकों को अंग्रेजों ने जो राइफलें दी थीं, उनमें इस्तेमाल होने वाले कारतूसों में सूअर और गाय की चर्बी होती थी | इन कारतूसों को मुंह से खींचकर निकालना होता था, जिसके लिए भारतीय सैनिक तैयार नहीं थे | भारतीयों ने इन कारतूसों के प्रयोग को धार्मिक भावनाओं का अपमान बताया और इसका विरोध शुरू कर दिया | आज ही के दिन यानि 29 मार्च 1857 को बैरकपुर परेड मैदान में सैनिक मंगल का असंतोष खुलकर दिखाई देने लगा | मंगल पांडे अंग्रेज अधिकारियों पर शेर की तरह दहाड़ने लगे | उन्होंने परेड मैदान पर ही मेजर ह्यूसन को गोली मार दी और लेफ्टिनेंट बाग को तलवार से काट दिया |
गिरफ्तारी के बाद सैनिक अदालत में उन पर मुकदमा चला, जिसकी सुनवाई में मंगल पांडे को फांसी की सजा सुनाई गई | फांसी का दिन 18 अप्रैल तय किया गया, लेकिन स्थानीय जल्लादों ने उन्हें फांसी देने से इंकार कर दिया | इसके बाद अंग्रेजी फौज असमंजस में पड़ गई और इसके चलते एक दिन के लिए फांसी के दिन को भी टालना पड़ा | इसके बाद अंग्रेज अफसरों ने चुपके से कोलकाता से जल्लाद बुलाया और 8 अप्रैल 1857 की सुबह बैरकपुर कैंट में एक बरगद के पेड़ से मंगल पांडे को फांसी दे दी गई |
फांसी की तिथि पहले 18 अप्रैल तय की गई थी, लेकिन अंग्रेज अफसरों को यह डर सता रहा था कि अगर मंगल पांडेय जीवित रहे तो अन्य हिन्दुस्तानी सैनिकों में भी विद्रोह की भावना जागृत हो जाएगी इस स्थिति में अंग्रेजों के लिए स्थिति को संभालना मुश्किल हो जाएगा जिस वजह से उन्हें तय दिन से पहले फांसी दे दी गई |
आइए आखिर में जानते हैं देश और दुनिया की आज की तारीख यानि 27 मार्च की अन्य महत्वपूर्ण घटना के बारे में :
1798: स्विटजरलैंड गणराज्य बना।
1901ः ऑस्ट्रेलिया में पहली बार फेडरल इलेक्शन हुए।
1943ः स्वतंत्रता सेनानी लक्ष्मण नायक को बरहामपुर जेल में फांसी पर लटकाया गया।
1954ः भारतीय लोक प्रशासन संस्थान का उद्घाटन किया गया।
2004ः आयरलैंड कार्यस्थलों पर ध्रूम्रपान प्रतिबंधित करने वाला पहला देश बना।
2008ः दुनिया के 370 शहरों ने पहली बार ऊर्जा बचत के लिए अर्थ ऑवर मनाने की शुरुआत की।
2011ः भारत और पाकिस्तान के बीच टेरर हॉटलाइन बनी।
2008 के मुंबई हमलों के बाद विश्वास बहाली के उपायों के तौर पर इस कदम को देखा गया।