आज की तारीख है 16 फरवरी


एक बार एक बच्चे ने अपने शिक्षक से सूर्य के आसपास चक्र जैसी चीज के बारे में पूछा | जिसका जवाब अध्यापक नहीं दे पाए | जवाब न पाकर उस बच्चे  ने कहा कि वह उसके बारे में खोज करेंगे और पता लगाएंगे | शिक्षक को लगा कि वह बच्चा काफी प्रतिभाशाली है | लेकिन इसके बाद वह इस सोच में पड़ गए कि उनके परिवार वाले उस बच्चे को आगे पढ़ा पाएंगे या नहीं | शिक्षक का मानना था कि बच्चे की पढ़ाई जारी रहनी चाहिए | इसलिए शिक्षक ने खुद बच्चे के अभिभावक से बात करनी की सोची | अध्यापक ने उस बच्चे के भाई से इस बारे में बात की कई परेशानियों के बाद आखिर उस बच्चे को पढ़ाई जारी रखने की मंजूरी मिल ही गई | यह बच्चा और कोई नहीं प्रसिद्ध खगोलविज्ञानी मेघनाद साहा थे |


मेघनाद साहा का जन्म 6 अक्टूबर, 1893(तिरानबे) में बांग्लादेश की राजधानी ढाका के करीब एक गांव शाओराटोली में हुआ था | मेघनाद साहा के पिता का नाम जगन्नाथ साहा था | उनकी माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था | उनके पिता जगन्ननाथ साहा एक छोटे से दुकानदार थे, जो अपने बड़े परिवार का खर्चा मुश्किल से चला पाते | उनकी इच्छा थी कि प्रारंभिक शिक्षा के बाद मेघनाद उनके दुकान के काम में हाथ बंटाए | लेकिन मेघनाद आगे पढ़ना चाहता थे | वे बचपन से बहुत मेधावी थे और उनकी विज्ञान में विशेष रुचि थी | कक्षा में भी उनके सवाल अध्यापकों को चकित कर देते थे | जैसा की हमने आपको बताया की मेघनाद एक गरीब परिवार से आते थे, तो उनके पिता के पास इतने पैसे नहीं थे, जिससे वह उनका एक अच्छे स्कूल में दाखिला करवा सके | लेकिन मेघनाद के शिक्षके के आग्रह पर मेघनाद के भाई ने डॉक्टर अनंत से इस बारे में मदद करने के लिए बात की इस पर उनके पिता ने अपनी सहमति दे दी |


डॉ.अनंत कुमार एक संपन्न और प्रभावशाली डॉक्टर थे | साथ ही वह एक नेकदिल इंसान भी थे | डॉ.अनंत दास ने मेघनाद साहा को आगे पढ़ने में मदद की जिसके बाद मेघनाद ने दूसरे गांव के एक अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में दाखिला ले लिया वे डॉ.अनंत कुमार के घर ही रहते थे | अपनी लगन और कठिन परिश्रम से आठवीं क्लास में मेघनाद साहा ने न सिर्फ अपने स्कूल में टॉप किया बल्कि पूरे ढाका जिले में सर्वोच्च स्थान हासिल किया अब मेघनाद साहा को छात्रवृत्ति मिलने लगी, साथ ही उनको ढाका के राजकीय हाई स्कूल में प्रवेश मिल गया |


उस समय पूरे देश में स्वतंत्रता संग्राम की आग जल रही थी, मेघनाद भी उससे प्रभावित हुए | एक बार उनके विद्यालय में बंगाल के गर्वनर मुआयना करने वाले थे | मेघनाद साहा ने अपने साथियों के साथ गवर्नर के आने पर हुए विरोध में हिस्सा लिया | इसका परिणाम यह हुआ कि मेघनाद की छात्रवृत्ति बंद कर दी गई और साथियों के साथ मेघनाद को स्कूल से निकाल दिया गया | सरकारी स्कूल ने बेशक मेघनाद को स्कूल से निकाला, लेकिन उनको एक प्राइवेट स्कूल किशोरी लाल जुबली स्कूल में प्रवेश मिल गया | साहा ने इंटरमीडिएट की परीक्षा में प्रथम श्रेणी में पास की कलकत्ता विश्वविद्यालय में साहा ने पूरे विश्वविद्यालय में दूसरा स्थान प्राप्त किया | गांव के इस बालक ने प्रगति और विकास की ओर एक बार जो कदम बढ़ाया, फिर उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा |


इंटरमीडिएट करने के बाद मेघनाद साहा ने आगे की स्नातक पढ़ाई के लिए प्रेसिडेंसी कॉलेज में दाखिला ले लिया, जहां जगदीश चंद्र बसु और प्रफुल्ल चंद राय सरीखे वैज्ञानिक उनके शिक्षक रहे और सत्येंद्र नाथ बसु उनके सहपाठी एक बार डॉ.बसु ने उनसे कहा, मेघनाद गणित में तुम्हारी विशेष रुचि है , अच्छी बात है | पर विज्ञान के और भी क्षेत्र है, तुम भौतिक विज्ञान पर जोर दो तुम हमारे साथ प्रयोगशाला में आया करो इसके बाद समय पाकर मेघनाद साहा प्रफुल्ल चंद राय और डॉ.जगदीश चंद्र बसु की प्रयोगशाला में पहुंच जाया करते | उनके निर्देशों को बहुत ध्यान से सुनते और काम करते | बीएससी करते हुए ही युवा मेघनाद का मन वैज्ञानिक खोजों में रमने लगा | आगे चलकर मेघनाद साहा ने अपने नए-नए आविष्कारों से विज्ञान जगत को चकित कर दिया |


अपने अध्ययन काल में उन्हें एग्निस क्लर्क की सुप्रसिद्ध पुस्तक तारा भौतिकी मिली जिसने उनको नई दिशा दी | थर्मो डायनामिक्स, रिलेटिविटी ऐंड अटॉमिक थिअरी उस समय भौतिकी के नए विषय थे | मेघनाद इन विषयों का अध्ययन कर पढ़ाने लगे | इन विषयों पर नोट्स बनाने के दौरान मेघनाद साहा के सामने तारा भौतिकी यानी astro physics की एक समस्या आई |  इस समस्या के समाधान में की गई खोजों ने उनको विश्व प्रसिद्ध कर दिया | मेघनाद साहा की एक खोज आयोनाइजेशन फॉर्म्युला है | यह फॉर्म्युला खगोलशास्त्रियों को सूर्य और अन्य तारों के आंतरिक तापमान और दबाव की जानकारी देने में सक्षम है | एक प्रसिद्ध खगौलशास्त्री ने इस खोज को खगोल विज्ञान की 12वीं बड़ी खोज कहा है | सन् 1920 में साहा ने इंग्लैंड की यात्रा की जहां वे अनेक वैज्ञानिकों के संपर्क में आए | जिससे उनकी वैज्ञानिक प्रतिभा को और निखरने का मौका मिला | सन् 1921 में वे स्वदेश लौटे, मेघनद साहा संभवत: पहले ऐसे वैज्ञानिक थे जिनको अपनी खोजों के लिए इतनी कम उम्र में प्रसिद्धि मिल गई और वे रॉयल सोसायटी फेलो चुने गए | आपको बता दें डॉ.साहा के एक सिद्धांत ऊंचे तापमान पर तत्वों के व्यवहार को यूरोप के प्रमुख वैज्ञानिक आइंस्टाइन ने संसार को एक विशेष देन कहा था |


डॉ.मेघनाद साहा के जीवन का एक पहलू यह भी है कि उन्होंने कई संस्थानों की स्थापना की सबसे पहले प्रयाग में नैशनल अकैडमी ऑफ साइंसेज की स्थापना की फिर इंडियन फिजिकल सोसायटी, नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ साइंसेज ऑफ इंडिया की नींव रखी इंडियन फिजिकल सोसायटी को विकसित करने में डॉ.साहा ने कोई कसर नहीं छोड़ी 1951 में साहा इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स संस्था का जन्म हुआ | अपने प्रयासों से उन्होंने अंतरराष्ट्रीय खगोल विज्ञान संघ की स्थापना की | वहीं 1953 में वे इंडियन साइंस असोसिएशन के निदेशक बने | विज्ञान संबंधित बातों को सरल भाषा में लोगों तक पहुंचाने के लिए उन्होंने साइंस ऐंड क्लचर नामक पत्रिका का प्रकाशन आरंभ किया | वैज्ञानिक होने के साथ-साथ डॉ.साहा आम जनता में भी लोकप्रिय थे | वह साल 1952 में भारत के पहले लोकसभा के चुनाव में कलकत्ता से भारी बहुमत से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीतकर आए | उन्होंने पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के साथ राष्ट्रीय योजना समिति में काम किया | वहीं 16 फरवरी 1956 को यह महान वैज्ञानिक योजना आयोग की एक बैठक में भाग लेने राष्ट्रपति भवन की ओर जा रहे थे कि अचानक गिर पड़े और हृदय गति रुक जाने से संसार से विदा हो गए |


दोस्तों आइए अब आखिर में जानते है देश और दुनिया की आज की तारीख यानि 16 फरवरी की अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में:


1759 (उनसठ): मद्रास पर फ्रांस का कब्जा समाप्त। 

1896 (छियानबे): हिंदी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्म। 

1944 (चौवालीस): हिंदी सिनेमा के पितामह कहे जाने वाले दादा साहब फाल्के का निधन। दादा साहब फाल्के पुरस्कार को सिने जगत का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान माना जाता है। 

1969 (उनहत्तर): जमाने भर में मशहूर उर्दू शायर मिर्जा गालिब की 100वीं पुण्यतिथि पर उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया गया। 

1987 (सत्तासी): पनडुब्बी से पनडुब्बी तक मार करने वाले प्रक्षेपास्त्र को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। 

2005: क्योटो करार लागू हुआ। यह पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से की गई अन्तरराष्ट्रीय संधि है। 

2013: पाकिस्तान के हजारा इलाके के एक बाजlर में हुए बम धमाके में 84(चौरासी) लोगों की मौत हो गई। 190 घायल भी हुए।