आज की तारीख है 28 फरवरी
कई साल पहले की बात है एक पुत्री अपने बेटे के साथ अपने पिता से मिलने आई । वह अपने पिता के पास कुछ देर तक रुकीं और जब वापस जाने लगी तो उन्होंने अपने नाती को एक रुपया भेंट कर दिया। जब उनकी पत्नी ने नाती के हाथ में एक रुपया देखा तो बोलीं ‘आपने तो कमाल कर दिया। इतने ऊंचे ओहदे पर हैं, फिर भी नाती को उपहार में एक रुपया दे रहे हैं?’ वो सहजता से बोले, ‘क्या एक रुपया कम है? तुम ही सोचो, जितना मेरा वेतन है और जितने इस देश में बच्चे हैं, यदि सभी को एक-एक रुपया दूं तो क्या मेरे वेतन से पूरा पड़ सकता है?’
इस उत्तर को सुनकर उनकी पत्नी निरुत्तर हो गईं। ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी थे हमारे संविधान के आर्किटेक्ट, भारतीय राजनीति के सफल नेता, प्रशिक्षत वकील और स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने। वह LLM और पीएचडी में गोल्ड मेडलिस्ट थे ...महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल होकर जेलयात्रा भी की। उन्होंने हिंदी भाषा में ‘देश’ नाम का साप्ताहिक निकाला। आज उनकी पुण्यतिथि है |
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का जन्म बिहार के जीरादेई में 3 दिसंबर 1884 (चौरासी) को हुआ था। उनके पिता का नाम महादेव सहाय और माता का नाम कमलेश्वरी देवी था। दरअसल यह वह समय था जब शिक्षा का आरंभ फारसी भाषा से किया जाता था. इस कारण राजेंद्र प्रसाद को पढ़ाने के लिए मौलवी आया करते थे. राजेंद्र प्रसाद पढ़ाई में बचपन से ही अव्वल थे. उस वक्त के नियमों के तहत डॉ. राजेंद्र प्रसाद का 12 वर्ष की आयु में राजवंशी देवी से बाल विवाह करा दिया गया.
आगामी शिक्षा के लिए उन्होंने कलकत्ता का रुख किया. यहां उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में पहला स्थान हासिल किया और उन्हें 30 रुपये प्रति महीने की छात्रवृति भी दी गई. यह पहली बार था जब जीरादेई गांव का कोई लड़का कलकत्ता विश्वविद्यालय पहुंचा था. सन 1902 में उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया और साल 1915 में कानून में मास्टर की डिग्री में विशिष्टता पाने के लिए राजेंद्र प्रसाद को स्वर्ण पदक भी मिला था. इसके बाद उन्होंने कानून में डॉक्टरेट की भी उपाधि प्राप्त की.
यह वह समय था देश में ब्रिटिश साम्राज्य अपने चरम पर था. भारत के आमजनों द्वारा ब्रिटिश सामानों का इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जा रहा था. लेकिन उच्च शिक्षा के बावजूद डॉ. राजेंद्र प्रसाद हमेशा धोती कुर्ता और सर पर टोपी पहने दिखते. अपने परिवार में वे सबसे छोटे थे, इस कारण उन्हें काफी लाड-प्यार मिला. अपने जीवन के शुरुआती दौर में डॉ. राजेंद्र प्रसाद रुढ़िवादी विचार के थे. क्योंकि वे खुद इस बात को स्वीकार करते हैं कि वे ब्राह्मण के हाथ के अलावा किसी और के हाथ का छुआ खाना नहीं खाते. लेकिन जब वे मोहनदास करमचंद गांधी के संपर्क में आए तो उनके ये विचार बदल गए और उन्होंने रुढ़िवादी मानसिकता का त्याग किया. बता दें कि राजेंद्र प्रसाद को देशरत्न के नाम से भी जाना जाता है. कहते हैं कि गांधी द्वारा ही राजेंद्र प्रसाद को यह उपाधि दी गई थी.
डॉ. राजेंद्र प्रसाद गांधी से काफी प्रभावित थे. यही कारण था कि पहले पश्चिमी और विदेशी कपड़े पहनने वाले डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने विदेशी कपड़ो की आहूति दी और स्वदेशी को अपनाया और हमेशा धोती-कुर्ता पहने दिखे. साल 1905 में गोपाल कृष्ण गोखले चाहते थे कि राजेंद्र सर्वेंट्स सोसायटी ऑफ इंडिया की सदस्यता लें. लेकिन राजेंद्र अपने परिवार की इच्छा के विरुद्ध कोई काम नहीं करना चाहते थे. यही कारण था कि उन्होंने गोखले के प्रस्ताव को ठुकरा दिया.
इस समय तक राजेंद्र कानून की डिग्री प्राप्त कर चुके थे और इनका उठना बैठना अपने अपने क्षेत्रों के विद्वानों के बीच होने लगा. इस समय तक वे कांग्रेस कमेटी के सदस्य बन चुके थे. इमानदार और मेहनत, लगन तथा पार्टी के प्रति समर्पण की भावना उन्हें गांधी के करीब ले आई. गांधी के प्रभा में आने के बाद राजेंद्र प्रसाद ने अपने रुढ़िवादी विचार का त्याग किया. अब वे इस मानसिकता से उपर उठ चुके थे और स्वाधीनता आंदोलन में नए आयाम गढ़ने को तैयार थे. चंपारन आंदोलन गांधी और राजेंद्र को और करीब लाई. राजेंद्र प्रसाद कई बार कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं. देश और पार्टी के प्रति समर्पण की भावना के कारण ही साल 1950 में देश को अपना पहला राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के रूप में मिल गया. डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भारत का दो बार राष्ट्रपति बनने का भी गौरव प्राप्त है. राजेंद्र प्रसाद को उनके योगदान के लिए साल 1962(बासठ) में भारत रत्न से सम्मानित भी किया गया.
सादगी पसंद व बिहार के के नाम से चर्चित डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने राष्ट्रपित के कार्यकाल को खत्म करने के बाद राजनीति से सन्यास ले लिया और आज के ही दिन 28 फरवरी 1963(तिरेसठ) को भारत के प्रथम राष्ट्रपति पंचतत्व में विलीन हो गए.
दोस्तों आइए अब आखिर में जानते है देश और दुनिया की आज की तारीख यानि 28 फरवरी की अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में:
आज के ही दिन साल 1927 में भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति कृष्णकान्त का जन्म हुआ।
वही साल 1936 में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू का निधन हुआ।
साल 1944(चौवालीस) में हिन्दी फिल्मों के प्रसिद्ध संगीतकार और गायक रवीन्द्र जैन का जन्म हुआ।
साथ ही साल 1947(सैंतालीस) में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस से राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह का जन्म हुआ।
साल 1986(छियासी) में स्वीडन के प्रधानमंत्री ओलोफ की हत्या हुई।