आज की तारीख है 4 फरवरी

बात है 1921 की जब महात्मा गांधी गोरखपुर  आए थे। इसके साल भर बाद हुए असहयोग आंदोलन में गोरखपुर के लोगों ने भारी संख्या में हिस्सा लिया। साल 1922 को चौरीचौरा से सटे मुंडेरा बाजार में शांतिपूर्ण बहिष्कार किया जा रहा था। गांधी जी ने उन सभी वस्तुओं, संस्थाओं और व्यवस्थाओं का बहिष्कार करने का फैसला किया था, जिनके जरिए अंग्रेज भारतीयों पर शासन कर रहे थे। उन्होंने विदेशी वस्तुओं, अंग्रेजी कानून, शिक्षा और प्रतिनिधि सभाओं के बहिष्कार की बात कही। खिलाफत आंदोलन के साथ मिलकर असहयोग आंदोलन बहुत हद तक कामयाब भी रहा था।


इसी बीच चौरीचौरा पुलिस स्टेशन के पास एक सब इंस्पेक्टर ने कुछ स्वयंसेवकों की पिटाई कर दी। 4 फरवरी को जिला मुख्यालय से करीब 15 मील दूर पूर्व डुमरी नाम की जगह पर भारी संख्या में स्वयंसेवक इकट्ठा हुए। यहां स्थानीय नेताओं के संबोधन के बाद स्वयंसेवक चौरीचौरा थाने पहुंच गए। यहां पुलिस से पिटाई का स्पष्टीकरण मांगने लगे। इसी दौरान पुलिस ने गोली चला दी। गोलियां कब तक चली इसकी कोई जानकारी नहीं है, लेकिन इसके परिणामस्वरूप 26 लोगों की मौत हो गई।


गोलियां खत्म होने पर सभी पुलिसकर्मी थाने के अंदर भाग गए। आक्रोशित स्वयंसेवकों ने उन्हें बाहर आने की चेतावनी दी, लेकिन पुलिसकर्मी बाहर नहीं आए । साथियों की मौत से आक्रोशित स्वयंसेवकों ने गेट को बंद कर थाने को आग लगा दी। इस घटना में एक सब इंस्पेक्टर और 22 पुलिस कर्मियों की जलकर मौत हो गई। मात्र एक चौकीदार जिंदा बचा। घटना के बाद गोरखपुर के कमिश्नर ने इंडिया होम दिल्ली को तार भेजकर चौरीचौरा की घटना की जानकारी दी। इसमें बताया गया कि करीब दो हजार स्वयंसेवकों और ग्रामीणों की संगठित भीड़ ने चौरीचौरा थाने पर हमला किया और थाना भवन को जला दिया गया। साथ ही यह भी अवगत कराया कि स्थिति अत्यंत ही गंभीर है और गोरखपुर के लिए एक कंपनी मिलिट्री भेज दी जाए।


जिस दारोगा की वजह से ये पूरी घटना हुई, उसका नाम था गुप्तेश्वर सिंह | उसकी उम्र 35 से 40 साल के बीच की थी। बाद में अदालत में दी गई जानकारी से मालूम हुआ कि वो आजमगढ़ के किसी गांव का रहने वाला था। पहले सेना में रह चुका था। सेना से रिटायरमेंट के बाद उसने पुलिस में नौकरी शुरू की थी। दरोगा परिवार थाना भवन के बगल में ही रहता था। जिस समय ये बलवा चल रहा था तब दारोगा कि पत्नी राजमनी अपने घरेलू नौकर और दो बच्चियों के साथ डरी सहमी घर पर थी। हालांकि भीड़ ने उन्हें छोड़ देना उचित समझा, क्योंकि उनका गुस्सा अंग्रेजों की चाकरी कर रहे जुल्मी सिपाहियों को लेकर था।


इस हिंसा के बाद महात्मा गांधी ने 12 फरवरी 1922 को असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था । महात्मा गांधी के इस फैसले को लेकर क्रांतिकारियों का एक दल नाराज था। 16 फरवरी 1922 को गांधीजी ने अपने लेख चौरीचौरा का अपराध में लिखा कि अगर ये आंदोलन वापस नहीं लिया जाता तो दूसरी जगहों पर भी ऐसी घटनाएं होतीं। उन्होंने इस घटना के लिए एक तरफ जहां पुलिसवालों को जिम्मेदार ठहराया क्योंकि उनके उकसाने पर ही भीड़ ने ऐसा कदम उठाया था। दूसरी तरफ घटना में शामिल तमाम लोगों को अपने आपको पुलिस के हवाले करने को कहा क्योंकि उन्होंने अपराध किया था।  इसके बाद गांधीजी पर राजद्रोह का मुकदमा भी चला था। उन्हें मार्च  में गिरफ्तार कर लिया गया था ।  गांधीजी का मानना था कि अगर असहयोग के सिद्धांतों का सही से पालन किया गया तो एक साल के अंदर अंग्रेज भारत छोड़कर चले जाएंगे।


दोस्तों आइए अब आखिर में जानते है देश और दुनिया की आज की तारीख यानि 4 फरवरी की अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में :

आज के ही दिन साल 1881(इक्यासी) में  दैनिक समाचार पत्र केसरी का पहला अंक प्रकाशित हुआ। इसके संपादक लोकमान्य तिलक थे। 

साल  1922 में भारत रत्न और भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायक पंडित भीमसेन जोशी का जन्म हुआ था। 

वही 1924 में  महात्मा गांधी को बीमार होने के बाद जेल से रिहा कर दिया गया। साथ ही 1960 में भोपाल रियासत के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान का निधन हुआ था। 

वही साल 1974(चौहत्तर)  में भारत के महान गणितज्ञ सत्येंद्र नाथ बोस का निधन हुआ था। 

आज के ही दिन 2000 में हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। 

साथ ही साल 2014 में भारतवंशी सत्य नडेला माइक्रोसॉफ्ट के नए CEO नियुक्त किए गए।