त्याग – यह सुनने में भले ही छोटा सा एक शब्द लगता हो लेकिन इसका अर्थ इतना गूढ है कि हम में से अधिकांश लोग इसे समझ ही नहीं पाते है और जो समझ लेते हैं वो अपने मनचाहे लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं। आज के दौर में इसका सबसे अच्छा उदाहरण हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। आपने उनके जीवन की कई कहानियाँ पढ़ी होंगी और यह भी जानते होंगे कि वे 17 साल की उम्र में अपना घर छोड़ कर सन्यास धारण करने चले गए थे। जब उन्हें यह अहसास हुआ कि उनका लक्ष्य समयस नहीं बल्कि समाज सेवा है तो वे घर तो लौटे लेकिन गृहस्थी का त्याग कर उन्होने अपना पूरा जीवन अपने लक्ष्य के लिए झोंक दिया। उन्होने जीवन के सभी ऐशो आराम, सभी नाते रिशतेदारों और सबसे जरूरी अपने स्वार्थ का त्याग किया और इसका परिणाम है कि आज वे दुनिया के सबसे बड़े लोकतन्त्र के मुखिया बने।
अधिकांश लोगों के लिए त्याग का मतलब होता है अपना समय या पैसा देना। कुछ लोगों के लिए त्याग का मतलब मुश्किलें झेलना या कोई अप्रिय काम करना भी है। लेकिन त्याग किसी अधिक कीमती चीज को पाने के लिए भी किया जाता है। त्याग की असल परिभाषा है- किसी मूल्यवान वस्तु के लिए अपना धन, समय, ऊर्जा देना जिससे कि बदले में अधिक मूल्यवान वस्तु, अधिक धन या बेहतर जीवनस्तर प्राप्त हों। आसान शब्दों में त्याग का अर्थ होता है बाद में बहुत कुछ हासिल करने के लिए अभी थोड़ा देना। अब आपने यूपीएससी को अपना लक्ष्य बनाया है तो यह भी जान लीजिये कि आपको त्याग भी उसी अनुपात में करना पड़ेगा। तो आइए जानते हैं कुछ ऐसी चीजें जिनका त्याग किए बिना यूपीएससी में सफलता प्राप्त नहीं हो सकती।
Comfort zone – सबसे पहले आपको अपने comfort zone को छोडना पड़ेगा। आपको अपने आप को उन परिस्थितियों के लिए तैयार करना पड़ेगा जो आपको uncomfortable करती हैं। जैसे किसी 'हिंदी मीडियम' में शिक्षा पाए छात्र के लिए, हिंदी में बात करना, पढ़ना लिखना, देखना उसका 'कम्फर्ट जोन' हो सकता है. और शायद किसी और लैंग्वेज में काम करना उसे प्रोब्लेमैटिक लगे। या फिर हो सकता है कि आप अपने परिवारजनों से बहुत close हैं और उनके बिना रह नहीं सकते मगर कई बार ऐसे मौके आएंगे जब आपको परिवार से दूर रहना पड़ेगा और उस दौरान आप नितांत अकेले होंगे और आपको उस परिस्थिति में भी अपना 100 परसेंट दें ही होगा। आपको यह समझना चाहिए कि आप यूपीएससी में कोई बहाना नहीं बना सकते और बेहतर यही होगा कि आप जल्द से जल्द अपने कम्फर्ट ज़ोन के बाहर आ जाएँ।
Escaping attitude – अक्सर जब हमसे कोई मुश्किल काम करने को कहा जाता है तो हम सबसे पहले यह जुगाड़ लगते हैं कि कैसे उस कम को टाल दिया जाए या कैसे उससे खुद को अलग कर लिया जाए। यदि आप भी ऐसा ही करते हैं तो अपनी इस आदत को आज ही छोड़ दीजिये। यूपीएससी में आपको कई बार ऐसी situations का सामना करना पड़ेगा जो आपको impossible लगेंगे और यदि अपने उन situations में खुद को लड़ने की बजाय भागने के लिए प्रेरित करेंगे तो वह परिस्थिति बार बार आपके सामने आएगी और आपको पीछे धकेलती रहेगी। यदि आपको कोई टॉपिक मुश्किल लगता हो तो उसे छोड़ कर आगे बढ्ने की बजाय आगे बढ़ कर उसको बार बार पढ़ें और तब तक उससे जूझते रहें जब तक आप उसे पूरा नहीं कर लेते।
Large friend circle – school और college के दिनों में हम सब की एक बहुत ही बड़ी मित्र मंडली होती है और हमारी दुनिया उनके आस पास घूमती रहती है। लेकिन यूपीएससी की तैयारी के लिए बड़ा friend circle जहर की तरह हो सकता है जो आपका महत्वपूर्ण समय बर्बाद करता है। यदि आपकी दोस्ती अच्छी है तो आपके दोस्त भी आपके गोल और आपकी priorities को जरूर समझेंगे और यदि वो नहीं समझ रहे तो बेहतर है कि उनके साथ समय नष्ट करने की बजाय अपने लक्ष्य पर ध्यान देना चाहिए।
नाते – रिश्तेदार – यदि आप यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं तो अपने रिशतेदारों से थोड़ी दूरी बना लें। हमारे नाते रिश्तेदार हमारी मजबूती के pillars हो सकते हैं लेकिन कई बार यही pillars हमें हमारी लक्ष्य से दूर भी ले जाते हैं। इसे इस तरह समझिए कि आपके किसी cousin की शादी होने वाली है लेकिन आपको test series देनी है तो आपको टेस्ट सिरीज़ को प्राथमिकता देनी चाहिए क्योंकि उस पर आपका भविष्य टीका है जबकि आपके नहीं जाने से शादी रुक नहीं जाएगी। हाँ एक बार आपने अपना लक्ष्य पा लिया तो किसी को शायद याद भी नहीं होगा कि आपने इसके लिए अपने सबसे favourite cousin की शादी मिस कर दी।
Negativity - व्यवहारिक नजरिये से देखा जाए तो नकारात्मक सोच वाले लोग अपनी बातों से आसपास के लोगों को भी परेशान कर देते हैं। नकारात्मक लोग शंका और डर का माहौल बनाकर अनजाने में ही दूसरों को भी प्रभावित कर देते हैं। जिससे ओर लोग भी किसी काम को पूरे मन से नहीं कर पाते हैं। इस तरह बार-बार गलत विचारों के मन में आने से कोई भी काम पूरी इच्छा शक्ति के साथ नहीं हो पाता। इससे उस काम का नतीजा भी नहीं मिलता। सकारात्मक सोच आपका न केवल स्वयं पर विश्वास पैदा करती है बल्कि सकारात्मक सोच से आपको हर विरीत परिस्थितियों में भी आशा की किरणें दिखाई देती हैं।