आज की तारीख है 3 फरवरी, आपने कभी सोचा है अगर दुनिया में प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार नहीं हुआ होता तो, कई लोगों की प्रतिभाओं को देशों - विदेशों में पहुंचा पाना कितना मुश्किल हो जाता | लेखक जो अपने विचारों से सभी के दिलों को छू लेता है, वह अपने विचारों के कैसे सभी तक पहुँचा पाता | उसकी यह प्रतिभा कुछ लोगों तक ही सिमट कर रह जाती | लेकिन प्रिंटिंग प्रेस के होने से लेखकों की ओर से बताई गए बातें और उनके विचार आसानी से पाठको तक पहुँच पाती है | वहीं प्रिंटिंग प्रेस के आविष्कार  के बाद से लोगों के लिए कई तरह के काम आसान हुए है | छात्रों का जीवन भी इसी पर निर्भर है,  प्रिंटिंग प्रेस की मदद से ही सभी को किताबें मिल पाती है | साथ ही कोई शादी समारोह, उत्सव, प्रोग्राम होते है, तो उसके लिए कार्ड प्रिंटिंग प्रेस के द्वारा ही बनवाए जाते हैं | अब प्रिंटिंग प्रेस का महत्व तो आपकों पता चल गया | लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर इस मूवेबल टाइप प्रिंटिंग का आविष्कार किसे और कब किया था | और प्रिंटिंग प्रेस को पहचान कैसे मिली


पंद्रहवीं सदी में जर्मनी के योहानेस गुटेनबर्ग ने दुनिया का पहला छापाखाना लगाने के साथ ही हाथ से पुस्तकों की लिखाई और लकड़ी के गुटकों से प्रिंटिंग के अंत की नींव रखी | योहानेस गुटेनबर्ग ने साल 1439(उनतालीस) में प्रिंटिंग मशीन का आविष्कार किया | ये एक मूवेबल टाइप प्रिंटिंग मशीन थी | दुनिया की पहली प्रिंटिंग मशीन से उन्होंने बाइबिल की छपाई की थी | ये बाइबिल आज भी गुटेनबर्ग बाइबिल नाम से फेमस है | इस मूवेबल प्रिंटिंग मशीन से छपाई का काम ब्लॉक में अक्षर खोदकर किया जाता था | जर्मनी के मेंज शहर में 1398(अट्ठानबे) में जन्मे गुटेनबर्ग की प्रिंटिंग मशीन की खास बात ये थी कि इससे छपाई में लकड़ी की जगह मेटल ब्लॉक का इस्तेमाल होता था | इस मशीन के ईजाद होने से किसी भी तरह के पेपर पर छपाई करना आसान हो गया था | ये प्रिंटिंग मशीन रोजाना 1 हजार से ज्यादा पेज की छपाई कर सकती थी | इसके पहले छपाई की जो तकनीक थी, उससे दिनभर में सिर्फ 40 से 50 पेज ही प्रिंट हो पाते थे | गुटेनबर्ग ने वर्ष 1450 में प्रिंटिंग प्रेस के साथ आने के लिए कुछ मौजूदा तकनीकों और अपने किए गए कुछ आविष्कारों को एक साथ जोड़ा | जिसके बाद उन्होंने कागज पर स्याही दबाने के लिए लकड़ी के ब्लॉकों का उपयोग करने के बजाय, मूवेबल धातु के टुकड़ों का उपयोग किया | गुटेनबर्ग ने प्रिंटिंग प्रोसेस के माध्यम से सभी तरह के नवाचारों की शुरुआत की जिससे पृष्ठों को अधिक तेज़ी से प्रिंट किया जा सके | उनकी प्रेस हर दिन 1000 पन्नों को प्रिंट कर सकती थी |


इस प्रिंटिंग मशीन के आविष्कार के बाद शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति आ गई  | बुक्स की छपाई होने लगी | लोगों के बीच किताबों की मांग बढ़ने लगी | इसकी वजह यूरोप का मिडिल क्लास भी था, जो किताबें पढ़ने लगा था | गुटेनबर्ग की प्रिंटिंग मशीन में सबसे पहले जर्मन भाषा में एक कविता छापी गई थी | इसके अलावा लैटिन ग्रामर की किताब की छपाई भी इसी से की गई, लेकिन गुटेनबर्ग प्रेस को पहचान बाइबिल की छपाई के बाद ही मिली | इस बाइबिल की छपाई अधिक संख्या में की गई | जिसके बाद उसे यूरोप के बाहर के चर्चों में पहुंचाया गया | इससे पहले बाइबिल बहुत ही कम संख्या में मिला करती थी | क्योंकि इसे हाथ से लिखने में पादरी को एक साल का समय लगता था, लेकिन गुटेनबर्ग ने इससे भी कम समय में 200 बाइबिल की छपाई कर दी | गुटेनबर्ग ने प्रिंटिंग प्रेस में छापी पहली बाइबिल 30 फ्लोरिन (उस समय की जर्मन मुद्रा) में बेची थी | ये उस समय हाथ से लिखी बाइबिल से सस्ती थी | आज इनकी वैल्यू 30 मिलियन डॉलर से अधिक है। वहीं आज ही के दिन यानि 3 फरवरी 1468(अड़सठ) को गुटेनबर्ग का निधन हो गया |


दोस्तों आइए अब आखिर में जानते है देश और दुनिया की आज की तारीख यानि 3 फरवरी की अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में : 

1815: पनीर उत्पादन का पहला कारखाना स्विट्जरलैंड में खोला गया। 

1925: भारत में पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन सर्विस मुंबई से कुर्ला के बीच शुरू हुई थी। 

1934: हवाई जहाज से पहली बार पार्सल भेजना शुरू हुआ। इस कंपनी का नाम लुफ्थांसा है। 

1938: भारत की मशहूर अभिनेत्री वहीदा रहमान का जन्म हुआ था। 

1964: भारतीय रिजर्व बैंक के 23वें गवर्नर रघुराम राजन का जन्म हुआ था। 

1972: जापान के सप्पारों में एशिया का पहला शीतकालीन ओलिंपिक आयोजित किया गया। 

2018: आज ही के दिन भारत की अंडर-19 टीम ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर चौथी बार वर्ल्ड कप जीता था।