आज की तारीख है 9 फरवरी, साल 2019 में, संसद हमले के साजिशकर्ता अफजल गुरू को तिहाड़ जेल नंबर तीन में रखा गया था | सुबह उठने के बाद अफजल ने नमाज अदा की, इसके बाद उसे 7:30 बजे फांसी के लिए ले जाया गया | अफजल को फांसी के लिए ले जाए जाने से पहले एक डॉक्टर ने उसका मेडिकल परीक्षण किया | जिसके बाद सुबह 8 बजे अफजल को फांसी दी गई, फांसी पर लटकाने के दो घंटे बाद डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया | इसके बाद अफजल को मकबूल बट्ट के बगल में ही दफना दिया गया |
लेकिन इस कहानी की शुरूआत हुई थी, 13 दिसंबर साल 2001 की सुबह को, जब संसद में विंटर सेशन चल रहा था और महिला आरक्षण बिल पर हंगामा जारी था | बिल पर चर्चा होनी थी, लेकिन हंगामे की वजह से 11 बजकर 2 मिनट पर संसद को स्थगित कर दिया गया | इसके बाद उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और विपक्ष की नेता सोनिया गांधी संसद से जा चुके थे | तभी करीब साढ़े ग्यारह बजे उपराष्ट्रपति के सिक्योरिटी गार्ड उनके बाहर आने का इंतजार कर रहे थे और तभी सफेद एम्बेसडर में सवार 5 आतंकी गेट नंबर-12 से संसद परिसर में घुस आए, उस समय सिक्योरिटी गार्ड निहत्थे हुआ करते थे |
यह सब देखकर सिक्योरिटी गार्ड ने उस एम्बेसडर कार के पीछे दौड़ना शुरू किया, इसी बीच आतंकियों की कार की उपराष्ट्रपति की कार से टकरा गई | बस फिर क्या था, घबराकर आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी | आतंकियों के पास एके-47 और हैंड ग्रेनेड थे, जबकि सिक्योरिटी गार्ड निहत्थे थे | शाम 4 बजे तक ऑपरेशन चला और सभी पांचों आतंकी मारे गए | संसद पर हुए इस हमले में दिल्ली पुलिस के पांच जवान, CRPF की एक महिला सिक्योरिटी गार्ड, राज्यसभा के दो कर्मचारी और एक माली की मौत हो गई | संसद हमले के दो दिन बाद 15 दिसंबर 2001 को अफजल गुरू, एसएआर गिलानी, अफशान गुरू और शौकत हुसैन को गिरफ्तार कर लिया गया | बाद में सुप्रीम कोर्ट ने गिलानी और अफशान को बरी कर दिया, लेकिन अफजल गुरू की मौत की सजा को बरकरार रखा | शौकत हुसैन की मौत की सजा को भी घटाकर 10 साल की सजा का फैसला सुनाया गया |
तिहाड़ में 35 साल तक लॉ अफसर रहे सुनील गुप्ता अपनी किताब "ब्लैक वॉरंट : तिहाड़ जेल के जेलर की इनसाइड स्टोरी ' जिसे प्रभात प्रकाशन की ओर से प्रकाशित किया गया है में लिखते हैं कि फांसी वाली सुबह अफजल गुरु ने कहा था- वो कश्मीरी अलगाववादी नहीं है | वो सिर्फ भ्रष्ट नेताओं की जान लेना चाहता था | इसके बाद उसने 1966(छियासठ) में आई फिल्म बादल का "अपने लिए जिए तो क्या जिए, तू जी ऐ दिल जमाने के लिए' गाना गाया | सुनील गुप्ता लिखते हैं कि फांसी वाले दिन उसने चाय मांगी, लेकिन उस दिन चाय बनाने वाला चला गया था, तो अफजल आखिरी बार चाय भी नहीं पी पाया |
दोस्तों आइए अब आखिर में जानते है देश और दुनिया की आज की तारीख यानि 9 फरवरी की अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में :
1757: रॉबर्ट क्लाइव ने अलीनगर संधि के जरिए कलकत्ता (अब कोलकाता) को सिराजुद्दौला से लेकर ब्रिटिश नियंत्रण वाले इलाके में शामिल किया।
1951 : आजाद भारत में पहली जनगणना के लिए सूची बनाने का काम शुरू हुआ।
1971 : अमेरिकी स्पेसी एजेंसी का चांद पर भेजा गया अपोलो-14 मिशन धरती पर लौटा।
1975 : रूसी अंतरिक्ष यान सोयूज-17 अंतरिक्ष में 29 दिन बिताने के बाद धरती पर लौटा।
2008 : अपना जीवन कुष्ठ रोगियों के भले में लगाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता बाबा आमटे का निधन हुआ। बाबा आमटे को 1971 में पद्मश्री, 1985 में रेमन मैग्सेसे और 1986 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
2010 : हैती में आए भूकंप से मरने वालों की संख्या 2.30 लाख होने की आधिकारिक घोषणा की गई।