आज की तारीख है 3 मार्च सालों पहले सिनेमा के जनक लुमायर भाईयों ने अपनी खोज के 6 महीनों बाद अपनी पहली फ़िल्म का शो मुम्बई में प्रदर्शित किया | 7 जुलाई 1896(छियानबे) में उन्होंने मुम्बई के तत्कालीन आलीशान वोटसन होटल में अपनी 6 अलग-अलग फ़िल्मों के शो आयोजित किए | इन शो को देखने के लिए मात्र ब्रिटिश लोगों को ही आमंत्रित किया गया था | क्योंकि वोटसन होटल के बाहर एक तख्ती लगी रहती थी | जिस पर लिखा होता था कि "भारतीय और कुत्ते होटल में नहीं आ सकते हैं" | एक भारतीय उद्योगपति भी लुमायर भाईयों की फ़िल्में देखना चाहता था | लेकिन उन्हें वोटसन होटल में प्रवेश नहीं मिला | इस घटना के दो साल बाद ही वोटसन होटल की सारी शोभा धूमिल कर दे | एक ऐसे भव्य 'ताजमहल होटल' का निर्माण उस भारतीय उद्योगपति ने शुरू करवाया | बात साल 1903 की है | जब यह भव्य सुंदर होटल बनकर तैयार हो गया | कुछ समय तक इस होटल के दरवाज़े पर एक तख्ती भी लटकती थी | जिस पर लिखा होता था कि- "ब्रिटिश और बिल्लियाँ अंदर नहीं आ सकतीं | इस होटल का निर्माण करवाने वाले कोई और नहीं बल्कि 'टाटा समूह' के संस्थापक जमशेदजी टाटा थे |


जमशेदजी टाटा का जन्म 3 मार्च 1839(उनतालीस) में दक्षिणी गुजरात के नवसारी में एक पारसी परिवार में हुआ था | उनके पिता का नाम नुसीरवानजी और माता का नाम जीवनबाई टाटा था | उनके पिता अपने ख़ानदान में अपना व्यवसाय करने वाले पहले व्यक्ति रहे | वहीं मात्र चौदह वर्ष की आयु में ही जमशेदजी अपने पिता के साथ बंबई आ गए और व्यवसाय की दुनियां में क़दम रखा | छोटी उम्र में ही उन्होंने अपने पिता का साथ देना शुरू कर दिया | जब वे 17 साल के थे तब उन्होंने मुंबई के ‘एलफ़िंसटन कॉलेज’ में प्रवेश लिया और दो वर्ष बाद साल 1858(अट्ठावन) में ‘ग्रीन स्कॉलर’ के रूप में उत्तीर्ण हुए और पिता के व्यवसाय में पूरी तरह लग गए | इसके बाद इनका विवाह हीरा बाई दबू के साथ करा दिया गया |


जमशेद जी ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद एक वकील के साथ काम करना आरम्भ किया | लेकिन उसमें उनका मन नहीं लगा | उन्होंने वकील का दफ्तर छोड़कर अपने पिता के व्यवसाय में हाथ बंटाना उचित समझा | व्यवसाय में उन्हें बहुत काफी रुचि थी, अतः वे सफल व्यवसायी बनने के गुण शीघ्र ही सीख गए | इस दौरान उन्होंने व्यापार की बारीकियों को समझा | व्यापार के प्रति बेटे की लगन और कर्मठता को देखकर नसरवान जी बहुत प्रसन्न हुए, और अब वे अपना व्यवसाय भारत से बाहर फैलाना चाहते थे |


इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्होंने जमशेद जी को चीन भेजा | जमशेद जी ने हांगकांग और शंघाई जैसे बड़े नगरों में अपने व्यापार की शाखाएं खोली | उन्होंने चीन में रहकर वहां की अर्थव्यवस्था का भी अध्ययन किया | अपने व्यापार को विस्तार देने की कड़ी में वे लंदन भी गए, उस समय उनकी उम्र केवल 25 वर्ष थी | उन्होंने लंदन में सूती वस्त्र उद्योग पर अधिक ध्यान दिया | इस सम्बन्ध में उन्होंने लंकाशायर और मेनचेस्टर नगरों की यात्राएं की यह नगर वस्त्र उद्योग के लिए प्रसिद्ध है | यहाँ वे चार वर्ष तक वस्त्र उद्योग से सम्बन्धित समस्याओं क अध्ययन करते रहे |


29 साल की आयु तक जमशेदजी अपने पिता जी के साथ ही काम करते रहे | वहीं 1868(अड़सठ) में उन्होंने 21 हजार रुपयों के साथ अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया | सबसे पहले उन्होंने एक दिवालिया तेल कारखाना ख़रीदा और उसे एक रुई के कारखाने में तब्दील कर दिया और उसका नाम बदल कर एलेक्जेंडर मिल रखा दिया | दो साल बाद उन्होंने उसे अच्छे मुनाफे के साथ बेच दिया | इस पैसे के साथ उन्होंने नागपुर में 1874(चौहत्तर) में एक रुई का कारखाना लगाया | महारानी विक्टोरिया ने उन्हीं दिनों भारत की रानी का खिताब हासिल किया था और जमशेदजी ने भी वक़्त को समझते हुए कारखाने का नाम इम्प्रेस्स मिल रखा |


औद्योगिक विकास कार्यों में जमशेदजी यहीं नहीं रुके  उन्होंने देश के सफल औद्योगीकरण के लिए इस्पात कारखानों की स्थापना की महत्वपूर्ण योजना बनाई | ऐसे स्थानों की खोज की जहाँ लोहे की खदानों के साथ कोयला और पानी सुविधा से प्राप्त हो सके | अंतत: उन्होंने बिहार के जंगलों में सिंहभूमि जिले में वह स्थान खोज निकाला |


जिसके बाद जमशेद जी इंग्लैड चले गए, इंग्लैड की प्रथम यात्रा से लौटकर उन्होंने चिंचपोकली के एक तेल मिल को कताई बुनाई मिल में परिवर्तित कर औद्योगिक जीवन का सूत्रपात किया लेकिन अपनी इस सफलता से उन्हें पूर्ण संतोष न मिला | वह फिर से इंग्लैंड की यात्रा पर गए, वहाँ लंकाशायर से बारीक वस्त्र की उत्पादनविधि और उसके लिए उपयुक्त जलवायु का अध्ययन किया | जिसके बाद वह भारत लौटे और इसके व्यपार के लिए उन्होंने नागपुर को चुना और वहाँ वातानुकूलित सूत मिलों की स्थापना की | जमशेद जी के दिमाग में तीन बडे विचार आए एक, अपनी लोहा और स्टील कंपनी खोलना ; दूसरा, एक जगत प्रसिद्ध अध्ययन केंद्र स्थापित करना और तीसरा, एक जलविद्युत परियोजना लगाना | इन तीनों कार्य को उनके बच्चो ने किया |


भारतीय औद्योगिक क्षेत्र में जमशेदजी का योग असाधारण महत्त्व रखता है | उन्होंने भारतीय औद्योगिक विकास का मार्ग ऐसे समय में प्रशस्त किया जब उस दिशा में केवल यूरोपीय, विशेषत: अंग्रेज ही कुशल समझे जाते थे | लेकिन उस दौर में जमशेदजी टाटा ने अपना कामों से अपने साथ-साथ देश का भी नाम किया |


आपको बता दें जमशेदजी टाटा को कुछ वक्त पहले हुरुन ने अपनी रिपोर्ट में बीते 100 साल में हुआ सबसे बड़ा परोपकारी व्यक्ति बताया था | वहीं 19 मई 1904 को जर्मनी में उनकी मृत्यु हो गई।


आज के ही दिन साल 1921 में  देश में संसद की अहम लोक लेखा समिति बनी। 

वही साल 1943(तैंतालीस) में  महात्मा गांधी ने 21 दिन से चली आ रही अपनी भूख हड़ताल को समाप्त करने का फैसला किया। 

साथ ही साल 1966(छियासठ) में  बीबीसी ने अगले वर्ष से रंगीन टेलीविजन प्रसारण की अपनी योजना का ऐलान किया। 

आज के ही दिन साल 2005 में  अमेरिका के रोमांच प्रेमी स्टीव फोसेट ने 67(सड़सठ) घंटे तक लगातार बिना रुके उड़ान भरकर पृथ्वी का चक्कर पूरा किया। 

साल 2009 में पाकिस्तान के लाहौर में मैच खेलने जा रही श्रीलंका की टीम की बस पर हथियारबंद हमलावरों ने गोलियां चलाईं।