आज की तारीख है 25 फरवरी, बात कई साल पूरानी है आगरा के बादशाह अकबर को शिकार का बहुत शौक था | एक दिन बादशाह शिकार के लिए निकले तो घोड़े पर सरपट दौड़ते हुए उन्हें पता ही नहीं चला और केवल कुछ सिपाहियों को छोड़ कर बाकी सेना पीछे रह गई | शाम हो चुकी थी, सभी भूखे और प्यासे थे | राजा को समझ नहीं आ रहा था कि वह किस तरफ जाएं | कुछ दूर जाने पर उन्हें एक तिराहा नज़र आया | राजा को उम्मीद बंधी कि शायद अब उन्हें सही रास्ता मिल जाए | तभी बादशाह ने देखा कि एक लड़का उन्हें सड़क के किनारे खड़ा-खडा घूर रहा है | सैनिक उस लड़के को पकड़ कर राजा के सामने ले आए | राजा ने कड़कती आवाज़ में पूछा, 'ऐ लड़के, आगरा के लिए कौन सी सड़क जाती है?' लड़का मुस्कुराया और कहा, 'जनाब, ये सड़क चल नहीं सकती तो ये आगरा कैसे जाएगी? महाराज जाना तो आपको ही पड़ेगा।' | ऐसा कहकर वह खिलखिलाकर हंस पड़ा | सभी सैनिक मौन खड़े थे, क्योंकि वे राजा के गुस्से से वाकिफ थे | लड़का फिर बोला कि जनाब, लोग चलते हैं, रास्ते नहीं | यह सुन बादशाह मुस्कराए और कहा कि तुम ठीक कह रहे हो, तुम्हारा नाम क्या है..? लड़के ने जवाब दिया - मेरा नाम महेश दास है महाराज और आप कौन हैं। अकबर ने अपनी अंगूठी निकाल कर महेश को देते हुए कहा कि तुम महाराजा अकबर, हिंदुस्तान के सम्राट से बात कर रहे हो | बादशाह ने कहा कि मुझे निडर लोग पसंद हैं, तुम मेरे दरबार में आना और मुझे यह अंगूठी दिखाना, मैं तुम्हें पहचान लूंगा | बादशहा बोले,'अब तुम मुझे बताओ कि मैं किस रास्ते पर चलूं ताकि मैं आगरा पहुँच जाऊं | महेश दास ने सिर झुका कर आगरा का रास्ता बताया और जाते हुए हिंदुस्तान के सम्राट को देखता रहा | यह बालक और कोई नहीं बल्कि अकबर के नवरत्न में से एक और उनका पसंदीदा बीरबल था |


कवि और ज्ञानी बीरबल का जन्म 1528 में उत्तर प्रदेश के काल्पी के एक हिन्दू ब्राह्मण परिवार में हुआ | उनका असली नाम महेश दास था | जब महेश बड़े हुआ तो बादशाह अकबर से बचपन में हुई मुलाकात को याद कर वह उनसे मिली अंगूठी को लेकर अपना भाग्य आजमाने राजा से मिलने चल दिया | जैसे-तैसे तलाशते हुए वह बादशाह के महल तक पहुंचा | उसने जैसे ही महल में प्रवेश करना चाहा, रौबदार मूंछों वाले दरबान ने अपना भाला हवा में लहराया और उसे रोक दिया |  दरबान बोला, 'तुम्हें क्या लगता है, कि तुम कहां प्रवेश कर रहे हो?' | महेश ने नम्रता से जवाब दिया - महाशय, मैं महाराज से मिलने आया हूं । महेश ने बादशाह की दी हुई अंगूठी दरबान को दिखाई। इस बार दरबान ने कहा कि अंदर जाओ पर तुम्हें महाराज जो भी इनाम देंगे उसका आधा हिस्सा तुम मुझे दोगे। महेश ने एक पल सोचा और फ़िर मुस्कुराकर बोला - ठीक है, मुझे मंजूर है |


महेश ने महल के अंदर प्रवेश किया और देखा महाराजा अकबर सोने के सिंहासन पर विराजमान हैं | महेश ने बादशाह अकबर को झुक कर सलाम किया , वहीं अकबर के पूछने पर महेश ने राजा की दी हुई अंगूठी सामने रख दी | बादशाह बोले - ओहो! यादा आया, तुम महेश दास हो है न! महेश ने जवाब दिया - जी महाराज, मैं वही महेश हूं | बादशाह ने कहा कि - बोलो महेश तुम्हें क्या चाहिए? जिसपर महेश ने उसे सौ कोडे़ मारने की माँग रखी | इसपर बादशाह ने पूछा ऐसा क्यों तब महेश ने बदशाह को पूरी बात बताई | यह सुना राजा ने महेश से कहा, 'तुम बिल्कुल वेसे ही बहादुर और निडर हो, जैसे बचपन में थे, मैं अपने दरबार में से भ्रष्ट कर्मचारियों को पकड़ना चाहता था, जिसके लिए मैंने बहुत से उपाय किए लेकिन कोई भी काम नहीं आया | बादशाह ने कहा,'तुम्हारी इसी बुद्धिमानी की वजह से आज से तुम 'बीरबल' कहालाओगे और तुम मेरे मुख्य सलाहकार नियुक्त किए जाते हो | धीरे-धीरे बादशाह अकबर और बीरबल की मित्रता बढ़ती गई | इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि, जब अकबर फ़तेहपुर सीकरी का निर्माण करा रहे थे, तो उन्होंने एक क़िला बीरबल के लिए भी बनवाने के लिए कहा | ताकि वो दोनों रोज़ मुलाकात कर सकें | जिससे दरबार के अन्य सलाहकार बीरबल से चिढ़ने लगे |  वहीं साल 1586 (छियासी) में जै़न ख़ां कोका और बीरबल को पश्तून युसुफ़ज़ाई के खिलाफ़ उन्हें शिकस्त देने के लिए भेजा गया | फिर और मदद मांगे जाने पर अबुल फ़तह को भी भेज दिया गया | बीरबल की जै़न ख़ां कोका और अबुल फ़तह दोनों से नहीं बनती थी | नेताओं की असहमति की वजह से युद्ध के दौरान वहां बीरबल के खिलाफ़ एक जाल बुना गया और उन्हें धोखे से काबुल की धूसर पहाड़ियों से आज ही के दिन यानि 25 फरवरी साल 1586 में नीचे गिरा दिया गया | इस जंग में बीरबल की लाश तक बरामद नहीं हुई | अकबर के शासनकाल में ये मुग़लों की सबसे बड़ी हार थी, जिसमें 8000 से ज़्यादा मुग़ल सैनिकों की जान गई, जिसमें से एक बीरबल भी थे | बीरबल की मौत की ख़बर मिलने के बाद अकबर की आंखों की नींद उड़ गई थी | बताया जाता है कि उन्होंने काफ़ी समय तक खाना-पीना छोड़ दिया था | बादशाह इस बात की कल्पना करते सिहर जाते थे कि उनके चहेते वजीर की कटी-फटी, खून से सनी लाश पहाड़ियों में कहीं पड़ी होगी |


आइए अब आखिर में जानते है देश और दुनिया की आज की तारीख यानि 25 फरवरी की अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में :


1760: लॉर्ड क्लाइव ने पहली बार भारत छोड़ा और 1765 में वापस लौटे। रॉबर्ट क्लाइव ईस्ट इंडिया कंपनी की तरफ से भारत के पहले गवर्नर जनरल थे। 

1962: देश के तीसरे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई। जवाहरलाल नेहरू तीसरी बार प्रधानमंत्री बने। 

1981: बॉलीवुड एक्टर शाहिद कपूर का जन्म। 

1988: जमीन से जमीन पर मार करने वाली देश में बनी पहली मिसाइल 'पृथ्वी' का सफल परीक्षण हुआ। 

1995: असम में ट्रेन में दो बम ब्लास्ट हुए। सेना के 22 जवानों की मौत। 

2010: 2008 के मुंबई हमले के बाद पहली बार भारत-पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों के बीच बात हुई।